बिशन सिंह चुफाल का बड़ा बयान,सीएम से नहीं कोई नारजगी,बगावत की खबरें बेबुनियाद
देहरादून। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान में पिथौरागढ़ जनपद की डीडीहाट विधानसभा से विधायक विशन सिंह चुफाल ने बगावत की अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि न वह सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत से नाराज हैं और सराकर के खिलाफ किसी भी प्रकार की बगावत कर रहे हैं। वह भाजपा के कर्मठ सिपाही और कार्यकर्ता हैं और आजीवन रहेंगे। जो लोग इस तरह की खबरें फैला रहे हैं कि मंत्री बनाए जाने को लेकर में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और आलाकमान को पर दबाव बना रहा हूं, वह पूरी तरह झूठी और बेवुनियाद खबरें हैं। बगावत की खबरों में दूर-दूर तक कोई दम नहीं है। यह भी अफवाह है कि मेरे साथ कई विधायक आलाकमान से मिलने दिल्ली गये थे। मीडिया में मेरे बारे में बगावत करने जैसा दिखाया और लिखा जा रहा है वह गलत है। पार्टी के जो लोग ऐसा कर रहे हैं वह हाईकमान का अपमान कर रहे हैं।
शिकायत अफसरों से न कि मुख्यमंत्री से
विशन सिंह चुफाल ने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा जी से मुलाकात करने से पहले देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी से मुलाकात की थी। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को अवगत कराया था कि वह इन मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने दिल्ली जा रहे हैं। जिसमें अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं और अफसरों के काम न करने की शिकायत की थी। मेरी शिकायत इतनी है कि जब विधानसभा क्षेत्र में अफसरशाही के कारण विकास कार्य नहीं होंगे तो आगामी विधानसभा चुनाव में जनता हमें वोट क्यों देगी.?
अकेले हुई राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात
बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मेरी मुलाकात अकेले हुई,कोई भी विधायक मेरे साथ नहीं था । विधानसभा क्षेत्र के विकास से जुड़ी मेरी बातों को राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गौर से सुना। पिथौरागढ़ जनपद में 40 सीटर विमान उपलब्ध कराने की मांग पर उन्होंने सहमति जताई है। उन्होंने समस्याओं को उचित समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा सरकार के खिलाफ बगावती सुर और मुख्यमंत्री से नाराजगी की बात पूरी तरह बेवुनियाद और झूठी है।
मंत्री बनाए जाने को लेकर दबाव की बात भी अफवाह
बिशन सिंह चुफाल ने इस बात का भी खंडन किया कि वह मंत्री बनाये जाने को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और आलाकमान पर दबाव बना रहे हैं। सीएम होने के नाते मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि वह चाहे जिसे मंत्री बनाएं। सच्चाई इतनी है कि विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर अफसरशाही के लापवाह रवैये से नाराजगी है।