आपदा विभाग के घोटालों को लेकर भाजपा नेता जुगरान ने मुख्य सचिव से की मुलाकात,कार्रवाई न होने पर कोर्ट में मामला ले जाने की कही बात
देहरादून । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने 31 दिसंबर को मुख्य सचिव से मुलाकात करके उनको एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव को अवगत करवाया कि आपदा प्रबंधन विभाग में अब तक हुये कई घोटालों को वे अब जनहित याचिका में योजित करने जा रहे हैं। लेकिन जनहित याचिका योजित करने से पहले वे वर्तमान मुख्य सचिव को पूरे प्रकरण के बारे में बता देना चाहते हैं। क्योंकि ये सभी प्रकरण उनके कार्यकाल के नहीं है और इन प्रकरणों के बारे में आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें कुछ भी बताया नहीं होगा। जुगरान ने मुख्य सचिव को बताया कि पूर्व मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और पूर्व आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी के कार्यकाल में आपदा प्रबंधन विभाग के अन्तर्गत कई वित्तीय घोटाले हुये हैं और कई बार फर्जी नियुक्तियां हुयी हैं । जुगरान ने मुख्य सचिव को बताया कि फर्जी नियुक्तियों से संबंधीत 05 मुकदमे आपदा प्रबंधन विभाग पर चल रहे हैं जो कि केवल आपदा प्रबंधन विभाग के पूर्व सचिव और अन्य अधिकारियों की मनमानी और नियम विरूध कार्य करने की वजह से हुये हैं, जिनके कारण सरकार की बदनामी हो रही है। आपदा प्रबंधन विभाग मुख्यमंत्र के अधीन है और मा.मुख्यमंत्री और मा. मंत्रिमंडल से छुपाकर और भ्रामक तथ्यों को प्रस्तुत करके नियम विरूध और गैर विधिक प्रस्ताव अनुमोदित करवाये गये हैं जिससे मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल की साख खराब हो रही है। जुगरान ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के समक्ष झूठे तथ्य प्रस्तुत करके और मंत्रिमंडल के पूर्व में लिये गये निर्णयों के विरूध कार्य करना दण्डनीय अपराध है जिसके लिये आपदा प्रबंधन विभाग के तत्कालीन सभी अधिकारियों पर उच्च स्तरीय जाँच करके दन्डनीय कार्यवाही की जानी चाहिये। जुगरान ने अपने पत्र में कई गम्भीर आरोप लगाये है जो इस प्रकार है।
1- DHI consultancy को 27 करोड 27 लाख में उत्तराखण्ड के Disaster risk assessment का कार्य दिया गया, लेकिन DHI के द्वारा प्रदान किया गया डाटा गलत और अनुपयोगी है। आपदा प्रबंधन विभाग के अन्तर्गत DMMC में काम कर रहे संविदा कार्मिकों को इस डाटा को update करने का कार्य दिया गया, जिन्होने डाटा का परीक्षण करके तत्कालीन सचिव आपदा प्रबंधन और विभागाध्यक्ष अमित नेगी को लिखित रूप में इस डाटा की हकिकत बतायी कि यह डाटा गलत और अनुपयोगी है। जो लोग इस डाटा के लिये जिम्मेदार थे उन पर कार्यवाही करने के बजाय इस घोटाले को दबाने की नियत से 08 बेगुनाह संविदा कर्मचारियों की सेवा को समाप्त करने का षड्यंत्र रच दिया गया और उन्हे विभागीय विलय प्रक्रिया से बाहर करके तथा मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को गुमराह करके मंत्रिमंडल के निर्णय से ही 11 वर्षों से कार्यरत इन संविदा कार्मिकों की सेवा को समाप्त करवा दिया गया। और अब आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों द्वारा इन कार्मिकों की सेवा समाप्त होने का सारा दोष मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के उपर थोपा जा रहा है। जुगरान ने मुख्य सचिव से निवेदन किया है कि इस निर्णय को संशोधित किया जाये और सभी 08 संविदा कार्मिकों की सेवा पूर्व की भाँती यथावत की जाये। जुगरान ने आरोप लगाया कि यदि सचिव आपदा प्रबंधन ने नियमानुसार कार्य किया है तो उन्होंने मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किये गये प्रस्ताव में यह क्यों नहीं दर्शाया कि इस विलय प्रक्रिया में 08 संविदा कार्मिकों की सेवा समाप्त की जा रही है और क्यों की जा रही है। मंत्रिमंडल से तथ्य छुपाकर गलत निर्णय करवाना दंडनीय अपराध है, इसकी तत्काल जाँच करवाकर दोषियों को दण्डित किया जाये।
2- जुगरान ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि मंत्रिमंडल ने 11 अक्टूबर 2017 को DMMC को USDMA में विलय करने का निर्णय लिया था और DMMC के सभी कार्मिकों को USDMA में विलय करने का निर्णय लिया था, ऐसा ही निर्णय DMMC की शासी निकाय की दो बैठकों में लिया गया था, लेकिन आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी ने इन निर्णयों के विरूध DMMC के केवल चुनींदा कार्मिको के विलय का प्रस्ताव दिनांक 13 नवंबर 2019 को मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया और मंत्रिमंडल से यह बात छुपाई कि इस विलय प्रस्ताव में 08 संविदा कार्मिकों को सम्मिलित ना करके उनकी सेवा समाप्त करवायी जा रही है। आपदा प्रबंधन के तत्कालिन सचिव श्री अमित नेगी और विभाग के अन्य अधिकारियों द्वारा यह गैर विधिक और जनविरोधी कार्य किया गया है।
3- जुगरान ने तीसरा आरोप लगाया कि विलय का निर्णय केवल स्वायत्तशासी संस्थान DMMC के कार्मिकों के लिये हुआ था लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग ने DMMC की आड़ में राज्य सरकार के अधीन एक अलग से गठित संस्थान राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के सभी outsource कार्मिकों का विलय करवाया जबकि SEOC के कार्मिकों के विलय किये जाने के लिये कभी भी कोई निर्णय लिया ही नहीं गया था। जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा अपने चहेते सगे संबंधियों को outsource से नियुक्त किया हुआ है तथा कुछ आउटसोर्स कार्मिकों को DMMC के अधिकारियों द्वारा मोटी रकम लेकर आउटसोर्स से नियुक्ति दी गयी है और अब उन सभी को पदों के सापेक्ष ऐडजस्ट करने की नियत से मा. मंत्रिमंडल से तथ्यों को छुपाकर चुपचाप इस नियम विरूध विलय प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। जुगरान ने इसकी तत्काल जाँच करने और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
4- जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि DMMC के सभी कार्मिकों के विलय किये जाने का निर्णय हुआ था लेकिन DMMC के सभी कार्मिकों का विलय नहीं करवाया गया, इसके उलट SEOC के समस्त कार्मिकों का विलय करवाया गया जबकि SEOC के विलय किये जाने का निर्णय मा. मंत्रिमंडल कभी लिया ही नही था, जब SEOC के विलय किये जाने का निर्णय कभी हुआ ही नही है तो इस विलय प्रक्रिया मे SEOC के कार्मिकों का विलय किस आधार पर और क्यों किया गया इसकी भी उच्च स्तरीय जाँच की जाये और दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाये।
5- जुगरान ने अपने पत्र मे मुख्य सचिव को यह भी बताया कि इस विलय प्रक्रिया मे outsource एजेन्सी के कार्मिकों को प्राथमिकता दी गयी और संविदा कार्मिकों को विलय प्रक्रिया से बाहर किया गया। जबकि संविदा outsource से उच्च स्तर का सेवायोजन है, जिन संविदा कर्मचारियों को विलय प्रक्रिया से बाहर करके सेवा समाप्त की गयी वो 10 वर्षों से कार्यरत थे जबकि outsource एजेन्सी के ऐसे कार्मिकों को भी इस विलय प्रक्रिया में सम्मिलित किया गया जिनकी सेवा अभी मात्र 4 या 5 साल ही हुयी थी। जुगरान ने कहा कि किस नियम के अनुसार 4 साल से कार्यरत outsource कार्मिकों का विलय किया गया और 10 साल से कार्यरत संविदा कार्मिकों को बाहर कर दिया गया, इसकी जाँच करवायी जाये।
6- जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि outsource कार्मिकों को विभागों मे समायोजित करने के निर्णय के खिलाफ सरकार और शासन ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुयी है तो फिर इस subjudice प्रकरण में outsource कार्मिकों का समायोजन USDMA में कैसे कर दिया गया, यह तो न्यायालय की अवहेलना है। जुगरान ने अपने पत्र में मुख्य सचिव से निवेदन किया है कि या तो मुख्य सचिव स्वयं हस्तक्षेप करके इन प्रकरणों की तत्काल जाँच कराकर विधिक और न्यायसंगत निर्णय लें अन्यथा वे बहुत जल्द इन सब उपरोक्त प्रकरणों और आपदा प्रबंधन विभाग के अन्य घोटालों को संयुक्त रूप से जनहित याचिका में योजित कर देंगे। अब देखना है कि वर्तमान मुख्य सचिव ओम प्रकाश इसमें क्या कार्यवाही करते हैं, क्या वे पूर्व मुख्य सचिव और आपदा प्रबंधन सचिव के कार्यकाल में हुये इन अविधिक कार्यों को नियमानुसार निर्णय लेकर तत्काल निस्तारित करते हैं या फिर इन प्रकरणों पर भी न्यायालय के द्वारा ही कोई निर्णय लिया जायेगा, जिस प्रकार अभी कुछ समय से आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के प्रति न्यायालय का सख्त रुख रहा है और बहुत ही तल्ख़ टिप्पणिया उनके खिलाफ की है इससे तो यह यह लगता है कि नये मुख्य सचिव जो कि आपदा प्रबंधन विभाग के CEO भी है स्वयम अपने स्तर से अवश्य ही इन प्रकरणों पर कार्यवाही करेंगे और सभी विवादों का निस्तारण करेंगे।