गुणवत्तायुक्त शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं लैंगिग समानता पर चर्चा,डॉक्टर अंकित जोशी ने बताई नई शिक्षा नीति की खूबियां
देहरादून। श्री देव भूमि इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी पौंधा, देहरादून में वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय देहरादून के सहयोग से 01 अप्रैल 2023 से 31 जुलाई 2023 चलने वाली सतत विकास लक्ष्य की कार्यशाला मे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व लैगिंग समानता विषय पर आज कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ० अंकित जोशी प्रवक्ता, एस0सी0ई0आर0टी0 उत्तराखण्ड, द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी। डॉ० अंकित जोशी द्वारा छात्र-छात्राओ को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विषय में बारीकी से बताया गया । डॉ० अंकित जोशी ने बताया कि शिक्षा समग्र और बहुआयामी दृष्टिकोण विकसित करने पर बल देती है । सतत विकास लक्ष्य के लक्ष्य 4 के अनुसार विश्व में 2030 तक ‘सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने जीवन पर्यंत शिक्षा अवसरों को बढ़ावा दिये जाने’ का लक्ष्य है । गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए आवश्यक है कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था का विकास हो जिसमें अवधारणात्मक समझ पर जोर दिया जाए न कि रटंत पद्धति पर । रचनात्मकता, नवाचार और तार्किक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए सीखने के लिए सतत रचनात्मक मूल्यांकन पर जोर दिया जाना चाहिए न कि किसी नियत समय पश्चात होने वाले योगात्मक मूल्यांकन पर । उन्होंने आगाह किया कि शैक्षिक संस्थानों को केवल सर्टिफिकेशन तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इक्कीसवीं सदी के अनुरूप आवश्यक कौशलों एवं दक्षताओं का विकास भी छात्र – छात्राओं में अनिवार्य रूप से होना चाहिए । गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और विकास के लिए उत्कृष्ट स्तर का बोध एवं भारतीय जड़ो और गौरव से बंधे रहना और जहाँ प्रासंगिक लगें वहाँ भारत की समृद्ध और विविध प्राचीन और आधुनिक संस्कृति और ज्ञान प्रणालियों और परंपराओं को शामिल करना और उससे प्रेरणा पाना आदि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विषय मी डॉ० अंकित जोशी ने विस्तार से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया गया और उन्हे शिक्षा के प्रति जागरुक रहने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार डॉ० पुनीत सैनी एच0ओ0डी0 एसोसिएट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश एम0के0पी0 पी0जी0 कॉलेज देहरादून द्वारा लैंगिक समानता की शुरुआत घर से होती है विषय पर छात्र छात्राओं को विस्तापूर्वक बताया ।उन्होने छात्र-छात्राओं को बताया कि परिवार परिवर्तन की अग्रिम पंक्ति में होते है। अगली पीढी के लिए माता पिता देखभाल करने वालों और विस्तारित परिवार द्वारा घर पर स्थापित किए गए उदाहरण लिंग और समानता के बारे में उनके सोचने के तरीके को आकार देते हैं। उन्होंने बताया कि लैंगिक रुढिवादिता को तोडने से लेकर देखभाल के काम को साझा करने तक और बच्चों को महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के बारे में शिक्षित करने के कुछ तरीके हैं जिनसे आप अपने परिवार में भावी नारीवादियों को प्रेरित कर सकते है। अपने बच्चो से महिलाओं के अधिकारो और लैंगिग समानता के बारे मे बात करें। इस मौके पर संस्थान के चैयरमेन श्रीनिवास नौटियाल एवं निदेशक डॉ० शिवानन्द पाटिलए डॉ० सुरेन्द्र सिंह गुसाईं कार्यशाला की आयोजक संतोषी शाह एवं मिनाक्षी कुकशाल एवं रीटा सैनी, वंदना साहनी, मिनाक्षी रावत, राहुल अधिकारी, दीक्षा पुण्डीर, विजय लक्ष्मी, संदीप ड्यूढी, मोनिका, दीक्षा एवं समस्त पाठ्यक्रम के शिक्षकगण एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।