उत्तराखंड से बड़ी खबर

उत्तराखंड से बड़ी खबर,सरकार के फैसले से राज्यकर्मचारियों में आक्रोश,सीएम से करेंगे वार्ता

देहरादून। केंद्र सरकार के द्धारा केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काटे जाने के बाद उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य कर्मचरियों के बढे़ हुए महंगाई भत्ते को बिना कर्मचारियों की राय जून 2021 तक कटौति किए जाने को लेकर रोष व्यक्त किया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश कार्यकारी महामंत्री अरूण पाण्डेय ने कहा कि लाॅकडाउन की स्थिति में परिषद की हाईपावर कोर कमेेटी की एक बैठक मोबाईल एप्प के माध्यम से आॅनलाईन हुई। बैठक को लेकर अरूण पाण्डे नेे बताया कि बैठक में सरकार द्वारा कर्मचारी संघों कोे विश्वास में लिये बिना भारत सरकार के तर्ज पर राज्य के कार्मिकों के महंगाई भत्तेे में बढ़ोत्तरी पर जून, 2021 तक लगायी गयी रोक पर रोष व्यक्त किया गया। बैठक में कहा गया कि सरकार ने महंगाई भत्ते पर रोक लगाकर सरकार के साथ कोरोना महामारी की रोकथाम में कन्धे से कन्धा मिलाकर जूझ रहे कार्मिको को लाॅकडाउन हटने के उपरान्त होने वाली महंगाई से निपटने के लिये अकेला छोड दिया है,जबकि केन्द्र व राज्य के कार्मिकों को महंगाई भत्ते का निर्धारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना के आधार पर की जाती है, जिससे की कार्मिकों को राहत मिल सके। पाण्डे ने कहा कि इस कटौती से प्राप्त होने वाली धनराशि को सरकार ने सीधे अपने खजाने मंे बचत के रूप में रख लिया, जबकि इसे मुख्यमंत्री राहत कोष अथवा पी0एम0 केयर मे जमा करते हुए कार्मिको के योगदान को चिन्हित किया जा सकता था। पाण्डे ने कहा कि महंगाई भत्ते में बढोत्तरी में रोक से अल्प वेतनभोगी कार्मिकों का जीवनयापन दुर्भर होने की पूर्ण सम्भावना है,जबकि इसके स्थान पर सरकार को बचत के अन्य रास्ते या अधिकारियों,नेताओं द्वारा किये जा रहे राजकीय वाहनों के दुरूपयोग पर रोक लगाने, उच्च स्तरीय पदाधिकारियों को सामान्य जीवनयापन के अतिरिक्त दी जाने वाली सुविधाओं पर रोक लगाने,दूरभाष दरों में वर्तमान दूरभाष दरों के अनुरूप भुगतान किया जाना, आर्थिक सतकार के नाम पर व्यय की जाने वाली धनराशि में कटौती के साथ ही विद्युत भार एवं अन्य करो के बडे बकाये दारों से वसूली करने आदि जैसे अन्य रास्ते अपनाकर, इस महामारी मंे सरकार का पूर्ण सहयोग कर रहे कार्मिकों के महंगाई भत्ते में रोक से बचा जा सकता था। सभी को पता है कि कार्मिकों द्वारा अपना 01 दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष मं स्वेच्छा से दिया अपितु स्थानीय स्तरीय पर चल रहे कोरोना से पीडितों के राहत में स्वैच्छा से योगदान कर रहे हैं। अरूण पाण्डे ने बताया कि बैठक में मांग की गयी कि सरकार मैदानी स्तर पर कार्यरत विभिन्न विभागांे के उन कार्मिकों को महामारी से बचाव हेतु मास्क, ग्लब्स एवं सैनेटाईजर आदि उपलब्ध कराये अथवा इस हेतु भुगतान कर,ेक्योंकि परिषद के संज्ञान में आया है कि सम्बन्धित कार्मिको द्वारा स्वयं के खर्चे पर अपने जीवन की रक्षा हेतु उक्त व्यवस्थायें की जा रही है। इसके साथ ही विभिन्न कार्मिकां की तैनाती उनके कार्य स्थल से 40-50 किमी दूर किये जाने की भी सूचना प्राप्त हुई है,जिनके आने-जाने व खानपान की व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं की गयी है,जिस कारण उन्हें अत्यन्त कठिनाईयों का सामना करना पड रहा है। सरकार द्वारा उक्त व्यवस्था सम्बन्धित कार्मिकों को उपलब्ध कराने की मांग की गयी है। इसके साथ प्रदेश के हर आपदा में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान करने वाले खाद्य आपूर्ति विभाग के कार्मिकों को भी आवश्यक सेवा के अन्तर्गत लिये जाने की मांग की गयी।

50 लाख बीमा किए जाने की मांग

बैठक में यह भी मांग की गयी कि आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त इस महामारी में न्यायपंचायत स्तर तक कार्यरत उद्यान, कृषि, वन, ग्राम विकास, सहकारिता, पंचायत, गन्ना आदि विभागों के कार्मिकों को भी भारत सरकार की भाॅति रू0 50.00 लाख के बीमा की सुविधा उपलब्ध करायी जाय। बैठक में यह भी संज्ञान में लाया गया कि वनविभाग के कोरोना ड्यूटी पर तैनात वन कर्मियों की 14 दिन वापसी पर बिना किसी चिकित्सकीय जाॅंच के उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया,जबकि इस प्रकार के सेवा देने वाले समस्त कार्मिकों की चिकित्सकीय जाॅच अवश्य की जानी चाहिए, जिससे महामारी के फैलाव को रोका जा सके। बैठक में कोरोना महामारी के दृष्टिगत मांग की गयी
कि सरकार तत्काल राज्य के कार्मि का ें को कैशलैस चिकित्सा सुविधा का शासनादेश कर सुविधा उपलब्ध करायी जाय।

मुख्यमंत्री से मुलकात कर रखी जाएंगी कर्मचारियों की बात

बैठक में उन विभागाध्यक्षों को कड़ी चेतावनी दी गयी,जिनके द्वारा शासन के निर्देशों के उपरान्त भी पदोन्नति योग्य कार्मिकों की पदोन्नति नहीं की जा रही है, जिससे कि कार्मिक बिना पदोन्नति के ही सेवा करने अथवा सेवानिवृत्त होने को मजबूर हैं, ऐसे विभागाध्यक्षों के खिलाफ भी लाॅकडाउन के उपरान्त परिषद पर आन्दोलन किया जायेगा। बैठक में विभिन्न संगठनों द्वारा सरकार के महंगाई भत्ते पर रोक के कदम का स्वागत करने पर कहा गया कि इन संगठनों के सदस्य उच्च वेतनभोगी कार्मिक हैं। सम्भवतः उन्हें इस रोक से प्रभाव नहीं पडेगा, किन्तु ऐसा भी संज्ञान में आया है कि इन संगठनों के सामान्य सदस्यो की भावना इन नेताओं के वकत्व्यों से मेल नहीं खा रही है। बैठक में निर्णय लिया गया कि परिषद का 05 सदस्यी प्रतिनिधि मण्डल शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलकर महंगाई भत्ते की वृद्वि में लगायी गयी रोक पर पुर्नविचार करने के साथ ही अन्य बिन्दुओं पर कार्यवाही का अनुरोध करेगा।

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