सम्पादकीय

निर्णयवीर साबित हो रहे है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र,पढ़िए त्रिवेंद्र के 3 सालों के बड़े निर्णय जो इतिहास के पन्नो में हो गए दर्ज

देहरादून। उत्तराखंड कीे त्रिवेंद्र सरकार को तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया हैै। आज के दिन ही तीन साल पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इन तीन सालों में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्यकाल कई मायिनों में याद रखा जाएंगा,उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के नाम जब भी ऊंगलियों में गिने जाते रहे है तो जुबान पर कार्यकाल की उपब्धियों के साथ घोटाले भी अपने आप याद आ जाते है,कि किस मुख्यमंत्री के शासन काल में कितने घोटले हुए,लेकिन त्रिवेंद सिंह रावत ऐसे मुख्यमंत्री बनकर उभर रहे है । जिनके शासन काल में एक भी घोटाले का आरोप विपक्ष सरकार के उपर नहीं लगा पाई है। किसी भी सरकार को अगर पाक साफ और जनता का हितौषी माना जाता है तो वह सरकार जीरो टाॅयरलेंस की होती है,और त्रिवेंद्र रावत की सरकार ने ये करके दिखा दिया है, कि उत्तराखंड में जीरो टाॅयरलेंस की सरकार पिछले तीन सालों से चल रही है । तीन साल के कार्यकाल पूरे होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ये बात कहीं भी है,कि 3 साल पहले जो नारा उन्होने जीरों टायरलेंस का दिया है । उस पर वह तीन साल बाद भी कायम है। लेकिन तीन साल में जीरों टाॅयरलेंस पर काम करने के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कौन से वो बडे निर्णय लिए है जिनकी चारों तरफ चर्चा 3 साल पूरे होने पर हो रही है वह भी जानना जारूरी है। क्योंकि जब सरकार 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जाएंगी तो यही वह निर्णय होंगे जिन पर भाजपा वोट मांगेगी।

गैरसैंण को ग्राीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का दिखाया साहास

उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दिन 4 मार्च 2020 को गैरसैंण में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट भाषण खत्म करने के बाद गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की जो घोषणा की वह उत्तराखंड बनने के बाद सबसे बड़ी घोषणा प्रदेश वासियों के लिए थी,क्योंकि उत्तराखंड बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ऐसे मुख्यमंत्री है जिन्होने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का साहस दिखाया। 20 सालों के इतिहास में उत्तराखंड को 8 वें मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र सिंह रावत रावत मिले है, जिनहोने गैरसैंण हो ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर उत्तराखंड के इतिहास में इतिहास पुरूष के रूप में अपना नाम दर्ज करा दिया है। नाम तो हर कोई मुख्यमंत्री दर्ज करा सकता था, लेकिन निर्णय लेना कितना मुश्किल था, इस बात का पता इसी से लगाया जा सकता है कि जो निर्णय कोई मुख्यमंत्री नहीं ले पाया वह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ले लिया। बस अब सीएम त्रिवेंद्र से प्रदेश की जनता को उम्मीद है कि गैरसैंण में सरकार बुनियादी सुविधाओं को बढ़ा दे तो स्थाई राजधानी की आस भी गैरसैंण में पूरी हो सकती है।

देवस्थानम श्राइन बोर्ड को लेकर लिया निर्णय

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए एक कहावत है कि जो काम कोई मुख्यमंत्री इसलिए नहीं कर पाएं कि उनहे उन कामों को करने से विरोध झेलना पडेगा, उन कामों को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विरोध झेलते हुए भी पूरा कर लेते है। जी हां चार धाम श्राइन बोर्ड का फैसला भी सभी मुख्यमंत्रियों के समक्ष आया लेकिन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों ने श्राइन बोर्ड को लेकर इसलिए फैसला नहीं लिया कि उसके बदले उनहे विरोध झेलना पड़ेगा,लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्राइन बोर्ड का गठन करने के विरोध को झेलते हुए श्राइन बोर्ड का गठन भी कर दिया और प्रदेश की जनता के साथ विरोध करने वाले तीर्थ पुराहितों को भी यह समझा दिया कि बोर्ड के गठन से सबका फायदा है। त्रिवेंद्र रावत का ये निर्णय भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है कि उत्तराखंड में श्राइन बोर्ड का गठन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। जिसका फायदा चार धाम पर यात्रा पर पहुने वाले लाखों श्रद्धालुओं को हर साल होगा।

तीन साल पूरे होने पर लिया एक और बड़ा निर्णय

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में एक और बात कही जाती है कि जब भी वह कोई निर्णय लेते है तो उसका ऐहसास किसी को नहीं होता,गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का फैसला भी उन्ही फैसलों में एक था। तो वहीं आज प्रमोशन में आरक्षण न दिए जाने का फैसला भी इन्ही में एक है,आज किसी को ऐहसास नहीं था कि मुख्यमंत्री इतना बड़ा फैसला सुना देंगे,लेकिन मुख्यमंत्री ने ये भी फैसला लिया । क्योंकि कुछ लोग कयास लगा रहे थे कि फैसला लेने में सरकार समय लगाएंगी।

निर्णयवीर बन रहे हैं त्रिवेंद्र

गैरैसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना,जीरो टाॅयरलेंस के साथ सरकार चलाना,देवस्थाना श्राइन बोर्ड का गठन करना और प्रमोशन में आरक्षण देने या न देने के भंवर में फंसी सरकार के निर्णय लेने की क्षमता मुख्यमंत्री को निर्णवीर बनाती है। ये वो बड़े निर्णय है जो मुख्यमंत्री ने महज तीन सालों के भीतर लिए है। मुख्यमंत्री के कई ऐसे फैसले है जिनका जिक्र हम समय – समय पर आपसे करते रहेंगे,लेकिन इतना साफा है कि पिछले तीन सालों में जितने बड़े और गंभीर निर्णय मुख्यमंत्री ने 3 सालों में बेहिचक लिए है वह प्रदेश के हित देखते हुए महत्त्वपूर्ण है । और अगर मुख्यमंत्री अगले दो सालों में इसी तरह के निर्णय ले तो प्रदेश के लिए बेहतर होगा। अपणु उत्तराखंड भी मुख्यमंत्री के बड़े निर्णयों को लेने के लिए उनके सहास की सरहाना करता है। उम्मीद करते है कि मुख्यमंत्री को और बल मिले ऐसे निर्णयों को वह लेते रहें जो उत्तराखंड के इतिहास में दर्ज हों ।

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