सरकार के आदेशों को नहीं मानता दून का आर्मी पब्लिक स्कूल,3 महीने की ट्यूशन फीस के साथ सभी तरह के शुल्क जमा करने के निर्देश,अभिभाक परेशान
देहरादून। उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए स्वयं भगवान भी स्क्ूल में आकर ये कहे कि आपका स्कूल अभिभवकों का उत्तपीड़न नहीं करेगा, तो भी प्राइवेट स्कूल यहीं कहेंगे कि ये भगवान सरकार कोई भी नियम – कानून बनाले, लेकिन हम न तो आप यानी भगवान से डरने वाले है और फिर सरकारों के बनाए नियम कानून तो उनके लिए कुछ मायिने ही नहीं रखते, स्कूल को यूं तो शिक्षा का मंदिर माना जाता है,लेकिन आज जिस तरह से प्राईवेट स्कूलों की मनमानी लाॅक डाउन के बाद भी देखने को मिल रही है उससे तो यही कहा जा सकता है कि शिक्षा के मंदिर में यदि भगवाल दर्शन देकर ये कह दे कि उनका स्कूल लाॅक डान में भी अभिभवाकों को लूट रहा है तो भी भगवान के सामने स्कूल अपनी लूट खसोट की बात को भगवान से मना लेंगे कि ये भगवान वह लूटेंगे नहीं तो कमाएंगे कैसे। ये तो एक कहावत मात्र है जिससे भगवान के नाम से प्राइेवेट स्कूलों की लूटने पर क्या पता आत्मा जागृत हो जाएं। लेकिन किस तरह सरकार के नियमों के बाद स्कूल लूट रहे उसका उदाहरण आर्मी प्बलिक स्कूल का है।
क्या सरकार के नियमों को नहीं मानता आर्मी प्बलिक स्कूल
उत्तराखंड सरकार के द्धारा प्रदेश के सभी प्राईवेट स्कूलों के लिए लाॅक डाउन के दौरान नियम बनाया गया कि कोई भी प्राइवेट स्कूल इस साल फीस नहीं बढ़ाएगा,साथ ही 3 महीने की फीस एक साथ कोई स्क्ूल नहीं लेगा और यहां तक कि जो स्कूल आॅनलाईन पढ़ाई नहीं करा रहे है वह किसी तरह की फीस नहीं लेगा, जो स्कूल आॅनलाईन पढ़ाई करा रहे है वह केवल ट्यूशन फीस लेंगे। वह भी जो अभिभावकों स्वेच्छा से फीस एक महीने की जमा करना चाहिए उन्ही छात्रों की फीस जमा की जाएंगी। लेकिन देहरादून कि आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमेंटटाउन जो सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त है वह उत्तराखंड सरकार के एक भी आदेश को नहीं मानता है जो लाॅक डाउन में सरकार क ेद्धारा जारी किए गए है। आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमेंटटाउन ने अभिभवकों से तीन महीने की फीस जमा करने के साथ ही ट्यूशन फीस के साथ वह सारे अन्य शुल्क जमा करने के भी निर्देश दिए है जिनहे सरकार ने माफी करने को लेकर आदेश जारी किया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमेंटटाउन के सामने उत्तराखंड सरकार बौनी नजर आ रही है जो सरकार के एक भी आदेश को मानने को तैयार नहीं है। खास बात ये है कि 2 मई को शिक्षा सचिव के द्धारा आदेश जारी किया जाता है और 6 मई को स्कूल शिक्षा सचिव के आदेश का अनुपालन करते हुए फीस जामा करने के आदेश दे देता है।