बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि आगे बढ़ना उचित नहीं,30 अप्रैल को ही खुले बद्रीनाथ के कपाट – नैथानी
देहरादून । पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रसाद नैथानी कहा है कि वर्तमान में सरकार ने निर्णय लिया है कि इस बार चार धाम यात्रा में जो हमारे प्रमुख तीर्थ स्थल हैं विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ इनके कपाट खुलने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और इस समय सरकार ने यह निर्णय लिया है की यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ के कपाट अपने पूर्व निर्धारित तिथि पर ही खुलेंगे लेकिन भगवान बद्रीविशाल के कपाट 30 अप्रैल के स्थान पर 15 मई को खोले जाएंगे, जो सरासर गलत है और उसी स्थिति से जो हमारी परंपरा है उसको भी आघात लगेगा। यह सरकार की व्यवस्था थी कि कोरोना संकट के चलते जो बद्रीनाथ भगवान के रावल जी हैं उनको एक महीने पहले अपने प्रदेश में लाते और उनकी देखभाल करते। किंतु केवल कोरोना का उदाहरण देकर भगवान बद्रीविशाल के कपाट खोलने की तिथि 15 मई से करना यह न्याय संगत नहीं है और ना ही हमारी देव संस्कृति के अनुरूप है। इस संबंध में मेरा इस विषय पर विरोध है और हम चाहते हैं कि चार धाम की कपाट खोलने की जो तिथियां बनाई गई है पूर्व की भांति उन्हीं पर हमारे विश्व प्रसिद्ध धामों के कपाट खोले जाएं साथ ही इस वर्ष जो यात्रा चलेगी वह कोरोना संकट के कारण प्रभावित होनी सुनिश्चित है। किंतु इसके परिणाम जो सामने आएंगे, उससे हमारा ऐसा वर्ग जो कि यात्रा के कारण ही अपने जीवन यापन का साधन जोड़ता है वह प्रभावित होगा जैसे होटल व्यवसाय के लोग, मोटर व्यवसाय के लोग, डंडी कंडी और घोड़े खच्चर तथा तीर्थ पुरोहित समाज को जीवन यापन करने में परेशानी होगी। इसके समाधान के लिए सरकार को ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि होटल व्यवसाय के लोग तथा मोटर गाड़ी व्यवसाय के लोग घोड़े खच्चर डंडी कंडी आदि व्यवसाय के लोग बैंकों से ऋण लेकर के अपना कारोबार चलाते हैं उनके सामने ऋण के अदा करने की दिक्कत आएगी साथ ही जो पुरोहित समाज के लोग हैं उनके जीवन यापन पर भी जीविकोपार्जन का प्रश्न खड़ा होगा। इस संदर्भ में मेरा सरकार से अनुरोध है की इस विषय पर भी कोई ठोस प्लान सुनिश्चित किया जाए ताकि जो हमारे विभिन्न व्यवसायों से जुड़े हुए यात्रा के समय पर अपने जीवन यापन का साधन जोड़ते हैं, उनको राहत मिल सके साथ ही जो तिथि बद्री विशाल के कपाट खोलने की 15 मई सुनिश्चित की गई है, इस पर सरकार पुनर्विचार करें धार्मिक मान्यताओं या धार्मिक परंपराओं के साथ छेड़छाड़ करनी उचित नहीं। उसके दैविक प्रकोप के प्रमाण भी प्रभाव सहित मिल सकते हैं।