भाजपा नेता ने सीएम से मिलकर आपदा विभाग में हुए घोटालों की जांच की उठाई मांग,मुख्यमंत्री ने सचिव को दिये आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश
देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को आपदा प्रबंधन विभाग के वर्तमान हालातों के बारे में अवगत करवाया साथ ही यह भी अवगत करवाया कि आपदा प्रबंधन विभाग में अब तक हो चुके करोड़ों रुपय के घोटाले और 05 वर्ष की अवधि में 45 से भी ज्यादा कार्मिकों के सेवा से त्यागपत्र दिये जाने से आपदा प्रबंधन विभाग गर्त में पहुँच चूका है, मुख्यमंत्री ने भी तत्काल अपने सचिव शैलेश बगोली को कार्यवाही करने के आदेश दिये हैं, मुख्यमंत्री के सचिव शैलेश बगोली ने सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन को इस विषय पर उनके साथ वार्ता करने के लिये लिखा है।
जुगरान ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि आपदा प्रबंधन विभाग के कुछ अधिकारी सचिव और अपर सचिव को गलत और झूठे तथ्य प्रस्तुत करके गुमराह कर रहे हैं और उनसे गलत निर्णय करवा रहे हैं, कार्मिकों का अहित करवा रहे हैं, घोटालेबाजों को उच्च अधिकारीयों से संरक्षण प्रदान करवा रहे हैं , जिस कारण आपदा प्रबंधन विभाग के बदतर हालत हो गये हैं, यही कारण है कि वर्तमान समय में आपदा प्रबंधन विभाग पर कार्मिकों द्वारा लगभग 12 याचिकायें उच्च न्यायालय में योजित की गयी हैं.
जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि राज्य गठन के साथ ही उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन विभाग का गठन कर दिया गया था लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन 24 वर्षों में आपदा प्रबंधन विभाग का एक नियमित और मजबूत ढांचा अस्तित्व में नहीं आ पाया है, तो फिर राज्य में आपदा प्रबंधन तंत्र कैसे मजबूत हो सकता है।
जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की यह स्थिति है कि इसमें 95 प्रतिशत संविदा और आउटसोर्स के कर्मचारी कार्यरत हैं, प्रतिनियुक्ति में आये कार्मिकों के अलावा नियमित कार्मिकों की संख्या 10 से अधिक नहीं है, शासन के अधिकारियों की उदासीनता, संवेदनहीनता और वित्तीय भ्रष्टाचार के कारण आज राज्य का आपदा प्रबंधन तंत्र कमजोर है और लगभग समाप्त होने की स्थिति में हैं।
जुगरान ने मुख्यमंत्री को बताया कि पिछले 05 वर्षों में लगभग 45 अधिकारी व कार्मिक सेवा से त्यागपत्र दे चुके हैं।
आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की GIS Lab में पिछले 10 वर्षों से कार्यरत 07 अनुभवी कार्मिक जिन्हें अभी गैरविधिक रूप से सेवा से बाहर रखा गया है। प्राधिकरण की GIS lab को 05 वर्षों से ताला लगा रखा है, क्या यह सब आपदा प्रबंधन विभाग के हित में है। पिछले 5 वर्षों से GIS का डेटा अपडेट नहीं हुआ है, क्या 5 वर्ष पुराने डेटा से वर्तमान आपदाओं का असेसमेंट और मैनेजमेंट किया जा सकता है। आपदा प्रबंधन विभाग के निचले स्तर के कुछ अधिकारी विभागीय सचिव और अपर सचिव को GIS डेटा के निरंतर अपडेट होने की झूठी सूचना दे रहे हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वर्तमान GIS डेटा की यदि विशेषज्ञों से जांच कराई जायेगी तो विभागीय अधिकारियों के सामने सारी सच्चाई आ जायेगी।
इनके अलावा पिछले 08 माह में प्रतिनियुक्ति पर आये 04 कर्मचारी अपनी आधी सेवा में ही त्याग पत्र देकर वापस अपने मूल विभाग में चले गये हैं और अब अन्य 03 कार्मिकों के द्वारा भी प्रतिनियुक्ति की सेवा छोड़ने के लिये आवेदन किया गया है
जुगरान ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि एक उच्च स्तरीय जाँच समिति गठित की जाये और आपदा प्रबंधन विभाग में हुये अब तक के सभी करोड़ों रुपय के घोटालों की जाँच की जाये, उन सभी अधिकारीयों और कार्मिकों का चिन्हीकरण किया जाये जो घोटालों में संलिप्त रहे हैं, उन पर दंडात्मक कार्यवाही और उनसे तत्काल रिकवरी की जाये
जुगरान ने मुख्यमंत्री से यह भी मांग की है कि यह भी जाँच की जाये कि सेवा से त्याग पत्र देने वाले अधिकारियों और कार्मिकों में कितने लोग घोटालों में संलिप्त रहे हैं, ऐसे कितने लोग हैं जो घोटाले के उजागर होने के कारण त्याग पत्र दे रहे हैं, उन सभी कारणों की जाँच की जाये कि इमानदार लोग इस विभाग में काम क्यों नहीं कर पा रहे हैं ऐसे कौन से हालात है जो इमानदार लोग इस विभाग से सेवा छोड़ कर जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने जाँच कराकर सख्त कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है, आपदा प्रबंधन विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है इसलिए निश्चित ही मुख्यमंत्री अपनी जीरो टॉलरेंस निति के तहत इस शिकायत पर कोई ठोंस कदम उठाएंगे।