राजकीय शिक्षक संगठन में विद्रोह को लेकर बड़ी खबर,20 रुपये और 30 नवम्बर से उपजा बड़ा विवाद
देहरादून। उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संगठन ने जहां फरवरी तक चुनाव कराने को लेकर ऐलान कर दिया है। वहीं चुनाव के ऐलान होने के साथ ही राजकीय शिक्षक संगठन में दो फाड़ होते हुए नजर आ रहे हैै। संगठन में दो फाड़ सदस्यता शुल्क 30 नम्बर 2020 तक जमा करने वाले सदस्यों को ही वोट देने और चुनाव लड़ने के अधिकार को लेकर देखने को मिल रही है। क्योंकि कल हुई राजकीय शिक्षक संगठन की बैठक में तय हुआ है कि जिन शिक्षकों ने सदस्यता शुल्क 30 नम्बर तक जमा किया हुआ है उन्हे को वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार होगा,हांलाकि 30 नम्बर के बाद सदस्याता शुल्क जमा करने वाले शिक्षक संगठन के सदस्य ही रह पाएंगे,लेकिन शिक्षक संगठन में इस निर्णय को लेकर अलग – अलग मत देखने को मिल रहे है। कल की हुई बैठक के निर्णय की जानकारी प्रांतीय महाममंत्री सोहन सिंह मंजिला ने शोषल मीडिया के माध्यम से देते हुए बताया है कि 30 नम्बर 2020 तक संगठन की सदमस्या शुल्क जमा करने वाले सदस्यों को ही वोट देने और चुनाव लड़ने के अधिकार होगा,जिस पर सबसे पहले राजकीय शिक्षक संगठन के प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा ने सवाल उठाते हुए कहा राजकीय शिक्षक संगठन की बैठक में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है जिसमें 30 नम्बर 2020 तक संगठन की सदमस्या शुल्क जमा करने वाले सदस्यों को ही वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया है,क्योंकि राजकीय शिक्षक संगठन के संविधान में ऐसा कोई नियम नहीं है,जिसमें चुवान लड़ने और वोट डालने के लिए सदस्यता शुल्क की डेड लाईन कोई मानक हो,संगठन के संविधान में स्पष्ट लिखा गया है कि 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक कभी भी कोई सदस्या शुल्क जमा कर सकता है। जहां तक 30 नम्बर 2020 की बात है ये तिथि इस लिए तय की गई थी क्योंकि शासन और शिक्षा विभाग से संगठन का ब्यारा मांगा गया था,इसलिए तिथि तय कर सदस्यता जल्दी पूरी हो इसलिए 30 नम्बर 2020 की तारिख तय की गई थी,न कि चुनाव लड़ने और मत के अधिकार के लिए सदस्यता शुल्क की डेड लाईन तय की गइ थी। इसलिए इस बात का कोई औचित्य की नहीं कि जिसने 30 नम्बर तक शुल्क जमा किया है वहीं चुनाव लड़ सकता है या मत का प्रयोग कर सकता है।
प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह मंजिला का बयान
वहीं प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह मांजिला का कहना है कि 8 नम्बर की बैठक में सदस्तया शुल्क जमा करने को लेकर डेड लाईन तय हुई थी,जबकि कल की बैठक में निर्णय लिया गया है कि 30 नम्बर तक शुल्क जमा करने वाले ही चुनाव लड़ने और मत का प्रयोग कर सकते है,ये उनका निर्णय नहीं है,यह संगठन का निर्णय है।
कोर्ट जाने की तैयारी में राम सिंह चैहान
वहीं राजकीय शिक्षक संगठन के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह चैहान खुल कर राजकीय शिक्षक संगठन के द्धारा लिए गए निर्णय के विरोध में उतर आएं है,राम सिंह चैहान का कहना है कि यदि राजकीय शिक्षक संगठन संविधान के विपरीत किसी सदस्य को चुनाव लड़ने से रोकने और मतदान देने से रोकता है तो वह इसके खिलाफ राजकीय शिक्षक संगठन और शिक्षा विभाग के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। जहां तक सदस्यता शुल्क जमा करने की बात है तो संघ के संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि संगठन की सदस्यता 1अप्रैल से 31 मार्च तक कभी भी जमा की जा सकती है। यानी 2020 – 21 की सदस्यता शिक्षक 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक ले सकते है। फिर संगठन क्यों संविधान की विपरीत जा रहा है। यहां तक 30 नम्बर तक सदस्यता शुल्क जमा करने की बात भी संगठन के द्धारा छुपाई गई है,विद्यालयी शाखाओं को शुल्क जमा करने के बारे में भी जानकारी छुपाई गई है। यहां तक कि जब राजकीय शिक्षक संगठन की वर्तमान में काई भी कार्यकारणी अस्तित्व में नहीं है तो फिर कैसे इस तरह के नीति गत निर्णय लिए जा रहे है।
किस वजह से उपजा है विवाद वह भी जान लीजिए
राजकीय शिक्षक संगठन के द्धारा चुनाव लड़ने को लेकर जो मानक बनाए गए है उसको लेकर विरोध इसलिए हो रहा है कि पहले तो ये राजकीय शिक्षक संगठन के संविधान के खिलाफ है और दूसरा इसलिए कि इस तरह के नियम से कई शिक्षक जहां वोट नहीं दे पाएंगे वहीं कई शिक्षक नेता चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। ऐसे में देखना ये होगा कि जो विवाद अब शिक्षकों के बीच पैदा हो गया है उसे कैसे दूर किया जाएगा।