शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बने स्थानांतरण को निरस्त करने की उठी मांग,शिक्षक संगठन ने भरी हुंकार
देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में तबादला सत्र शून्य होने से जहां शिक्षकों में सरकार के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा है। वहीं शिक्षा विभाग में एक ऐसी प्रतिनियुक्ति चर्चा का विषय बन गया है। जो बड़़ी राजनैतिक पहुंच से हुई है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्धारा प्रतिनियुक्ति के आदेश में भी ऐसा पसोपेश किया गया है,जिससे शिक्षकों के भी समझ नहीं आ रहा है कि इसे प्रतिनियुक्ति माना जाएं या फिर स्थांतरण माना जाएं। क्योंकि शिक्षा विभाग के मिलिभगत से खास लाभ दुर्गम से सुगम में आने को लेकर पहुंचाया गया है,उस आदेश में दोनों बिंदु लिखे गए है,कि शिक्षिका प्रिंयका कोश्यारी को राजकीय इंटर कॉलेज बढ़ावे पिथौरागढ़ जिले से डायट उधम सिंह नगर में प्रतिनियुक्ति के साथ स्थानांतरण किया जाता है। बताया जा रहा है से प्रतिनियुक्ति या स्थानांतरण बड़ी राजनितिक पहुंच के चलते हुई है,जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रतिनियुक्ति या स्थानांतरण के लिए न तो शिक्षा मंत्री के पास और न ही मुख्यमंत्री से इसका अनुमोदन लिया। जिससे सवाल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पर भी खडे हो रहे है कि क्या शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री की भी अनदेखी अब प्रतिनियुक्ति या स्थानांतरण में कर रहे है। लेकिन अब शिक्षक संगठन ने इस मामले में मोर्चा खोल दिया है। राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी ने सरकार के मांग की है कि प्रिंयका कोश्यारी की जो प्रतिनियुक्ति या स्थानांतरण हुआ है उसे निरस्त किया जाए,और जिन लोगों के द्धारा यह खेल खेल गया है,उनका नाम भी उजागर किया जाए। शिक्षक संगठन का कहना कि यह उन शिक्षकों के साथ छलावा है जो सालों से दुर्गम में सेवाएं दे रहे है,कई शिक्षक गंभीर बिमार है,उनके भी ट्रांसफर धारा 27 में नहीं हो पा रहे है,लेकिन जिनकी पहुंच सीधे अधिकारियों तक है उनके लिए न तबादला कानून है, न कोई नियम कानून है,और नहीं दुर्गम से सुगम में आने के लिए वह तपस्या जो जिससे कई शिक्षक कर रहा है। इस लिए शिक्षक संगठन अब प्रिंयका कोश्यारी पर की गई शिक्षा विभाग की मेहरबानी को वापस लेने की मांग कर रही है।