उत्तराखंड से बड़ी खबरशिक्षा विभाग से बड़ी खबर

शिक्षा विभाग में हो रहे है बैक डेट में तबादले,हरीश रावत ने लगाया बड़ा आरोप,शिक्षा मंत्री की प्रतिष्ठा पर भी उठ रहे है सवाल

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में धारा 27 के नाम पर लगता है कि तबादलों की जो छूट मिली है, उसमें नियमों को ताक पर रखकर जमकर धज्जियां को उड़ाते हुए ट्रांसफर किए जा रहे हैं। जिससे कहा जा सकता है कि उत्तराखंड का शिक्षा विभाग मानो शासन से लेकर और निदेशालय तक या तो आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं,या ऐसा लगता है कि जो अधिकारी इन ट्रांसफर को कर रहे हैं वह अनपढ़ होने का भी ढोंग कर रहे हैं,चहिते शिक्षकों को ट्रांसफर करने के लिए ट्रांसफर लिस्ट जो आई है, उसमें कई शिक्षकों को एक से अधिक स्कूल आवंटित किए गए तो कुछ शिक्षकों को हरिद्वार या देहरादून के निकट कोई विद्यालय दिए जाने का जिक्र ट्रांसफर आर्डर में किया गया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या तबादला एक्ट में यह भी प्रावधान है कि किसी एक स्कूल में यदि अगर जगह नहीं बनती है तो उसे एक या दो जनपदों के पास के विद्यालय में ट्रांसफर करने का आदेश जारी हो जाए। हालांकि इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शिक्षा विभाग में हो रहे तबादलों को लेकर सवाल खड़े कर दिए। हरीश रावत का कहना है कि वह इलेक्शन कमीशन उत्तराखंड के संज्ञान में लाना चाहते हैं, कि उत्तराखंड सचिवालय में क्या हो रहा है। आचार संहिता लगने के बाद भी बैक डेट में ट्रांसफर हो रहे हैं,प्रवक्ता और शिक्षकों के पदों पर बड़ी मात्रा में आरएसएस से जुड़े हुए लोगों के ट्रांसफर हो रहे ही,चाहितों के ट्रांसफर हो रहे एक विभाग नहीं न जाने और कितनी विभागों में ऐसा हो रहा है। हम न केवल मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से बल्कि कांग्रेसी विधिवत तरीके से भी चुनाव आयोग के पास मिलकर विरोध दर्ज करेंगे ।जहां जहां लोगों को ऐसी सूचनाएं मिल रही है कृपया कांग्रेस कार्यालय में उन सूचनाओं को पहुंचा दें।

शिक्षा मंत्री की प्रतिष्ठा पर भी उठ रहे है सवाल

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने 5 साल पहले जब शिक्षा मंत्री के नाते मंत्री पद की शपथ ली थी तो उन्होंने आम शिक्षकों को न्याय दिए जाने की बात कही थी । लेकिन जिस तरीके से आचार संहिता से ठीक पहले उत्तराखंड शिक्षा विभाग में तबादलों की बाढ़ आई है और उसमें उन्हीं शिक्षकों के ट्रांसफर सामने होने की बात सामने आ रही है जिनकी राजनीतिक पहुंचे यहां तक कि बताया जा रहा है कि जिस प्रतिनियुक्ति के खिलाफ शिक्षा मंत्री 5 सालों तक शख्त नजर आ रहे थे और प्रतिनियुक्ति की कई फाइलों को उन्होंने वापस लौटा दिया लेकिन आचार संहिता से ठीक पहले शिक्षा मंत्री नहीं कई शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की फाइल पर मोहर लगाकर उन्हें मनचाही पोस्टिंग भी नहीं ऐसे में सवाल शिक्षा मंत्री की प्रतिष्ठा पर भी उठ रहे हैं आंखें जो वादा शिक्षा मंत्री 5 सालों तक निभाते रहे आचार संहिता से पहले उन वादों को वह खुद ही तार-तार कर गए। कुछ सवाल शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से सीधे जिनका जवाब आम शिक्षक भी चाहता है।

 

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