उत्तराखंड से बड़ी खबर

उत्तराखंड शिक्षा विभाग से बड़ी खबर,बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार को लेकर सांकेतिक धरने के ऐलान,प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती को लेकर नहीं थमराह विवाद

देहरादून। उत्तराखंड के इंटर कॉलेजों में 90% पद लगभग प्रधानाचार्य के खाली चल रहे हैं, और यह समस्या शिक्षा विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती चली आ रही है, कि प्रधानाचार्य के पद शतप्रतिशत प्रमोशन के बाद भी नहीं भरे जाते हैं,जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती करने का फैसला लिया है,जिसको लेकर नियमावली भी बना दी गई है,लेकिन अब इसी नियमावली को लेकर एलटी संवर्ग के शिक्षक बेहद खफा है,जिसको लेकर राजकीय शिक्षक संघ नियमावली के विरोध पर उतर आया है,शिक्षक को कहना है कि जो नियमावली बनाई गई है,उससे एलटी संवर्ग के शिक्षकों को प्रधानाचार्य बनने का मौका मिलेगा कब, इसलिए सरकार को नियमावली में बदलाव करना चाहिए, ताकि एलटी संवर्ग के शिक्षकों को भी सीधी भर्ती के तहत प्रधानाचार्य बनने का मौका मिले, इसी को लेकर शिक्षक सरकार पर दबाव बनाते हुए बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार की बात करें है, जिसको देखते हुए शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने नियमावली में बदलाव के संकेत दिए हैं साथ ही कहा है कि पहले प्रधानाचार्य के पद प्रमोशन से भरे जाएंगे और जो पद बचेंगे उन पर सीधी भर्ती कराई जाएगी। अगर जरूरत पड़ी तो नियम में कुछ बदलाव भी किए जाएंगे।

बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए बकायदा शिक्षकों की हड़ताल को देखते हुए एस्मा भी लागू किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षक सरकार पर दबाव बनाते हुई बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार करने की बात कर रहे, ताकि सरकार प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती की नियमावली में बदलाव करें,और एलटी संवर्ग के शिक्षकों को भी प्रधानाचार्य के पदों पर सीधी भर्ती के तहत मौका मिले, इसको लेकर परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार को लेकर दबाव बना रहे हैं,हालांकि कुछ शिक्षकों का कहना है,कि पूर्व की भांति प्रमोशन के जरिए ही प्रधानाचार्य की पद भरे राजकीय शिक्षक संघ देहरादून जनपद के महामंत्री अर्जुन पवार का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांग को नहीं मानती है,तो बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया जाएगा।

वहीं पौड़ी जनपद ने 9 अप्रैल को सांकेतिक धरने देने का ऐलान भी कर दिया है। दरअसल एलटी संवर्ग के शिक्षकों की जो सबसे बड़ी समस्या सीधी भर्ती को लेकर है, वह यह है, क्योंकि एलटी संवर्ग के शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर प्रमोशन के बाद ही प्रधानाचार्य बनने का मौका सीधी भर्ती में मिलेगा,उसके लिए उन्हें पहले 20 साल की सेवा एलटी संवर्ग में देनी होगी, और उसके बाद 10 साल की सेवा प्रमोशन के बाद प्रवक्ता पड़ पर देनी होगी, लेकिन उसके लिए उनकी उम्र 50 साल होनी चाहिए ऐसे में जो एलटी संवर्ग के शिक्षक पहले 20 साल एलटी में और फिर 10 साल की सेवा प्रवक्ता पद पर देंगे तो उनकी उम्र 50 साल की जगह रिटायरमेंट की उम्र पर आ जाएगी, जिसको लेकर शिक्षक विरोध कर रहे हैं ऐसे में देखना योगा की बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार की जो धमकी शिक्षक संगठन दे रहे हैं क्या एस्मा लागू होने के बाद भी वह विरोध नियमावली को लेकर करेंगे।

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