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शिक्षा विभाग में ट्रांसफर एक्ट का पालन न होने का लगा आरोप,मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित,उचित समाधान न मिलने पर कोर्ट में याचिका दायर करनी की भी ज्ञापन में बात

देहरादून। विद्यालयी शिक्षा विभाग (माध्यमिक शिक्षा), द्वारा अनिवार्य स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के अनुपालन में सुगम से दुर्गम श्रेणी में जो स्थानांतरण किये गये उनमें से अधिकतर कार्मिकों को आज तक दुर्गम हेतु कार्यमुक्त नहीं किया गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के चलते स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के विपरीत प्रत्यावेदन निस्तारण की आड़ में नियमविरूद्ध कार्य किये जा रहे हैं। निदेशक, माध्यमिक शिक्षा द्वारा दिनांक 10 जुलाई, 2023 को अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर एक अवैधानिक आदेश (पत्रांक/सेवा-2/11154-58/वा0स्था0/2023-24, दिनांक 10 जुलाई, 2023) जारी किया गया (संलग्न-01) जिसमें आदेशित किया गया कि जिन अध्यापकों द्वारा निदेशालय को प्रत्यावेदन दिये गये हैं उन्हें प्रत्यावेदन निस्तारण होने तक कार्यमुक्त न किया जाए जबकि स्थानांतरण अधिनियम की धारा 22 (4) में स्पष्ट है कि ‘‘स्थानांतरित कार्मिक द्वारा स्थानांतरण आदेश में विद्यमान किसी सारगर्भित /टंकण त्रुटि के निराकरण हेतु स्थानांतरण आदेश निर्गत होने के 03 दिन के अंदर स्थानांतरण करने वाले प्राधिकारी से एक स्तर उच्च अधिकारी को प्रत्यावेदन दिया जा सकेगा, जिसके द्वारा एक सप्ताह के अन्दर स्थानांतरण करने वाले प्राधिकारी का मंतव्य प्राप्त करते हुए ऐसे प्रत्यावेदन का निस्तारण किया जायेगा।’’

 

 

विद्यालयी शिक्षा विभाग (माध्यमिक शिक्षा) को जून माह में हुए स्थानांतरणों की खबर ही नहीं है अर्थात पता ही नहीं है कि कितने शिक्षक सुगम से दुर्गम विद्यालयों हेतु कार्यमुक्त हुए कितने नहीं (संलग्नक-2 मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून का इस संबंध में सूचना चाहने हेतु निर्गत पत्र ) इस प्रकार की अनियमतता से न केवल स्थानांतरण अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है बल्कि प्रदेश के दुर्गम श्रेणी के माध्यमिक विद्यालयों को शिक्षक भी नहीं मिल पा रहे हैं तथा विभाग में अव्यवस्था उत्पन्न हो चुकी है।

 

 

 

इसके अतिरिक्त कतिपय सुगम विद्यालयों में एक ही विषय के दो-दो शिक्षक हो गये हैं क्योंकि दुर्गम से स्थानांतरित शिक्षक तो विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं परंतु उसी विद्यालय से संबंधित विषय का शिक्षक स्थानांतरित होने पर भी कार्यमुक्त नहीं हुआा है।

 

विद्यालयों के अतिरिक्त एस0सी0ई0आर0टी0 जैसे राज्य स्तरीय संस्थान में जहां कि अपर निदेशक जैसे उच्चाधिकारी की प्रत्यक्ष अधीनता (क्पतमबज ैनइवतकपदंजपवद) में कार्यरत कार्मिकों को ही कार्यमुक्त नहीं किया गया तो प्रदेश के सुदूर विद्यालयों से नियमानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करवाना विभागीय नियंत्रण से बाहर प्रतीत हो रहा है।

 

अतः महोदय से विनम्र निवेदन है कि शिक्षा-हित तथा छात्र-हित में अनिवार्य रूप से सुगम से दुर्गम श्रेणी में स्थानांतरित कार्मिकों को तत्काल कार्यमुक्त करने हेतु संबंधितों को निर्देशित करने की कृपा कीजिएगा अन्यथा प्रार्थी जनहित में ऐसे अधिकारियों, जिनके द्वारा अपने अधीनस्थ स्थानांतरित कार्मिक को आज तक दुर्गम के लिए कार्यमुक्त नहीं किया गया है, के विरूद्ध अनुशासनात्क कार्यवाही की अनुशंसा हेतु उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए बाध्य होगा।

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