बागेश्वर उपचुनाव को लेकर बड़ा दाव पेंच,बसंत कुमार हुए कांग्रेस में शामिल,दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद
देहरादून। 5 सितंबर को बागेश्वर उपचुनाव के लिए मतदान होना है, लेकिन मतदान से पहले सभी की नजरे भाजपा और कांग्रेस की उम्मीदवारों पर टिकी हुई है, कि आखिर बीजेपी और कांग्रेस किन-किन चेहरों पर दावा खेलती है,हालांकि बागेश्वर उपचुनाव में शय मात मात का खेल शुरू हो चुका,बीजेपी ने जहां 2022 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रंजीत दास को पार्टी में शामिल करा दिया है, और कांग्रेस उम्मीदवारों के पैनल में रंजीत दास का नाम भी शामिल था,जिससे माना जा रहा है कि भाजपा ने तगड़ा झटका कांग्रेस को बागेश्वर में दिया है,माना जा रहा है कि भाजपा चंदन राम दास के परिजनों में से ही किसी सदस्य को टिकट देगी जिसमें चंदन रामदास की पत्नी और बेटे गौरव दास का नाम पैनल में शामिल बताया जा रहा है, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि भाजपा चंपावत की तर्ज पर बागेश्वर उपचुनाव को लड़ेगी और 94% से ज्यादा मत हासिल करने का लक्ष्य के साथ चुनाव लड़ेगी, आगे आने वाले और दिनों में बागेश्वर में और बड़े नेता पार्टी का दामन थामेंगे।
आप को झटका,कांग्रेस के हुए बसन्त
भाजपा जहां कांग्रेस नेताओं को तोड़कर बागेश्वर उपचुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने के साथ ही जीत की रणनीति पर काम कर रही है वही कांग्रेस भी बागेश्वर चुनाव को मजबूती से लड़ने की बात कह रही है, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रहे बसंत कुमार को कांग्रेस पार्टी ने अपने पाले में शामिल करा दिया है,और माना जा रहा है कि बसंत कुमार पर ही कांग्रेस पार्टी उपचुनाव में दांव खेलेगी, 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बसंत कुमार 16000 के करीब वोट लेकर आए थे, मजबकि रंजीत दास 20000 के करीब वोट कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लेकर आए थे,जबकि चंदन रामदास 26 हजार के करीब वोट लेकर आए थे, ऐसे में कांग्रेस की रणनीति है कि बसंत कुमार को पार्टी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारती है,तो कांग्रेस का वोट बैंक के साथ बसंत कुमार ने जो वोट आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर हासिल किए थे,उनको यदि वह वोट बैंक उपचुनाव में हासिल होता है तो बाजी पलटी जा सकती है। बसंत कुमार पर बड़ी निगाहें कॉन्ग्रेस की टिकी हुई है,क्योंकि रंजीत दास के भाजपा ज्वाइन करने के बाद बसंत कुमार ही बड़े कद के नेता बागेश्वर में नजर आ रहे हैं, यही वजह है कि कांग्रेस को अब बसंत कुमार के आने के बाद पैनल में उम्मीदवारों के जो नाम है उनको भी बदलना पड़ रहा है, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि बसंत कुमार चुनाव लड़ने की शर्त पर तो कांग्रेस में नहीं आए लेकिन पैनल में उनका नाम हाईकमान को भेजा जाएगा।
रोचक हुआ मुकाबला
बागेश्वर उपचुनाव की जंग बेहद रोचक होने वाली है, क्योंकि एक तरफ जहां सत्ता पक्ष के लिए यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है,वही जिस तरीके से कांग्रेस का जनाधार उत्तराखंड में गिरता हुआ नजर आ रहा है, उस गिरते हुए जन आधार को बढ़ाने का भी एक मौका बागेश्वर उप चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में देखना यही होगा कि आखिरकार दोनों राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवार कौन होते हैं, और कौन से दल को उपचुनाव में फतह हासिल होती है।