हरिद्वार लोकसभा सीट पर त्रिवेंद्र की जीत की गारंटी बनी 8 विधानसभा,उमेश नहीं बचा पाए अपना किला,बहन की सीट से भी हारे वीरेंद्र

देहरादून।  उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर जहां बीजेपी ने परचम लहराया है तो वही हरिद्वार लोकसभा सीट के सियासी समीकरण की बात करें तो किन विधानसभा सीट पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को जीत हासिल हुई और किन सीटों पर हार मिली,विस्तार से पूरी खबर पढ़िए।

14 में से 8 सीट विधानसभा सीट पर त्रिवेंद्र की जीत

 उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट पर सभी की नजरे थी कि आखिरकार क्या कुछ नतीजा हरिद्वार लोकसभा सीट पर रहेगा क्योंकि उत्तराखंड में सबसे कांटे का मुकाबला हरिद्वार लोकसभा सीट पर ही होने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़े अंतर से हरिद्वार लोकसभा सीट फतह हासिल कर दी,त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए यह चुनाव आसान इसलिए नहीं था, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 14 विधानसभा सीटों की बात करें तो बीजेपी के पास जहां 14 में से केवल 6 विधानसभाएं हैं, तो वहीं कांग्रेस के पास पांच और बसपा के पास सीट थी,लेकिन एक सीट पर बसपा विधायक के निधन रिक्त चल रही है तो निर्दलीय विधायक के खाते में भी एक सीट है। जिससे कहा जा रहा था कि त्रिवेंद्र रावत के लिए मुकाबला बेहद चुनौती पूर्ण रहने वाला है।  लेकिन 14 विधानसभा सीटों में से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आठ विधानसभा सीटों पर फतह हासिल की, जिसमें खानपुर, रुड़की, रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, ऋषिकेश, डोईवाला, धर्मपुर और हरिद्वार विधानसभा सीट है। वहीं कांग्रेस के खाते में झबरेड़ा, लक्सर मंगलौर,पिरान कलियर,ज्वालापुर और भगवानपुर विधानसभा सीट पर वीरेंद्र रावत की जीत हुई, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिन आठ विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की उनमें से कई विधानसभा सीटों पर जीत का अंतर बहुत ज्यादा हो गया था।

उमेश नहीं बचा पाए अपना किला,बहन के विधानसभा से भी हारे वीरेंद्र

 

इस बार हुए लोकसभा चुनाव के दो दिलचस्प पहलू हरिद्वार लोकसभा सीट पर देखे गए, पहले तो यह की कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र रावत की बहन हरिद्वार ग्रामीण से जहां से विधायक हैं वहां बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है तो कांग्रेस को हर का सामना करना पड़ा है यानी की अनुपमा रावत अपने भाई को अपनी विधानसभा से ही जीत नहीं दिला पाई तो वही खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक उमेश भी निर्दलीय लोकसभा चुनाव में मैदान में थे,लेकिन वह भी अपने खानपुर के किले को बचा नहीं पाए, बीजेपी और त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए अच्छी खबर यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण और खानपुर पर जहां भाजपा चुनाव हार गई थी तो वही इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इन दोनों सीटों पर जीत हासिल हुई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों को किस विधानसभा सीट पर हरिद्वार लोकसभा के कितने मत हासिल हुए हैं आप आंकड़ों के जरिए समझ सकते हैं।

विधानसभा
खानपुर
भाजपा- 46252
कांग्रेस- 36755
उमेश- 16184
बसपा- 4225

भगवानपुर
कांग्रेस- 44209
भाजपा- 34646
उमेश- 6701
बसपा- 4966

झबरेड़ा
कांग्रेस- 35896
भाजपा- 31632
उमेश- 12269
बसपा- 5286

मंगलौर
कांग्रेस- 44101
भाजपा- 21100
बसपा- 5507
उमेश- 4816

लक्सर
कांग्रेस- 33407
भाजपा- 30595
उमेश- 5699
बसपा- 4479

कलियर
कांग्रेस- 49179
भाजपा- 30989
उमेश- 7890
बसपा- 3831

रुड़की
भाजपा- 37035
कांग्रेस- 26841
उमेश- 5015
बसपा- 887

रानीपुर विधानसभा
भाजपा-62739
कांग्रेस-34019
बसपा-2583
उमेश कुमार-6157

हरिद्वार ग्रामीण
भाजपा-47326
कांग्रेस-42475
बसपा-2714
उमेश कुमार-5760

ज्वालापुर
कांग्रेस-42979
भाजपा-33369
बसपा-4484
उमेश कुमार-6129

हरिद्वार
भाजपा- 60936
कांग्रेस- 18988
उमेश- 3525
बसपा- 1134

ऋषिकेश

भाजपा 67,383

कांग्रेस 15,133

धर्मपुर
भाजपा 69803

कांग्रेस 38,292

डोईवाला

बीजेपी 74,693

कांग्रेस 30,019

डोईवाला ने कर दिया कमल के लिए  कमाल

 वोटों के लिहाज से आंकड़ों से आप समझ गए होंगे कि आखिरकार त्रिवेंद्र रावत कहां वीरेंद्र रावत पर भारी पड़ गए, लेकिन त्रिवेंद्र रावत के लिए जो विधानसभाएं वरदान बनकर साबित हुई है, उनमें से डोईवाला सबसे ऊपर है जहां से वह विधायक भी रह चुके हैं डोईवाला से उनका जीत का अंतर 49561 है जब उसके बाद 41948 है ऋषिकेश से है,यही अंतर अंतर हरिद्वार में 41948 पहुंच गया तो धर्मपुर में 31511 रानीपुर में 32720 वोट काजित का अंतर उनका कांग्रेस उम्मीदवार से रहा रुड़की में यही अंतर 11000 खानपुर में लगभग 10000 और हरिद्वार ग्रामीण में लगभग 5000 के अंतर से त्रिवेंद्र सिंह रावत चुनाव जीत गए,जबकि वीरेंद्र रावत जिन छह विधानसभा सीटों पर चुनाव जीते हैं उनमें उनकी जीत का अंतर मंगलौर से सबसे ज्यादा 23000 का रहा है। मतों का यही अंतर वीरेंद्र रावत के लिए हर का कारण और त्रिवेंद्र रावत के लिए जीत का कारण बन गया।

 

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