उत्तराखंड से बड़ी खबर

अभिभावक अधिकार मंच करेगा स्कूल खोले जाने का विरोध,सभी अभिभावकों को भी करेंगे जागरूक

देहरादून । उत्तराखंड सरकार जहाँ केंद्र सरकार के द्वारा 15 अक्टूबर से स्कूल खोलने की छूट मिलने पर स्कूल खोलने को लेकर विचार कर रही है, लेकिन वही इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है,अखिल भारतीय छात्र अभिभावक अधिकार मंच के अध्यक्ष कुंवर जपेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा के प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल में 15 अक्टूबर से खोलने की प्रक्रिया चल रही है! वही पिछले दिनों से लगातार  प्रदेश में संक्रमण जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है । उससे बच्चे स्कूलों में महफूज नहीं रह पाएंगे।वार्ता के दौरान मंच के अध्यक्ष ने कहा की हम स्कूल खुलने का विरोध करेंगे और प्रदेश भर में अभिभावक संघ जागरूकता अभियान भी चलाएंगे!

जपेंद्र ने सवाल खड़ा करते हुए कहा जो प्राइवेट स्कूल ,स्कूल को खोलने के लिए लगातार सरकार के ऊपर दबाव बना रहे हैं क्या किसी अनहोनी होने पर वो जिमेदारी लेने को तैयार हैं। कुँवर जपेंद्र का कहना है कि प्रदेश को बने हुए 20 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक राज्य की अपनी शिक्षा नीति नही बन पाई है ना ही राज्य का फीस एक्ट बना है, जिस कारण से प्राइवेट स्कूल लगातार अपनी मनमानी करते आए हैं और शिक्षा को व्यापार बनाने का काम कर रहे हैं। जिस कारण अभिभावक लगातार परेशान होते हैं उसके बावजूद भी अलग-अलग एक्टिविटीज के नाम पर उनके जेब में डाका डालने का काम प्राइवेट स्कूल की ओर से जारी रहता है।

अखिल भारतीय छात्र अभिभावक अधिकार मंच के अध्यक्ष जपिन्द्र सिंह ने बताया कि जिस तरह से स्कूल संचालक स्कूल खोलने के लिए दबाव बनाने के लिए प्रयास कर रहे है,यह किसी भी तरह से उचित नही है।उत्तराखंड के अभिभवकों का सबसे बड़ा सवाल है कि अगर स्कूल खुलने के बाद उनके बच्चे स्कूल में जाते है और बच्चे कोरोना सक्रमण का शिकार होते है तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा।क्या इसकी ज़िम्मेदारी शिक्षा विभाग लेने के लिए तैयार है या फिर इसकी ज़िम्मेदारी स्कूल संचालक लेंगे।विभिन स्कूलों के संचालक पहले ही कह चुके है कि हम इसकी ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नही है।तो ऐसे में सक्रमण अभी रुका नही है और सक्रमण फैलता जा रहा है तो ऐसे में बच्चे किस तरह सोशल डिस्टसिंग का पालन करते हुए स्कूल जाएंगे।जिसके चलते उत्तराखंड के अभिभावक स्कूल खुलने के विरोध में है।  

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