जनता से माफी मांगे और अपने पद से इस्तीफा दे अमित शाह – गुरदीप सिंह
देहरादून। संविधान के 75वें वर्ष के अवसर पर संसद सत्र के दोनों सदनों में संविधान पर व्यापक चर्चा की गई। इस दौरान पक्ष औैर विपक्ष सभी दलो के चुने हुए सासंदो ने सदन की गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखते हुए पुरजोर रूप से अपनी बाद रखी। संविधान पर अपने विचार रखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने बाबा साहेब का अपमान करते हुए कहा कि अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर कहना तो जैसे आजकल फैशन बन गया है, इतनी बार अगर ईश्वर का नाम लिया होता तो ईश्वर स्वयं मिल जाते। केन्दीय गृहमंत्री के द्वारा बाबा साहेब के इस अपमान से देश का जनमानस आहत हुआ है। इस अपमान से ना सिर्फ अमितशाह बल्कि संघ और भाजपा कि संविधान और बाबा साहेब से नफरत उजागर हुई है। बाबा साहेब का अपमान भी भाजपा ने किया माफी मांगना तो दूर देश में कांग्रेस और अंबेडकर के रिशतों को लेकर झूठ फैलाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। आरएसएस और भाजपा का इतिहासए कोशिशें और काम इस बात के गवाह हैं कि संघ और भाजपा मनुस्मृति के आधार पर भारतीय संविधान चाहते थे। इसीलिए ऑर्गनाइज़र मैगज़ीन में संविधान बनने के तीन दिन बाद लिखा था कि भारत के संविधान से वो सहमत नहीं हैं।
जनवरी 1993 में उनका व्हाइट पेपर आया था जो संविधान बदलने की बात करता है। इण्डियन एक्सप्रेस में आरएसएस के राजेंद्र सिंह संविधान बदलने के लिए लिखते हैं और तब के बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी इसकी माँग करते हैं। वाजपेयी सरकार ने ने कॉस्ट्यिूशन रिब्यू कमीशन बनाया था। जिसे राष्ट्रपति के आर नारायणन ने ख़ारिज कर दिया था। लेकिन आरएसएस और बीजेपी हमेशा से ही संविधान विरोधी रही है।
1952 में हुए लोक सभा के पहले चुनाव में 489 देशों में से कांग्रेस को 364 सीट पर जीत के साथ 75ः बहुमत मिला था। हिंदू महासभा को सिर्फ़ 4 और भारतीय जनसंघ जो बीजेपी का पुराना अवतार थीए उसे 3 सीट मिली थी। जवाहरलाल नेहरू ने इस बहुमत का इस्तेमाल लोकतंत्र और संविधान की जडों को मजबूत करने के लिए किया। जवाहरलाल नेहरू और डा. अंबेडकर हिन्दू कोड बिल लाना चाहते थे। 11 दिसंबरए 1949 को आरएसएस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में बिल के विरोध में रैली की। अगले दिन आरएसएस ने असेंबली ;संसद भवन का मार्च किया और बिल और नेहरू विरोधी नारे लगाए।
इस मार्च में आरएसएस कार्यकर्ताओं ने नेहरू और डॉ अंबेडकर के पुतले जलाए। आंदोलन का नेतृत्व स्वामी करपात्री महाराज ने किया थाए जो ब्राह्मणों के क्षेत्र में एक अछूत अंबेडकर के दखल के ख़िलाफ़ थे। 1950 और 1951 नेहरू .अंबेडकर ने बिल पास करने की कई बार कोशिश की। लेकिन आरएसएस और दूसरे रूढ़िवादियों के विरोध के कारण सफल नहीं हुए। ऐसे मुठ्ठीभर रूढ़िवादी कांग्रेस में भी थे जा महिलाओं को अधिकार देने को धर्म विरुद्ध मानते थे। 17 सितंबर 1951 को स्वामी करपात्री और उनके लोगों ने संसद का घेराव कियाए जिसमें लाठीचार्ज भी हुआ।
इस बीचए 1952 का पहला लोकसभा चुनाव घोषित हो गया। ये बिल नेहरू के चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया। इस चुनाव में नेहरू ने और कांग्रेस ने ज़बरदस्त जीत हासिल की। कांग्रेस को देश भर में 364 सीट मिलीए जनसंघ को 3 और हिंदू महासभा को 4 सीट ही मिली थी। नेहरू और डॉ अंबेडकर का महिलाओं को अधिकार देने का प्रयास संघ और हिंदू महासभा को चुनाव में हरा कर ही आगे बढ़ सका था। उसी के बाद नेहरू ने हिंदू कोड बिल को चार अलग अलग बिल में बांट कर संसद में पास किया था। आज भारत की महिलायें जो कर सकी हैंए उनकी स्थिति में आज़ादी के बाद जो बदलाव हुआ हैए उसमें नेहरू.अंबेडकर की सोच का और संघर्ष का पूरा योगदान है।
डॉ अम्बेडकर की निराशा और इस्तीफ़े का कारण आरएसएस हिंदू महासभा का और दूसरे रूढ़िवादियों का ज़बरदस्त विरोध था। आज संघ के लोग मजबूरी में डॉ अंबेडकर को मानते हैं क्योंकि उनका विरोध राजनैतिक रूप से ख़तरनाक है। लेकिन बाबा साहेब के जीतेजी आरएसएस और हिन्दू महासभा के द्वारा उनका विरोध इतिहास में दर्ज है। बाबा साहेब की इससे बड़ी जीत नही हो सकती की जिन लोगों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में उनके पुुतले जलाएं थे और गालियां दी थी आज वहीं लोग उनके सामने घुटने टेकने का काम कर रहे है। बाबा साहेब को संविधान सभा में लाने वाली भी कांग्रेस थी, जब बंगाल से बाबा साहेब की सीट पाकिस्तान बंटवारें में चली गई थी, तो मुम्बई से अपने साथी को इस्तीफा दिलवाकर अंबेडकर को मुम्बई की सीट से सदन पहुचाने वाली भी कांग्रेस थी।
उन्हे कांग्रेस के द्वारा स्ंाविधान ड्राफटिंग कमेटी का चौयरमैन नियुक्त किया गया, उनको भारत सरकार की पहली केबिनेट में लां मिनिस्टर बनाया गया, संसद परिसर में बाहर की तरफ अम्बेडकर की दो प्रतिमाएं है, दोनो ही कांग्रेस की सरकार द्वारा स्थापित की गई है। और यहां यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है की कांग्रेस ने बाबा साहेब अंबेडकर पर कोई एहसान नही किया, वह इस सम्मान के हकदार है और हमेशा रहेगें। बाबा साहेब और उनका दिया अनूठा, अद्वभूत और अद्वितीय संविधान कल भी प्रासंगिक थे और आज भी है और भविष्य में भी रहेगें।
बाबा साहेब अम्बेडकर सिर्फ एक नाम या देश के नेता नही जन-जन के हृदय मे बसते है। इसलिए कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि केन्दीय गृहमंत्री को मुद्दे से ध्यान भटकाने की नौटंकी से बाज आकर देश की देवतुल्य जनता जिनकी भावनाओं को उन्होने बाबा साहेब का अपमान कर के आहत किया है उनसे माफी मांगनी चाहिए और तत्काल अपने पद से इस्तिफा देना चाहिए।
प्रेसवार्ता के दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी , राजनीतिक/मीडिया सलाहकार (मा0 अध्यक्ष) सरदार अमरजीत सिंह बुदिजीवी प्रकोष्ठ अध्यक्ष प्रदीप जोशी, प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिह बिष्ट एवं अभिनव थापा मौजूद रहे।