शिक्षा विभाग की वेबसाइट से कम समय में ही ट्रांसफर आदेश हटने को लेकर उठे सवाल,ट्रांसफर होने के बाद कितने शिक्षकों ने की जॉइनिंग और कितनों ने नहीं की जॉइनिंग की सूचना पर भी उठे सवाल
देहरादून । उत्तराखंड के राज्याधीन सेवाओं में कुछेक सेवाओं को छोड़कर अन्य कार्मिकों के वार्षिक स्थानांतरण को एक उचित, निष्पक्ष तथा पारदर्शी बनाने हेतु वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 पारित किया गया । वहीं शिक्षक नेता डॉ आंकित जोशी का कहना है कि विभागीय स्कूली शिक्षा के पोर्टल पर उच्च न्यायालय के आदेश पर निस्तारित होने वाले आदेशों को विभाग द्वारा न डाला जाना न केवल स्थानांतरण अधिनियम की पारदर्शिता के लिए खतरा है बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दे सकता है । यहां तक कि कतिपय स्थानांतरण आदेश विभागीय वेबसाइट से अल्प समय में ही हट गए हैं । कितने कार्मिकों ने स्थानांतरण अधिनियम के अन्तर्गत स्थानांतरण होने पर स्थानांतरण आदेश का अनुपालन करते हुए नवीन स्थल पर कार्यभार ग्रहण किया तथा कितनों ने नहीं किया व न करने का क्या कारण रहा इस सूचना को भी विभागीय वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का प्रावधान होना चाहिए था जोकि आज तक नहीं हो सका है । यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो स्थानांतरण की वर्तमान प्रचलित प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता संदेह के घेरे में आ जाएगी इसलिए इसमें तत्काल उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के प्रावधानों के अनुसार सुधार कर अनुपालित किए जाने की आवश्यकता है । ऐसे में वह शिक्षक व कार्मिक स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है जिसने स्थानांतरण आदेश का अनुपालन नियमानुसार किया ।