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तिलू रौतेली की जयन्ती पर 12 महिलाओं को प्रदान किया गया तिलू रौतेली पुरस्कार,जानिए क्या रही है तिलू रौतेली की वीरगाथा

देहरादून।  8 अगस्त को हर साल उत्तराखंड सरकार वीरांगना तिलू रौतेली की जयंती मनाती है,और इस दिन बेहतर काम करने वाली महिलाओं को तिलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित भी किया जाता है,इस साल भी 12 महिलाओं को तिलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया,लेकिन सबसे पहले यह समझते हैं कि आखिर वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती सरकार क्यों खास अवसर के रूप में मनाती हैं,आपको बता दे की सन 1661 पौड़ी जनपद के ग्राम गुराड़,चांदपुर पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। जिन्होंने 15 साल की उम्र में अपने पिता भाई और मंगेतर की शहादत का बदला लेने के लिए तलवार उठा दी, और 7 वर्षों तक युद्ध करते हुए 13 गढ़ो पर विजय पा ली। इसी बहादुरी को लेकर उत्तराखंड सरकार वीरांगना तिलु रौतेली की जयंती पर बेहतर कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित करती है आज भी उत्तराखंड की राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह की मौजूदगी में 12 महिलाओं को तिलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया तो,वही 35 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वाली सभी महिलाओं को राज्यपाल के साथ महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने भी शुभकामनाएं दी।

तिलू रौतेली की वीरांगना की कहानी तो हमने आपको बता दी लेकिन आज के समय में तिलू रौतेली जैसी साहसिक महिलाएं भी मौजूद हैं,जो अपने साहस से हर किसी को पस्त करने की क्षमता रखती है,ऐसा ही कुछ कर दिखाया पौड़ी की सावित्री देवी ने जिनके अदम्य साहस के चलते गुलदार को भी उन्होंने अपने हौसले से पस्त कर दिया,जो गुलादर उनपर झपटा था,8 से 10 मिनट तक वह उसकी साथ लड़ती रही,उनके हौसले को देख गुलादर को हुई पीछे हटना पड़ा। इसके के चलते उन्हें इस बार तिलू रौतेली पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। वही उधमसिंह नगर की प्रेमा विश्वास को भी तिलु रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो विकलांग होने के बावजूद भी उत्तराखंड का नाम अपने हौसले से रोशन कर रही हैं परा बैडमिंटन नेशनल प्रतियोगिता में अभी तक प्रेमा विश्वास ने कुल 7 मेडल अपने नाम कर ली है जिनमें दो गोल्ड 3 सिल्वर और 2 ग्राम मॉडल भी शामिल है, तो वहीं अब उनका चयन परा बैडमिंटन में नेशनल चैंपियनशिप के लिए वह जो जापान में होने जा रही है। तिलु रौतेली पुरस्कार पाने वाली सभी महिलाएं बेहद इस मौके पर नजर आ रही थी।कुल मिलाकर देखें तो तिलू रौतेली की जयंती पर जिस तरीके से उनकी वीरगाथा को याद हर साल किया जाता है,तो वही उनकी जयंती पर उन महिलाओं को सम्मान भी दिया जाता है जो अपने हौसलों से खुद के लिए मुकाम हासिल करती।

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