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अभिभावकों को फीस के लिए मैसेज न भेजे जाने के हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती,प्राइवेट स्कूलों ने दायर की याचिका

देहरादून । उत्तराखंड के प्राईवेट स्कूलों में तीन महीने की फीस माफी को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में चल रही जनहित याचिका की सुनाई के दौरान नैनीताल हाई कोर्ट ने प्राईवेट स्कूलों को आॅनलाईन माध्यम से फीस जमा न करने के लिए किसी भी तरह के संदेश न भेजे जाने के निर्देश दिए है। लेकिन इसी मुद्दे को लेकर उत्तराखंड के प्राईवेट स्कूलों ने सुप्रिम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है,प्रिसिंफल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोशिसन ने नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश को सुप्रिम कोर्ट में चुनौति दी है। प्रिसिंफल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोशिसन के उपाध्यक्ष डीएस मान का कहना है कि नैनीताल हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जो भी निर्देश स्कूलों को दिए गए है, स्कूल उनका पालन कर रहे है,लेकिन अभिभावकों को फीस जमा के लिए मैसेज न करने को संदेश भेजा जाना सही नहीं है, क्योंकि यदि स्कूल में फीस जमा नहीं होगी तो फिर स्कूल के कर्मचारियों को स्कूल वेतन कहां से देंगे। इसी को देखते हुए सुप्रिम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। उम्मीद की जा रही है कि इस हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनावाई भी हो जाएगी है,और उनके हक में फैसला भी आ जाएगा। डीएस मान का कहना है कि सरकार और कोर्ट के आदेश के बाद जो अभिभाक फीस देने में सक्षम है वह भी फीस नही जमा कर रही है,ऐसे में स्कूलों के सामने अपने स्टाफ को सैलरी देने का संकट पैदा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले उच्च शिक्षण संस्थानों में फीस माफ किये जाने पर निर्णय सुनाते हुए कहा था कि कालेज अगर फीस माफ कर दे तो फिर कर्मचारियों को सैलरी कहा से कॉलेज देंगे,इसी सुनावाई को आधार मानते हुए उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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