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Exclusive:शिक्षा विभाग में नियमों को तक पर रखते हुए हो गयी प्रतिनियुक्ति,न मंत्री का अनुमोदन न सीएम का अनुमोदन,फिर भी हो गया स्थान्तरण का खेल

देहरादून। उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार को आम जनता ने इसलिए चुना था,ताकि आम जनता की समस्याओं के साथ उत्तराखंड में कर्मचारियों के साथ जो भेदभाव होता है वह भी ना हो,लेकिन उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार में एक ऐसा ऐतिहासिक काम हुआ है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यह काम किसी और विभाग में नहीं बल्कि शिक्षा विभाग में हुआ जो हमेशा से ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए सुर्खियों में रहता है। सुर्ख़ियों की वजह नेताओं की पहुंच के चलते ट्रांसफर पोस्टिंग इतनी आसानी से हो जाती हैं, कि मानो यह इतना आसान काम हो जैसे मन की मुराद मांगी और वह चंद मिनटों में पूरी हो जाए । लेकिन जो शिक्षक सालों से दुर्गम में इस आस के साथ जीते हैं,कि उनको भी कभी सुगम में सेवा देने का मौका मिलेगा, उनके लिए यह मुराद इसलिए पूरी नहीं हो पाती क्योंकि उनके ऊपर किसी राजनीतिक पहुंच का आशीर्वाद नहीं होता। शिक्षा विभाग में एक प्रतिनियुक्ति या सेवा हस्तांतरण चर्चाओं का विषय बना हुआ है, जिसमें बड़ी राजनीतिक पहुंच के चलते तबादला सत्र शून्य होने के ठीक कुछ महीने आदेश जारी हो जाता है। ऐसे में शिक्षक यही सोच रहे हैं आखिर खास उनके ऊपर भी किसी बड़ी राजनीतिक हस्ती का हाथ होता तो उनका तबादला भी बड़ी आसानी से हो जाता वह भी ना तो शिक्षा मंत्री के अनुमोदन के और ना ही मुख्यमंत्री के अनुमोदन के। दरअसल 19 अप्रैल को भौतिक विज्ञान की प्रवक्ता प्रियंका कोश्यारी का तबादला राजकीय इंटर कॉलेज बढ़ावे पिथौरागढ़ जिले से डायट उधम सिंह नगर में हो गया। जिसकी भनक किसी को नहीं लगी। लेकिन उनके प्रतिनियुक्ति के आदेश की कॉपी हमें प्राप्त हुई है, जिसमें उनका उनका हस्तांतरण भी हो गया और प्रतिनियुक्ति भी हो गई, लेकिन दोनों में से आदेश किस चीज को लेकर हुए यह भी आदेश में स्पष्ट नहीं है। बताया जा रहा है कि प्रियंका कोश्यारी का बड़ी राजनीतिक पहुंच के चलते अपनी प्रतिनियुक्ति और सेवा स्थान्तरण उधम सिंह नगर के डायट में हो गया । बताया जा रहा है कि जो उनकी प्रतिनियुक्ति या सेवा स्थानांतरण की फाइल थी वह न तो शिक्षा मंत्री तक पहुंची और ना ही मुख्यमंत्री तक। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जिस डबल इंजन की सरकार से जनता को काफी उम्मीदें थी,उस डबल इंजन की सरकार में चहिते शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग मिल रही हैं,और जो आम शिक्षक हैं वह सालों से दुर्गम में इसी आशा के साथ अपने रिटायरमेंट के दिन भी काट रहे हैं की खास कभी तो उनका ट्रांसफर होगा। हाल यह है कि शिक्षा विभाग में हजारों शिक्षकों ने  तबादला एक्ट के तहत धारा 27 में अपने तबादले के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन उनकी अर्जी को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसलिए उत्तराखंड में एक कहावत चरितार्थ हो रही है कि यदि आपको शिक्षा विभाग में तबादला पोस्टिंग या अटैचमेंट करवाना है तो पहले आपको किसी बड़ी राजनीतिक पहुंच तक पहुंचना होगा। ताकि आपके लिए वह नियम कानून,कायदे अर्चन न बने जो उनके लिए बन रहे हैं।

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