शिक्षा विभाग से बड़ी खबर

उत्तराखंड : पहले प्रमोशन पाने के लिए कर रहे थे आंदोलन,अब प्रमोशन मिला तो लाभ न लेने के लिए ढूंढ रहे है बहाने

देहरादून। उत्तराखंड में कर्मचारियों के अजग गजब के नखरे और बहाने,जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा हम क्यों कह रह है तो वह भी समझ लीजिए। उत्तराखंड में जब प्रमोशन पर रोक लगी हुई थी तो तब सड़कों पर कर्मचारी प्रमोशन पर रोक हटाने के लिए आंदोलन कर रहे थे,लेकिन अब जब सरकार ने प्रमोशन पर से रोक हटा दी है,और कर्मचारियों को प्रमोशन देना शुरू कर दिया है तो प्रमोशन लेने में भी कर्मचारी नखरे दिखा रहे है,और प्रमोशन पाने के लिए समय मांग रहे है।

शिक्षा विभाग में सामने आ रहे है मामले

उत्तराखंड के सभी विभागों में प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू हो गई,शिक्षा विभाग में बंफर प्रमोशन देखने को मिल रहे है,लेकिन कई कर्मचारी है कि प्रमोशन लेने के मूड़ में नजर नहीं आ रही है,वह भी तक जब प्रदेश में प्रमोशन छाड़ने के लिए नियमावली लागू की गई,जिसमें प्रमोशन त्यागना भारी पड़ने जैसा है। शिक्षा विभाग में 6 अगस्त को वरिष्ठ सहायक के पदों से प्रधान सहायक के पदों पर 360 कर्मिकों को प्रमोशन का तौहफा मिला,लेकिन 25 से 30 लोगों इस तौहफे को अभी लेने के मूड़ में नहीं है। अपर प्रारंभिक निदेशक बीएस रावत का कहना है कि अभी तक प्रमोशन पाएं 25 से 30 ऐसे वरिष्ठ सहायक के पदों से प्रधान सहायक के पदों प्रमोशन पाएं लोगों ने नवीन तैनाती स्थल पर ज्वाइन करने के लिए 3 से 6 माह का समय मांगा है,इसलिए अब आवेदनों को देखा जाएंगा कि किसी क्या परिस्थिति है। उसके बाद ही कुछ निर्णय लिया जाएगा। यदि कुछ लोगों को 15 दिन का ज्वाइंन करने का समय दिए जाने के लिए समझा जाएगा तो वह भी किया जाएगा।

बड़ा सवाल क्यों नहीं लेना चाहते है प्रमोशन

हर किसी कर्मचारी का सपना होता है कि उसको सरकारी नौकरी में पद बढ़ने के साथ तनख्वाह बढ़े,लेकिन उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां कर्मचारी इस सपने को इस लिए त्यागने के लिए तत्पर रहते है,कहीं सेवाएं दुगर्म में न देनी पड़े। शिक्षा विभाग में जो लोगों प्रमोशन पाने के बाद प्रमोशन पाने के लिए समय मांग रहे है,बताया जा रहा है कि उनकी पोस्टिंग मनचाही जगह प्रमोशन पाने के बाद नहीं हुई है,इसलिए वह ज्वाइंन करने के लिए समय मांग रहे हैं। ताकि कुछ माह का विभाग से समय मांगा जाएं और उसके बाद राजनैतिक दबाव के बाद मनचाही जगह पोस्टिंग पाई जाएं। लेकिन ऐेसे में देखना ये होगा कि जब आखिर उत्तराखंड में प्रमोशन त्यागने के लिए त्रिवेंद्र सरकार के द्धारा नियमावली बनाई गई है तो शिक्षा विभाग में प्रमोशल त्यागने वाले लोगों पर शिक्षा विभाग क्या रूख अपनाता है। 

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