शिक्षा विभाग से बड़ी खबर

SCERT नियमवाली पर घमासान,अधिकारियों ने की मनमानी तो कोर्ट जाएंगे शिक्षक संगठन

देहरादून । उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणंता में सुधार होने की बजाय शैक्षणिक गुणंता में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है । फिर भी उत्तराखंड में शैक्षणिक गुणंवत्ता में सुधार के लिए पिछले 7 सालों से वह नियमावली नहीं बनी है, जिससे शैक्षणिक गुणंवत्ता में सुधार लाने के साथ ही प्रति वर्ष उत्तराखंड के खजाने पर करोड़ रूपये की बचत का भार बचाया जा सकता है। लेकिन अब इसको लेकर शिक्षक संगठन आवाज उठाने लग गए । अधिकारियों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है कि अपने निजी स्वार्थों के लिए अधिकारी नियम कानूनों को ताक पर रख देते है। शिक्षा विभाग में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसके तहत उत्तराखंड शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने निजी स्वार्थों के लिए पिछले 7 सालों से एससीईआरटी की उस नियमावली को नहीं बनने दे रहे है,जिससे उत्तराखंड में शैक्षणिक गुणंवत्ता में सुधार लाने के साथ ही उत्तराखंड की जनता के खजाने पर हर साल 8 से 10 करोड़ रूपये को बचाया जा सकता है। दरअसल केंद्र सरकार ने 2013 में सभी राज्यों को एनसीईआरटी के तर्ज पर एससीईआरटी का ढांचा और नियमावली को बनाने के निर्देश दिए,जिसे अकादमिक और शोध संस्थान में अकादमी क्षेत्र में का करने वाले योग्यता रखने वाले लोगों को एससीईआरटी और डायट के पदों पर मौका मिले । लेकिन उत्तराखंड का दुर्भग्याय देखिए 2013 में उत्तराखंड में केंद्र सरकार के अनुसार ढांचा तो बना लेकिन नियमवाली नहीं बनी । जिस वजह से केंद्र सरकार से एससीईआरटी के कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन भरी नहीं मिल रहा है। लेकिन अब शिक्षा विभाग के कर्मचारी संगठन इसके खिलाफ आवाज उठाने लग गए है। राजकीय शिक्षक संगठन का कहना है कि आकदमी शोध संस्थानों में शैक्षणिक कार्यों को करने वाले लोगो को मौका मिलना चाहिए।

अधिकारियों ने की मनमानी तो जाएंगे कोर्ट

उत्तराखंड शिक्षा विभाग के अधिकारी केंद्र सरकार के द्धारा तय कि गई नियमावली को इस लिए नहीं बना रहें है ताकि एससीईआरटी के उन पदों से शिक्षा विभाग के अधिकारियों की छुट्टी हो जाएगी जिन पदों पर वह कुंडली मारे बैठे है,जिससे सवाल उठता है कि उत्तराखंड सरकार ने क्यों शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इस मनमानी पर पर्दा डाले हुए है,जिसका नुकसान जहां एक तरफ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ रहा है, और दूसरा सरकार के खजाने पर,लेकिन इन दिनों फिर शिक्षा विभाग में नियमावली को बनाने की प्रक्रिया चल रही है,लेकिन केंद्र सरकार की तर्ज पर नहीं बल्कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों में मन के तर्ज पर,जिसका नुकसान उत्तराखंड को भी उठाना पड़ेगा और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को भी। लेकिन इस बार प्रधाचार्य एसोशिएसन ने साफ कर दिया है कि यदि नियमावली में शिक्षा विभाग के प्रशासनिक संवर्ग के पदों को रखा जाता है तो वह इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे। प्रधानचार्य एसोशिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि यदि नियमावली में शिक्षा विभाग के प्रशाशनिक संवर्ग के पदों को दी गयी जगह तो वह कोर्ट जाएंगे।

सरकार के संज्ञान में भी है मामला

ऐसा नहीं कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इस मानमानी के खेल के बारे में उत्तराखंड सरकार को पता नहीं है। शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक के संज्ञान में ये मामला है। ऐसे में देखना ये होगा कि आखिर जो मनमानी शिक्षा विभाग में चल रही है। उसका संज्ञान सरकार लेते है,जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लान के साथ उत्तराखंड के खजाने पर प़ड़ने वाले बोझ को भी कम किया जा सके। 

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