उत्तराखंड सचिवालय में गलत वेतन रिकवरी के लिए अपनों और गैरों में भेदभाव,पारदर्शिता के तराजू पर उठ रहे है सवाल
देहरादून । उत्तराखंड शासन में अपने खास लोगो के लिए अलग और और गैरों के लिए अलग – अलग नियम चलते है जी हां एक तरफ शासन ने गलत वेतनमान के चलते निजी सचिव संवर्ग के 35 नियमित कर्मचारियों से तत्काल रिकवरी करने के आदेश दिए हैं तो वहीं दूसरी तरफ आपदा प्रबंधन में फर्जी पुनरनियुक्ति किये गये संविदा कर्मचारी के. एन. पान्डे से 15 लाख रुपए के अवैध वेतन की रिकवरी को बचाने की जी तोड कोशिश की जा रही है।
भाजपा नेता ने खोला मोर्चा
भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने एक बार फिर से नवनियुक्त मुख्य सचिव ओमप्रकाश को पत्र देकर के एन पांडेय के प्रकरण से अवगत कराया। जुगरान ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि उन्होने 8 माह पहले 10 जनवरी 2020 को इस फर्जी पुनर्नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को गुमराह करके कुछ चुनींदा चहेते कर्मचारियों के नियम विरूध कराये गये विलय और कुछ संविदा कर्मचारियों की षड्यंत्र करके मंत्रिमंडल के आदेश से सेवा समाप्त करवाने के विषय में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव,उत्तराखंड शासन व सचिव आपदा प्रबंधन को पत्र लिखकर इस फर्जी पुनर्नियूक्ती के विषय में अवगत करवाया था । लेकिन इन 8 माह में उनके पत्रों पर और इस प्रकरण पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इन 8 माह में जुगरान 5 बार मुख्यमंत्री और शासन को इस विषय में पत्र दे चुके हैं, और आज छठी बार उन्होंने नवनियुक्त मुख्य सचिव को पत्र दिया है। जुगरान ने बताया कि वे इस प्रकरण पर शपथ पत्र के साथ सभी साक्ष्य भी 03 जुलाई 2020 को मुख्य सचिव और अपर सचिव आपदा प्रबंधन को दे चुके हैं लेकिन शपथ पत्र पर क्या कार्यवाही की गयी उसका कोई अता पता नहीं है।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश से उम्मीदें
जुगरान ने आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग ने के एन पान्डेय की पुनर्नियूक्ती करने के लिये मुख्यमंत्री जो कि विभागीय मंत्री भी है उनका अनुमोदन लेना उचित नहीं समझा और चुपचाप 1,37,000 एक लाख सैंतीस हजार रुपय महीना वेतन पर उनकी पुनर्नियूक्ती कर दी। अब प्रकरण सार्वजनिक होने पर मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश भी नहीं माने जा रहे है। जुगरान ने बताया कि के एन पान्डे की पुनर्नियूक्ती में 27 अप्रैल 2018 के शासनादेश का अनुपालन नहीं किया गया । उक्त शासनादेश के अनुसार के एन पांडे की पुनः नियुक्ति के लिए कार्मिक विभाग से अनुमति लेना आवश्यक था और वेतन निर्धारण वित्त विभाग से करवाना आवश्यक था । लेकिन इस पुनर्नियुक्ति के लिए इन दोनों विभाग से कोई भी अनुमति प्राप्त नहीं की गई। इसलिये यह पुनर्नियूक्ती नियम्विरूध और अवैध थी इसलिये 27 अप्रैल के शासनादेश के क्रम में के एन पान्डे को दिये गये अवैध वेतन 15 लाख रुपय की रिकवरी होनी है। जुगरान ने कहा कि जैसे 35 नियमित कार्मिकों को दिये गये अवैध वेतन की रिकवरी की जा रही है उसी प्रकार इस संविदा कार्मिक को दिये गये अवैध वेतन की भी नियमानुसार तत्काल रिकवरी शासन करे। नियम सभी के लिये समान हैं। जुगरान ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि नये मुख्य सचिव इस प्रकरण और उनके पत्र का अवश्य संज्ञान लेंगें और नियमानुसार तत्काल कार्यवाही करेंगे क्योंकि इस प्रकरण से माननीय मुख्यमंत्री और सरकार की छवि खराब हो रही है ।