सरकारी स्कूलों में छात्रों को कब मिलेंगी नई पुस्तकें,नहीं है कोई सटीक जानकारी,लेकिन किताबों के छपने में देरी की वजह भी शिक्षा मंत्री से जान लीजिए वजह
देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चली है,लेकिन नए शैक्षणिक सत्र में छात्रों को पुस्तकें कब तक मिलेंगे यह कह पाना अभी तक मुश्किल सा नजर आ रहा है, क्योंकि 16 लाख से ज्यादा छात्रों के लिए पुस्तक छापने का काम अब जाकर शुरू हुआ, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिरकार कब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए पुस्तकें छपेंगी, फिर वह विभाग को मिलेंगी और उसके बाद कब जाकर स्कूलों तक पहुंचेंगे, हालांकि कुछ प्रधानाचार्य का कहना है कि जब तक किताबें उपलब्ध नहीं होती तब तक पुरानी किताबों से ही काम स्कूलों में चलाया जाएगा।
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार निशुल्क में पुस्तक प्रदान करती है,लेकिन इस बार अशासकीय स्कूलों के छात्रों को भी सरकार की तरफ से निशुल्क में पुस्तकें प्रदेश सरकार के द्वारा दी जा रही है,लगभग 16 लाख से ज्यादा छात्रों को इस बार शिक्षा विभाग के द्वारा पुस्तक प्रदान की जानी है। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि पुस्तकों के छपने में देरी की वजह यह भी है, कि इस बार अशासकीय स्कूलों के छात्रों को सरकार की तरफ से निशुल्क पुस्तकें दी जानी है,वहीं दूसरी तरफ प्रदेश सरकार के द्वारा हाल में ही बजट सत्र कराया गया, जिसमें कि बजट की व्यवस्था पुस्तकों को लेकर भी की गई है, जल्द ही सभी छात्रों को विभाग के द्वारा पुस्तक उपलब्ध करा दी जाएंगे और जो भी छात्र नहीं कक्षा में गए हैं उनको नहीं शैक्षणिक सत्र पर वह बधाई देते हैं।
कुल मिलाकर देखें तो नया शैक्षणिक सत्र जहां शुरू हो चला है तो वही नए शैक्षणिक सत्र में छात्रों को पुरानी पुस्तकों से ही फिलहाल काम चलाना होगा, ऐसे में देखना ही होगा कि आखिरकार कब जाकर शिक्षा विभाग मुस्तैदी से पुस्तकों को छपवाने का काम पूरा करवाता है साथ ही प्रदेश के दूरस्थ स्कूलों में भी जल्दी से जल्दी पुस्तक बांटने का काम करता है ताकि छात्रों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित पुस्तक न मिलने की वजह से ना हो। लेकिन यह हर साल की दिक्कत शिक्षा विभाग के सामने पुस्तकों को छपवाने में लेटलतीफी को लेकर होती रहती है, ऐसे में सवाल इस बात को लेकर भी उठ रहा है,कि क्या कभी कोई ऐसी व्यवस्था शिक्षा विभाग में बनेगी, जिसके तहत शिक्षा विभाग को एडवांस में बजट उपलब्ध हो और नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होते ही छात्रों को विभाग पुस्तक उपलब्ध करा दें, ताकि छात्रों को पुस्तकों के लिए इंतजार न करना पड़े और किसी तरह की कोई पढ़ाई प्रभावित छात्रों की न हो।