15 अगस्त पर मुख्य सचिव ने सचिवालय कर्मियों को दी सीख,कहा समाधान का हिस्सा बने, समस्या का नहीं
देहरादून। मुख्य सचिव डॉ एस.एस.संधु द्वारा सचिवालय में उच्चस्थ अधीनस्थ कार्मिकों और अन्य नागरिकों की उपस्थिति में ध्वजारोहण करते हुए सभी को 75वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी गाई। इस दौरान देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए मुख्य सचिव ने लोगों से अपील की कि देश के बलिदानियों ने जिस मकसद से आजादी के लिए असहनीय कष्ट सहे-संघर्ष किया हमें उस मकसद को नहीं भूलना चाहिए। शहीदों ने जिस भारत की परिकल्पना की थी हम उसको पूरा करने में कितने सफल हुए, हम कहाँ पहुँचे, आगे क्या कुछ किया जाना है? इस पर सभी लोग इस अवसर पर मंथन करें। देश का नागरिक संपूर्ण देश का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए हमें ऐसे राष्ट्रीय पर्व को मात्र औपचारिकता के तौर पर ना देखकर देशसेवा अर्थात् अपने नागरिकों के जीवन को ऊँचा उठाने के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने उदाहरण दिया कि 1947 से पहले प्रत्येक भारतीय नागरिक के पास केवल दो विकल्प थे, पहला आसान रास्ता जिसमें कुछ लोग अंग्रेजों से मिल गये। उन्होंने उपाधियां पाई, जमीन-जायदाद बनाई तथा बाकि भारतीय नागरिकों को गुलाम बनाने में अंग्रेजों का साथ दिया। लेकिन कुछ ऐसे फ्रीडम फाइटर थे जिन्होंने दूसरा कठिन रास्ता चुना जिनको अंग्रेजों और उनके समर्थक आतंकवादी कहते थे। याद करो अंडमान निकोबार (कालापानी की सजा) की वो सलाखें जहाँ पर अंगेज इन देशभक्तों को अनन्त यातनायें देते थे। रोजाना असंभव टास्क दिया जाता था जिसको पूरा करना संभव ही नहीं होता था तथा टास्क पूरा ना कर पाने पर रोंगटे खड़े करने वाला दर्द दिया जाता था। मुख्य सचिव ने कहा कि उन लोगों को क्या पड़ी थी इतना दर्द सहने की, वे भी अन्य लोगों की तरह अंग्रेजों से मिल सकते थे। लेकिन उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए सोचा। कहा कि इनके जीवन से हम क्या सीख पाये।
कहा कि सचिवालय शीर्ष कार्यालय होता है जहाँ देश-प्रदेश की नीतियां बनती है यहाँ पर भी फाइल को डील करते समय दो तरह के विकल्प होते है पहला आसान विकल्प- रूकावट डालने वाला। एक व्यक्ति ने फाइल में यदि नीचे से टिप्पणी लिख दी और ऊपर के सब उसी अनुसार चलते गये कि ये काम नहीं हो सकता। इस कार्यप्रणाली से फाइलों का बोझ तो कम होता जरूर दिखता है लेकिन नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने वाला मकसद तो अधूरा रह जाता है। एक दूसरा विकल्प भी होता है कठिन विकल्प! जिसमें फाइल को डील करते समय थोड़ा चिन्तन मनन की जरूरत होती हैं। इसमें इस भावना से काम किया जाता है कि यदि प्रस्ताव अच्छा है तो यदि नियम भी आड़े आ रहे है। तो नियमों को परिवर्तित भी किया जा सकता है। कहा कि आजकल बहुत लोग सोशल मीडिया में तो बहुत देशभक्ति दिखाते हैं किन्तु व्यावहारिक जीवन में वे उस पर खरे नहीं उतरते, उसके विपरीत आचरण करते नजर आते हैं। हमें समाधान का हिस्सा बनना है, समस्या का नहीं। कहा कि ऐसा नहीं कि देश में अच्छे लोग नहीं है, देश में बहुत से अच्छे लोग भी हैं जिनके चलते ये देश मजबूती से प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है।
इस दौरान मुख्य सचिव ने कोविड-19 के टीकाकरण के दौरान जिन सचिवालय कर्मियों द्वारा उत्कृष्ट सेवाएं दी थी उन कार्मिकों को सम्मानित भी किया। इनमें वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ0 विमलेश जोशी, चीफ फार्मासिस्ट एम.पी. रतूड़ी, ए0एन0 एम0 वन्दना रावत, सुनीता सिंह व सुनीता चमोली, एम्बुलेंस चालक पिताम्बर चमोली, सहायक समीक्षा अधिकारी चारूचन्द्र गोस्वामी, कम्प्यूटर सहायक गुमन सिंह व अनूप सिंह नेगी, सुपरवाइजर रतन सिंह रावत, प्रवीण सिंह व भगवती प्रसाद, सफाई कर्मी राधे व अक्षम शामिल थे। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एथलीट व फिटनेस क्लब के उन सदस्यों को जिन्होंने 15 कि0मी0 दौड़ राष्ट्रीय ध्वज के साथ पूरी की थी उनका आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी।
इस दौरान ध्वजारोहण के अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, मनीषा पंवार, व आनन्द बर्धन, प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु व एल. एल फेनई, सहित सभी सचिव, प्रभारी सचिव, उच्चस्थ- अधीनस्थ कार्मिक व अन्य नागरिक उपस्थित थे।