कर्मकार कल्याण बोर्ड में सियासी ड्रामा,दफ्तर बना जंग का मैदान,कभी यहां तो कभी वहाँ चल रहा है शिफ्टिंग का खेल
देहरादून। उत्तराखंड में जनता के धन का दुरूप्रयोग किस तरह किया जा रहा है। इसका एक ऐसा उदहारण हम आपको बताने जा रहे है,जिससे आप भी कहिएंगे कि सत्ता में बैठे लोगों को जनता की गढ़ाई कमाई चिंता नहीं बल्कि जनता की गढाई कमाई लुटाने की चिंता हर वक्त संताती है। उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्माकार कल्याण बोर्ड पर तीरथ सरकार बेवजह ज्यादा किराया आदा कर जनता के धन का दुरुपयोग का रही है, उत्तराखंड में कर्माकार कल्याण बोर्ड का कार्यालय सियासी फुटबाॅल बना हुआ है,जो कभी किसी भवन में शिफ्ट हो रहा है तो कभी कहीं शिफ्ट हो रहा है। जिससे कई सवाल बोर्ड पर और श्रम मंत्री हरक सिंह रावत पर भी उठ रहें है। बोर्ड कार्यालय पहले हल्द्धानी से देहरादून शिफ्ट हो गया था और फिर देहरादून में कभी कहीं तो कभी कहीं शिफ्ट हो रहा है। उत्तराखंड में भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा क्या बदला कर्माकार कल्याण बोर्ड का कार्यालय फिर शिफ्ट गया। आपको बतादे की त्रिवेंद्र सरकार में बार्ड का कार्यालय नेहरू कालाॅनी से शिफ्ट होकर तीलू रैतीली भवन में चले गया था,जहां बोर्ड को कोई किराया नहीं भरना पड़ रहा था,लेकिन बताया जा रहा है कि जैसे की तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने और हरक सिंह जोश में लौट आएं तो बोर्ड के ऑफिस का सम्मान तीलू रैतेली भवन से उठाकार फिर से नेहरू कालोनी में शिफ्ट हो गया, जहां पहले कार्यालय चल रहा था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसी कोन सी मजबूरी आ गई थी,जो बिना किराया का दफ्तर सरकारी कार्यालय में चल रहा था,उसे श्रम मंत्री के बवाव में फिर से 60 हजार रूपये किराया के मकान में शिफ्ट किया गया। अब फिर से कर्मकार कल्याण बोर्ड कार्यालय ढूढ रहा है। जिससे स्पष्ट होता है कि जिस तहर फुटबॉल के मैदान में फुटबाल कभी किसी गोल पोस्ट तो कभी किसी गोल पोस्ट में पहंचती रहती है,वैसे ही कर्माकार कल्याण बोर्ड कार्यालय भी है जो भी कहीं जो कभी कहीं शिफ्ट हो जाता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि आखिर सरकार की ऐसे कोन सी मजबूरी थी,जिस नेहरू काॅलोनी के भवन में कार्यालय के रहते बिजली और पानी का कनेक्शन काट दिया गया था,उसी भवन में तीरथ सरकार आने के बाद कार्यालय फिर शिफ्ट किया गया है।