उत्तराखंड आपदा विभाग की जमीन पर बड़ा फर्जीवाड़ा,कब्जों के साथ जमीन की हो गई रजिस्ट्रीयां,सीएम के संज्ञान में जुगरान ने पहुंचाया मामला
देहरादून। उत्तराखंड आपदा विभाग जहां एक तरफ घपले घोटालों के लिए एक नई पहचान उत्तराखंड में बनाता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ आपदा विभाग को 2011 में जो जमीन आवंटित की गई थी उस पर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जा करवाने का आरोप प्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र जुगरान ने लगाया है। जिसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर जमीन से कब्जा खाली करवाने की भी मांग की है। क्या कुछ पूरा मामला आपदा विभाग को जमीन आवंटन को लेकर था और क्या कुछ आपदा विभाग को जमीन मिलने के बाद खेल खेला गया है बिंदु वार आप पढ़ सकते हैं।
1- भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कर उन्हें अवगत करवाया कि आपदा प्रबंधन विभाग को वर्ष 2011 में 70 बीघा (5.29 हे०) भूमि झाझरा सुद्धोवाला में आबंटित की गयी थी, जिसमें से 10 बीघा भूमि आपदा प्रबंधन विभाग ने NDRF (National Disaster Response Force) को हस्तांतरित कर दी थी और शेष 60 बीघा भूमि अपने पास रखी थी।
2- रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि शेष बची 60 बीघा भूमि में से लगभग 40 बीघा भूमि पर इन 11 वर्षों में लोगों ने अवैध कब्ज़ा करके अवैध निर्माण कर दिये हैं, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग और राजस्व विभाग मूकदर्शक बने रहे। मुख्यमंत्री ने जुगरान की बात को ध्यान से सुना और समझा और तत्काल मुख्यसचिव को जाँच करने के निर्देश दिये हैं। जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग और राजस्व विभाग की सहमती के बिना इस सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ा करना व अवैध निर्माण करना कैसे संभव है।
3- जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि बड़ी हैरानी की बात है कि आपदा प्रबंधन विभाग को आबंटित इस भूमि पर अभी भी लगातार अवैध कब्जे हो रहे हैं और लोगों द्वारा इस भूमि पर अपने निजी आवास बना लिये गये हैं, ये सभी आवास भूमि आबंटन के बाद बनाए गये हैं। सरकारी भूमि पर निजी आवास कैसे बना दिये गये, आपदा प्रबंधन विभाग ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं कीA इस भूमि पर अवैध Plotting भी की गयी है जिसमें लोगों ने अपने अपने कब्जा किये गये plots पर cemented demarcation भी कर रखी हैं। कुछ plots पर लोगों ने Boundary wall भी बना दी हैं। इस भूमि पर अवैध कब्ज़ा करके एक गैस एजेंसी का गोदाम भी बनाया गया है, इसमें गैस गोदाम बनाने की अनुमति किसने और कैसे दे दी।
4- जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस भूमि पर एक निजी बोरवेल भी खुदवाया गया है जिसमें सबमर्सिबल पंप लगाकर पानी की सप्लाई की जा रही है, यह जाँच की जानी चाहिये कि यह बोरवेल किसकी अनुमति से खुदवाया गया है। सरकारी भूमि पर बिना अनुमति के बोरवेल कैसे खुदवा दिया गया, आपदा प्रबंधन विभाग ने इसमें आपत्ति क्यों नहीं की।
5- जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि आपदा विभाग द्वारा इन 11 वर्षों में इस भूमि का किसी भी प्रकार से कोई उपयोग नहीं किया गया, क्यों नहीं किया इसका स्पष्टीकरण आपदा प्रबंधन विभाग से लिया जाये। साथ ही यह भी जाँच की जाये कि इस सरकारी भूमि को खुर्द बुर्द करने और इसमें अवैध कब्ज़ा करवाने में आपदा प्रबंधन विभाग और राजस्व विभाग के कौन कौन से अधिकारी और कर्मचारी सम्मिलित हैं, किस लालच में इस भूमि पर अवैध कब्ज़ा और अवैध निर्माण करने की मूकसहमती प्रदान की गयी। जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि यह एक बहुत बड़ा भूमि घोटाला है जिसकी निष्पक्ष और त्वरित जाँच SIT या विजिलेंस से करवाई जाये। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण पर सख्त कार्यवाही करने की बात कही है।
आपदा सचिव के बयान भी हैरान करने वाला
वहीं जब इस पूरे मामले को लेकर आपदा सचिव रंजीत सिन्हा से बातचीत की गई तो उन्होंने हैरानी भरा बयान दे दिया उनका कहना था कि आपदा विभाग की जो जमीन है उस पर कब्जा होने के साथ ही रजिस्टर भी हो रखी है जिससे सवाल खड़े होते हैं कि आखिरकार जब आपदा विभाग की जमीन पर रजिस्ट्री या हो रही थी तब आपदा विभाग कहां सोया हुआ था और जिन किससे पर जमीन पर रजिस्टर हुई हैं,उन्होंने किस आधार पर सरकारी जमीन पर रजिस्ट्रीवा कर दी यही नहीं आपदा सचिव का कहना है कि जो जमीन 2011 में आपदा विभाग को आवंटित हुई थी उससे पहले ही उस पर कब्जे थे यानी कि राजस्व विभाग की जो जमीन थी उसे आपदा विभाग को जब सौंपा गया तो उस पर पहले से ही कब्जे थे ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या उस समय आपदा विभाग ने इन बातों को नहीं सोचा कि जिस जमीन पर कब्जा हुआ है उसे वह कैसे ले रहा है और राजू से विभाग की जमीन पर कैसे कब्जा हो गया यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है हालांकि आपदा सचिव का कहना है कि मामला कोर्ट में भी है और कोर्ट से जो भी फैसला आएगा उसके हिसाब से उचित निर्णय विभाग के द्वारा लिया जाएगा। लेकिन भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र जुगरान का कहना है कि कोर्ट में पहली ही आपदा विभाग के हक में फैसला सुनाया था, जिसे 24 घंटे में लागू करवाया जाना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया । रविंद्र जुगरान सीधे तौर से आपदा विभाग की कई अधिकारियों की मिली भगत का भी आरोप पूरे खेल के पीछे लगा रहे है। कि बिना आपदा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की यह सब नहीं हो सकता कि आपदा विभाग की जमीन पर कब्जा हो जाए।