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उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज,भाजपा नेता और प्राइवेट स्कूल फिर आमने सामने

देहरादून । उत्‍तराखंड के प्राइवेट स्कूलों में ट्यूशन फीस का मामले में सुप्रीम कोर्ट  ने उतराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर दखल देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता स्कूलों से कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणी करने के बाद राज्य सरकार ने आदेश जारी किया था, इसलिए राज्य सरकार के आदेश को चुनौती दें. दरअसल हाईकोर्ट ने लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को अभिभावकों से ट्यूशन फीस की मांग करने से रोक दिया गया था. प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन और सेंट जूड्स स्कूल, देहरादून ने हाईकोर्ट के आदेश को “मौलिक रूप से गलत कानूनी आधार “ पर स्थापित  बताया . दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि “यह केवल उन छात्रों के लिए है कि जो निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा पेश किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम का उपयोग करने में सक्षम हैं, उन्हें ट्यूशन फीस का भुगतान करना होगा, यदि वे ऐसा करने के लिए चुनते हैं. दूसरी ओर बच्चे,  जिनके पास ऑनलाइन पाठ्यक्रम तक पहुंच नहीं है, उन्हें ट्यूशन शुल्क का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. इस पर स्कूल ने कहा कि जो छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेते हैं, उनके लिए भी शुल्क का भुगतान वैकल्पिक या स्वैच्छिक किया गया है, जो स्पष्ट रूप से अनुचित है.वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हाईकोर्ट में तीन महीने की फीस किए जाने और सुप्रीम कोर्ट में प्राइवेट स्कूलों के द्वारा याचिका दायर करने के बाद कैविएट दायर करने वाले भाजपा नेता कुंवर जपेंद्र सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्राइवेट स्कूलों की याचिका खारिज होने के बाद अभिभावकों को बड़ी जीत हासिल हुई है,सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की याचिका को खारिज किया है,जो अभिभावकों की बड़ी जीत है,वही प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का अनुपालन करने को कहा है,और हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को मामले का निस्तारण करने के लिए कहा था,जिस पर शिक्षा सचिव ने 22 जून को स्कूलों की फीस जमा करने के लिए आदेश जारी किया था,और प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन शिक्षा सचिव के किये गए आदेश से खुश है।

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