उत्तराखंड शिक्षा विभाग से बड़ी खबर,प्रधानाचार्य के पदों को सीधी भर्ती से भरे जाने को लेकर घमासान,प्रधानाचार्य एसोसिएशन ने खड़े किए कई सवाल
देहरादून। राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन (उत्तराखंड)के प्रांतीय कार्यकारिणी की एक आवश्यक बैठक राजकीय इंटर कॉलेज डोभालवाला में सुरेंद्र सिंह प्रांतीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में संपन्न की गई। जिसमें प्रमुख बिंदु 9 सितंबर 2022 को शिक्षा विभाग से संबंधित कैबिनेट की बैठक में प्रधानाचार्य के रिक्त पदों पर 50% लोक सेवा आयोग से प्रधानाचार्य में नियुक्ति के संदर्भ में विचार मंथन किया गया। पूर्व में शिक्षा विभाग में शासन के शासनादेश 14 जून 2011 के आधार पर उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा विभाग में लशैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग से संबंधित शासनादेश जारी किया,जिसमें 1-1-2006 को कट अपडेट मानते हुए1 -1- 2006 से पहले के कार्यरत प्रधानाचार्य को शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग का विकल्प लेने का अवसर प्रदान कर दिया गया। किंतु विसंगति के रूप में 1 – 1 -2006 के बाद के कॉलेजों में कार्यरत प्रधानाचार्य को विकल्प लेने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ। जबकि 2006 से 14 जून 2011 तक के प्रधानाचार्य विकल्प लेने का अवसर नहीं दिया गया, जो नियमानुसार न्याय संगत नहीं है, 1-1 -2006 के बाद के कार्यरत राजकीय इंटर कॉलेज मैं कार्यरत प्रधानाचार्य को स्वत: ही शैक्षिक संवर्ग आने जाने का शासनादेश निर्धारित है और उक्त शासनादेशों में शैक्षिक संवर्ग के नियमावली में 2006 के आधार पर राजकीय इंटर कॉलेजों में रिक्त पद के सापेक्ष सत प्रतिशत हंड्रेड परसेंट प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में पदोन्नति की व्यवस्था शासनादेश के तहत की गई है ।
और शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को प्रधानाचार्य से ऊपर के वेतनमान पर कोई भी पदोन्नति की व्यवस्था नहीं दी गई।
जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम के कर्मचारी /अधिकारी के हितों के खिलाफ है, इसके अतिरिक्त अकादमिक संस्थाओं जैसे सीमेंट/ एससीआरटी /डाइट आदि संस्थानों में शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को कोई अवसर नहीं दिया जा रहा है,और विभागीय व्यवस्थाओं को दरकिनार करते हुए प्रशासनिक सेवा नियमावली 2013 के अनुसार इन शैक्षिक संस्थाओं में पद ना होने के बावजूद भी प्रशासनिक संवर्ग के अधिकारियों को पदस्थापना जा रही है। जो छात्र हित एवं शासनादेश के खिलाफ है। शिक्षकों के हितों के खिलाफ है,जो शासनादेश के अनुरूप न्याय संगत नहीं है । इन विसंगतियों को लेकर निरंतर एसोसिएशन ने शासन स्तर पर अकादमिक संस्थाओं में शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को उच्च वेतनमान एवं समकक्ष पदों पर पदस्थापना को लेकर निरंतर वार्ता की है । किंतु शासन स्तर पर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया, जिससे शैक्षिक संवर्ग के लाखों शिक्षक/ सैकड़ों प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापक /लाभों से वंचित हैं! एसोसिएशन ने मांग की थी, कि शिक्षक 25 से 30 सालों से ईमानदारी और निष्ठा से सेवा करते हुए प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति पाते हुए पर पूर्व से ही चयन वेतनमान /प्रोन्नत वेतनमान को लेकर पदोन्नत होता है, और प्रधानाध्यापक के पद पर शिक्षक,शिक्षिकाओं को कोई वित्तीय लाभ भी देखने को नहीं मिलता है। एसोसिएशन ने मांग की थी कि प्रधानाचार्य में पदोन्नति हेतु सेवा नियमावली 2006 में संशोधन करते हुए पदोन्नति में 5 वर्ष की,मौलिक सेवा को हटाते हुए रिक्त पद के सापेक्ष शत प्रतिशत पदोन्नति की जाए । जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आ सके, किंतु शासन और विभाग द्वारा छात्र हित की बातों को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। आज के बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है ,कि प्रधानाचार्य में नियुक्ति 50% को लेकर पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा । क्योंकि यह केबिनेट का निर्णय शिक्षकों के हित में एवं प्रधानाध्यापकों के हित में नहीं है ,और शिक्षक बिना पदोन्नति के प्रधानाध्यापक से या प्रवक्ता सहायक अध्यापक से बिना लाभ लिए हुए सेवानिवृत्त हो जाएंगे । साथ ही साथ तकनीकी विसंगति इसमें आयोग द्वारा 5400 ग्रेड पे के ऊपर के पदों पर नियुक्ति करने का कोई भी प्रावधान लोक सेवा आयोग के परिधि में नहीं है! और इस प्रकार से प्रधानाचार्य की क्षेत्र 7600 ग्रेड पर प्रधानाचार्य की नियुक्ति किस स्तर पर होगी,विभाग द्वारा कोई स्पष्ट जानकारी कैबिनेट में नहीं दी गई है,नहीं समाचार पत्रों में के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। जो भ्रमित दृष्टि से दिख रहा है! राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन की मांग है कि प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में रिक्त पद के सापेक्ष सत प्रतिशत पदोन्नति शैक्षिक सेवा सेवा नियमावली 2006 के आधार पर ही सत प्रतिशत प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में पदोन्नति की जाए जो नियमों में निर्धारित है। नियमावली के तहत अनिवार्य रूप से किया जाए । और सेवा नियमावली में परिवर्तन लाते हुए 5 वर्ष की मालिक सेवा के स्थान पर 2 वर्ष की मौलिक सेवाएं प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में पदोन्नति हेतु की जाए। जिससे शत प्रतिशत रिक्त पद भरा जा सके,जो पूर्णता छात्र हित में होगा। इसलिए प्रधानाचार्य एसोसिएशन का विचार है। कि शैक्षिक संवर्ग के साथियों के साथ रहे अन्याय को तत्काल समाप्त कर दिया जाए। एसोसिएशन ने शिक्षक संगठनों से भी अपील की है कि शिक्षकों के हितों में को देखते हुए इस प्रक्रिया पर तत्काल अपना कार्रवाई करने में भूमिका अदा करें जो उचित नहीं है ना प्रधानाचार्य को हितों में है ना प्रधान अध्यापकों के हितों में है, और शासन स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री जी माननीय शिक्षा मंत्री एवं शासन स्तर पर निरंतर वार्ता करने का प्रयास किया जाएगा,क्योंकि लोक सेवा आयोग अपने ही निर्धारित पदों को सही समय पर नहीं भर पाता है । और यह मानना कि प्रधानाचार्य की रिक्त पद शत प्रतिशत भरा जाएगा यह कदापि संभव नहीं है! शिक्षकों के हित में एवं प्रधानाध्यापक/ में बिना संगठनों को विश्वास में लिए हुए यह कैबिनेट स्तर पर रखा गया जो न्यायोचित नहीं है, राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन इसका पुरजोर विरोध करता है। आज की बैठक में सुरेंद्र सिंह बिष्ट प्रांतीय अध्यक्ष महामंत्री रामबाबू विमल, प्रेमलता बढ़ाई विक्रम जोशी,जोतराम राजीव लोचन डॉक्टर पचोरी सी पी सेमवाल एवं अन्य पदाधिकारी आज की बैठक में उपस्थित थे।