उत्तराखंड से बड़ी खबर

कृषि मंत्री गणेश जोशी का बड़ा बयान,राज्य बनने के बाद 2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि हुई कम,तुरंत लगे प्रदेश में कृषि भूमि बेचने पर रोक

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा प्रदेश में वृहद भू कानून लाने का जहां ऐलान कर दिया गया है,तो वहीं नगर निगम क्षेत्र से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन जिन बाहरी प्रदेश के लोगों के द्वारा एक ही परिवार के नाम पर 250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन खरीदी गई है,उनकी जांच करने का भी ऐलान सीएम के द्वारा कर दिया गया है,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर अब पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई है,आखिर धामी सरकार क्या कुछ प्रावधान भू कानून में अब करती है। लेकिन वह कानून को लेकर सड़कों पर आंदोलन कर रहे मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति की जो मांगे भू कानून को लेकर है उनको भी समझ लीजिए।

मूल निवास संघर्ष समिति की मांग

उत्तराखंड में कृषि योग्य भूमि खरीदने पर बाहरी लोगों का लगे पूर्ण रूप से प्रतिबंध

नगर निगम क्षेत्र में बाहरी प्रदेश के लोगो के लिए 200 वर्ग मीटर जमीन खरीदने का बने नियम,30 साल प्रदेश में निवास करने वाला व्यक्ति ही खरीद पाए नगर निगम छेत्र में जमीन।

उघोगों के लिए 10 साल के लिए जमीन लीज पर दिए जाने का किया जाए प्रावधान,50 प्रतिशत हिस्सेदारी स्थानीय निवासियों की हो।

कृषि मंत्री जोशी का बड़ा बयान

 उत्तराखंड में कृषि योग्य जमीन बचाने को लेकर जहां मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति चिंतित नजर आ रही है, वहीं कृषि मंत्री गणेश जोशी भी समिति की इस मांग पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कह रहे हैं, कि कृषि योग्य जमीन को अगर यदि बचाना है तो इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि राज्य बनने से लेकर अब तक 2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि समाप्त हो गई है, इसलिए इसी तरीके से अगर चला रहा तो भविष्य में कृषि योग्य जमीन नहीं बचने वाली, इसलिए कृषि योग्य जमीन बेचने पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

 

उत्तराखंड में कुल मिलाकर कुछ हद तक हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग उठ रही है, लेकिन हिमाचल में क्या कुछ प्रावधान जमीन खरीदने को लेकर है,हिमाचल आईएफएस कैडर के अधिकारी और उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी का कहना है,कि हिमाचल में बाहरी प्रदेश का व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है,खुद उन्होंने अपनी सेवा काल के दौरान हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकी, हिमाचल में यदि किसी के पास कृषि योग्य भूमि नहीं है और वह हिमाचल के रहने वाला भी है तभी वह कृषि योग्य जमीन नही खरीद सकता है,शहरी क्षेत्रों में केवल बाहरी प्रदेश के व्यक्ति फ्लैट खरीद सकते हैं,यदि अगर बाहरी व्यक्ति अगर शहर में जमीन खरीद्दता है तो मामले की मंजूरी कैबिनेट तक जाती है।

 

 

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