उत्तराखंड से बड़ी खबर

कोविड काल में राशन किट घोटाले के आरोप,भाजपा पार्षद सवालों के घेरे में,क्या सरकार कराएगी जांच,उठ रहे हैं सवाल

कोविड महामारी के दौरान हो गया महाघोटाला

650 की राशन किट को खरीदा गया 950 रूपए में

श्रमिकों के नाम पर घोटाले का आरोप

भाजपा पार्षद अमिता सिंह पर लगे आरोप

घोटाले को अंजाम देने के बाद राशन का पैंसा न चुकाने का भी आरोप

 भाजपा पार्षद की मानवता पर उठ रहे हैं सवाल

पीएम मोदी के चेहरे पर बट्टा लगाने का कर दिया काम

मोदी सरकार फ्री में बांट रही थी राशन

 

देहरादून।  पूरे विश्व के साथ भारत ने भी कोविड महामारी का प्रकोप झेला,आज भी जब कोई कोविड महामारी के उस दौर को याद करता है तो कुछ देर सांसे थम जाती है कि आखिर इंशान उस समय किस तरह बंदिशों में जीने को मजबूर था,लोग अपनी जान के परवाह के लिए अपनी कमाई को भी छोड़ रहे थे,हालत भारत में भी काफी खराब थे,गरीब लोगों के सामने राशन की दिक्कत होने लगी थी,तो प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने फ्री राषन की सौगात आम जनता को दी,लेकिन सवाल उन श्रमिकों के सामने था,जिनके राशन कार्ड नहीं बने थे,उन्हे कैसे राषन मिलेगा,इसको लेकर केंद्र सरकार के द्धारा राज्य को निर्देश दिए गए कि श्रम विभाग से श्रमिकों को राषन उपल्बध कराया जाए,लेकिन उत्तराखंड में भाजपा के कुछ नेताओं ने श्रम विभाग के द्धारा श्रमिकों को मिलने के वाले फ्री राशन में भी घोटाला कर अपनी जेब भरने की सोचली,कर्मकार कल्याण बोर्ड के द्धारा फैसला लिया गया कि ढाई लाख पंजीकृत मजदूरों के साथ 75 हजार अपंजीकृत मजदूरों को भी राशन किट बांटी जाएगी। लेकिन इन्ही राशन किटों को बांटने में बड़ा महा घोटाला हो गया। जो राषश किट बाजार भाव पर 650 रूप्ये में तैयार हो रही थी,उन किटों को 950 रूपये में खरीदा गया। देरादून नगर निगम में भाजपा पार्षद अमिता सिंह पर राषन विक्रेता नीलम त्यागी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा पार्षद द्धारा कहा गया कि उन्हे 10 हजार राशन किट चाहिए,जिसके लिए उन्होने रिश्ते में अपने बेटे नवीन के साथ सैमटैक्नोलॉजी के साथ सपथ पत्र में एक अनुबंध किया,जिसमें कई शर्ते थी।

 

*अनुबंध के तहत 650 की राशन किट को 950 रूपए में दिए जाने का था*

*जो पैंसा 300 रूपऐ बिल के रूप में नीलम त्यागी को मिलता उसे फिर अनुबंध के हिसाब से वापस देने थे।*

 

राशन विक्रेता नीलम त्यागी का कहना है कि 7 हजार किट उन्होने अपनी दुकान से बनाकर दी है,जिसमें कई विधायकों के नाम से किट गई है, जिसके बिल उनके पास है,वहीं 3 हजार किट अमिता सिंह ने अपने घर पर पैक करवाई जिसके लिए उन्होने राशन अमिता िंसंह के घर भिजवाया। अमिता सिंह के घर भेजे गए राषन किट पैक करने को लेकर जो श्रमिकों की मजदूरी थी,वह भी उन्होने दी है,जिसका पुफ्र उनके पास है कि 25 हजार उन्होने बैंक खाते से अमिता सिंह के खाते में डाले जबकि 15 हजार कैश दिया गया। 25 लाख रूपए राषन के उन्हें मिलने है जो अमिता सिंह ने उन्हे देने है,जो अमिता सिंह के द्धारा नहीं दिए जा रहे है,और अब अमिता सिंह न तो उनसे मिल रही है और न ही उनका फोन काफी समय से उठा रही है। बल्कि उनको धमाकाने तक की बात कर रही है,साथ ही मुख्यममंत्री तक पहुंच की बात अमिता सिंह कर रही है।

 

 

 

 

 

वहीं कांग्रेस के प्रदेष प्रवक्ता गरीमा दसोनी का कहना है कि अमिता सिंह को अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है,मुख्यमंत्री,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष,और नगर निगम के मेयर में से किसी एक को संज्ञान लेकर तुरंत अमिता सिंह हो बर्खास्त करना चाहिए। जबकि राजपुर से भाजपा विधायक खजान दास का कहना है कि मामले की जांच तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही दे दी थी,लेकिन जांच का क्या हुआ इसका पता चलना चाहिए,तभी चीजे साफ हो पाएंगी,जबकि राशन लेने की बात है तो उन्होने भी राषन लेकर श्रमिकों में बंटवाया था।

 

 

 

 

वहीं इस मामले को लेकर भाजपा पार्षद से जब हमने बात की तो वह कैमरे के सामने बयान देने से बच रही है,जबकि फोन पर हुई बातचीत को लेकर उनका कहना है कि उनकी छवि खराब करने को लेकर प्रयास किया जा रहा है,क्योंकि अब चुनाव आने वाले है। भाजपा पार्षद इतनी व्यसत है कि उनके पास मिलने तक समय नहीं है,अमिता सिंह का कहना है कि 15 अगस्त के बाद वह मिलेगी तब कैमरे में बयान देंगी। वहीं पूर्व श्रम मंत्री हरक सिंह रावत से भी हमने फोन पर बात की तो उन्होने जानकारी देते हुए कहा कि कि श्रमिकों को जो राशन दिया गया था,उसका पैंसा दे दिया गया। लखनऊ के कम्पनी के साथ राशन बांटने का अनुबंध हुआ था,लेकिन जो अपंजिकृत श्रमिक थे उनको राषन बांटने के लिए लखनऊ कम्पनी ने कुछ अन्य लोगों के साथ करार कर राशन बंटवाया,75 हजार राषन किट अपंजिकृत श्रमिकों को वितरित होनी थी,लेकिन उनके संज्ञान में आया है कि 92 हजार किट बांटे जाने के बात कही गई।

 

 

 कुल मिलाकर देखें तो पूरे मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य मिल रहें है,पहले 650 की किट को 950 में खरीदने की बात सामने आई और अब 75 हजार अपंतिकृत मजदूरों के लिए 92 हजार किट बांटने की बात हजम नहीं हो रही है,लेकिन जिन लोगों ने वास्तव में राशन किट घोटाले को अंजाम दिया है उन्होने जो घोटाला किया उन्हे वह हजम हो गया है,मामला गंभीर है,जीरो टॉयरलेंस की सरकार पर सवाल खडे हो रहे है। ऐसे में मुख्यमंत्री धामी इस मामले में क्या रूख अपनाते है,ये देखना होगा,साथ ही राषन विक्रेताओं ने जो राषन दिया उनका पैंसा कैसे मिले ये भी सरकार को देखना होगा।

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