दून अस्पताल का गजब का कारनामा, पुरुष को कर दिया गर्भवती!
देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज में गड़बड़ियों आम बात है। दून में आए दिन चौकाने वाले मामले सामने आते रहे हैं। गड़बड़ी अनियमितता पाए जाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन दून अस्पताल ने इस बार ऐसी गलती की है जो की हंसी का पात्र बन गया है। जी हां दून से इस बार हैरान करने वाला मामला सामने आया है। राजकीय दून मेडिकल अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग में गर्भीवती महिला ने जांच कराई लेकिन अगले दिन जब उसका पति रिपोर्ट लेने पहुंचा और उसने रिपोर्ट देखी तो वो हैरान रह गया. ये मामला अब हंसी का पात्र बनकर रह गया है। हर कोई दूून अस्पताल की इस गलती पर हंस रहा है।
बता दें कि रिपोर्ट लेने के बाद गर्भवती महिला का पति आनन-फानन में वो फिर से अस्पताल पहुंचा और डॉक्टर से मामले की शिकायत की। बात नहीं सुनी गई तो सीएमएस के जा पहुंचा। सीएमएस ने किसी तरह उनको मनाया और फिर से टेस्ट करवाए। लेकिन, सवाल यह है कि इस तरह की लापरवाही किसी की जान पर भारी पड़ सकती है। हाथीबड़कला निवासी युवक पत्नी को लेकर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉक्टर के पास पहुंचे थे। डॉक्टर ने जरूरी जांच की सलाह दी थी।
इस पर मंगलवार को ही अस्पताल की पैथोलॉजी विभाग में महिला ने जांच के लिए सैंपल दिए थे। बुधवार को युवक पत्नी को साथ लेकर जांच रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुंचे। एक रिपोर्ट आज यानी 11 नवंबर को मिलनी थी। इसलिए महिला डॉक्टर को दिखाने के बजाय वह रिपोर्ट लेकर पत्नी को घर ले गए।
घर जाकर देखा तो जांच रिपोर्ट में पत्नी की जगह किसी पुरुष का नाम था। युवक ओपीडी और जांच रिपोर्ट के पर्चे लेकर फिर पैथोलॉजी विभाग में पहुंचे और अपनी पत्नी की जांच रिपोर्ट मांगी। पैथोलॉजी विभाग के कर्मियों ने खोजबीन की, लेकिन युवक की पत्नी के नाम की जांच रिपोर्ट नहीं मिली।
चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के हस्तक्षेप पर युवक शाम को पत्नी को लेकर फिर से अस्पताल पहुंचे और जांच के लिए दोबारा से सैंपल दिलाया। पत्नी की जगह मिली किसी पुरुष की जांच रिपोर्ट को लेकर जब युवक महिला डॉक्टर के पास पहुंचे तो डॉक्टर भी हैरान रह गई।डॉक्टर ने कहा कि जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी होने से उपचार भी गलत हो सकता है। जो जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा हो सकता है।
ऐसे में इस रिपोर्ट पर विश्वास कर किसी तरह का जोखिम लेना ठीक नहीं है। इसलिए दोबारा जांच कराना उचित होगा। अस्पताल कर्मियों के मुताबिक पैथोलॉजी विभाग में अक्सर इस तरह की गड़बड़ी सामने आती रहती हैं। रोजाना औसतन चार मामले इस तरह की गड़बड़ियों के आ रहे हैं। जिससे मरीजों को मुसीबत होती है।