सरकार के खिलाफ शोसल मीडिया पर पोस्ट करना शिक्षकों और कार्मिकों को पड़ेगा महंगा,नियमों के तहत होगी कार्रवाई
देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग से बड़ी खबर है, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने आज सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की है जिसमें उन्होंने अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए हैं,1 हफ्ते के भीतर प्रवक्ता पदों पर पदोन्नति करने के लिए गोपनीय आख्या शिक्षकों की मांगी गई है, जिससे कि प्रवक्ता पदों पर प्रमोशन होने वाले शिक्षकों को जल्द इसका लाभ दिया जा सके, 15 दिन के भीतर शिक्षकों के लंबित प्रकरणों के निस्तारण करने के भी निर्देश माध्यमिक निदेशक ने सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को दिए हैं। कोर्ट केस के मामलों का भी निस्तारण करने के निर्देश दिए गए, जिन मामलों का जवाब कोर्ट को दिया जाना है,उनका जवाब तैयार करने की भी बात सीमा जौनसारी ने कही। 15 दिन का समय इसके लिए भी दिया गया है,वही सीमा जौनसारी का कहना है कि 15 दिन के बाद फिर से वह सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और समीक्षा करेंगे कि जो निर्देश उन्होंने दिए थे उन पर कितना अमल अधिकारियों ने किया है। वही 22 जुलाई को 350 एलटी और प्रवक्ता शिक्षकों को डीपीसी का लाभ हेड मास्टर के पदों पर मिल जाएगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए गए निर्देश के तहत एक महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा निर्देश माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से जो दिया गया है,उसके तहत सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ सवाल उठाने,पोस्ट लिखने का संज्ञान अधिकारियों के द्वारा लिए जाने को लेकर दिया गया है,कि वह ऐसे शिक्षकों और कर्मियों पर नजर रखें जो सरकार की नीतियों के खिलाफ लिखते हैं,ऐसे कार्मिकों पर अधिकारी नजर रखें और कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कार्रवाई करें। लंबे समय से शिक्षा विभाग में इस बात पर चर्चा चल रही थी कि आखिर जो शिक्षक सरकार के खिलाफ नीतियों और सरकार के फैसलों की आलोचना करते हैं उनके खिलाफ विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता लेकिन शिक्षा विभाग में अब निदेशक बदले जाने के बाद इस पर गंभीरता से अम्ल हुआ है, आखिर जो शिक्षक सरकार के खिलाफ पोस्ट करेंगे उनके खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा। कार्मिक नियमावली में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि कोई भी कार्मिक सरकार के खिलाफ ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करेगा जो सरकार के खिलाफ हो,लेकिन उत्तराखंड में कई बार कर्मचारी सरकार के फैसलों के खिलाफ टिप्पणी करते आए हैं जबकि कई राज्यों में हाल में ही देखा गया है कि जब सरकारों के खिलाफ टिप्पणियां की गई है तो कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही भी की गई।