Sunday, November 24, 2024
Latest:
उत्तराखंड से बड़ी खबर

भाजपा नेता ने एक विभाग में वेतन घोटाले का किया बड़ा खुलासा,गजब डाटा एंट्री ऑपरेटर को एक लाख का दिया जा रहा है वेतन

देहरादून। आपदा प्रबंधन विभाग की बात हो और घोटालों का जिक्र ना हो ऐसा तो संभव ही नहीं है। डेढ़ वर्ष पहले आपदा प्रबंधन विभाग में हुये 06 करोड़ रुपए के गबन के घोटाले की जाँच विजिलेंस और SIT से कराये जाने की संस्तुति हो जाने के बावजूद भी अभी तक अधिकारियों पर विजिलेंस और SIT की जाँच की कार्यवाही शुरू नहीं की गयी है।

अब एक बार फिर से वरिष्ठ भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने आपदा प्रबंधन विभाग में हुये एक बड़े वेतन घोटाले का खुलासा किया है। इससे आपदा प्रबंधन विभाग, वित्त विभाग, और साइबर कोषागार की नींद हराम होनी तय है।

जुगरान ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव, अपर मुख्यसचिव वित्त, महालेखाकार, सचिव वित्त, सचिव कार्मिक, सचिव आपदा, अपर सचिव आपदा, अपर सचिव गृह , निदेशक कोषागार, निदेशक लेखा, मुख्य कोषाधिकारी, वित्त नियंत्रक आपदा को इस वेतन घोटाले के सभी साक्ष्य प्रस्तुत करके वर्ष 2016 में नियमित किये गये 04 कार्मिकों को 06 वर्ष 06 माह में दिए गए अवैध अधिक वेतन 01 करोड़ रुपय की रिकवरी किये जाने की मांग की है।

जुगरान ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया है कि 06 वर्ष पहले आपदा प्रबंधन विभाग में 4200 ग्रेड पे में नियमित किए गए 02 डाटा एंट्री ऑपरेटर मोहन सिंह राठौर और श्री गोविंद सिंह रौतेला को वर्तमान में 01 लाख रुपए से अधिक प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है, इसके साथ ही चतुर्थ श्रेणी के पद तकनीकी सहायक पर 1900 ग्रेड पे में नियमित किये गये श्री घनश्याम टम्टा को वर्तमान में 58000 रुपय प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। 5400 ग्रेड पे के पद प्रबंधक तकनीकी के पद पर नियमित किए गए कार्मिक श्री भूपेंद्र भैसोड़ा को 03 वर्ष की सेवा के दौरान मार्च 2020 में पद त्याग करने की अवधि तक 01 लाख से अधिक प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा था। यह कैसे संभव है, 06 वर्ष की सेवा में वेतन वृद्धि इतनी ज्यादा कैसे हो सकती है।

जुगरान ने अपने पत्र में लिखा है कि राज्य के अन्य विभागों में डाटा एंट्री ऑपरेटर व समकक्ष पदों पर कार्यरत कार्मिकों को 2000 ग्रेड पे के अनुसार वेतन निर्धारित किया गया है तो फिर आपदा प्रबंधन विभाग में इन दो डाटा एंट्री ऑपरेटर को 4200 ग्रेड पे के वेतनमान पर कैसे नियमित किया गया। 4200 ग्रेड पे तो मुख्य सहायक के पद का वेतनमान होता है।

जुगरान ने आरोप लगाया कि वर्ष 2016 में अन्य विभागों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर जो कार्मिक नियमित हुए थे उन्हें वर्तमान में लगभग ₹40000 रुपय प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है तो फिर आपदा प्रबंधन विभाग में वर्ष 2016 में नियमित हुये इन 02 डाटा एंट्री ऑपरेटर को वर्तमान में 01 लाख रूपय से अधिक वेतन किस नियम के अनुसार दिया जा रहा है। इन्हें 60,000 रुपय महिना अवैध अधिक वेतन देकर राज्य का धन क्यों लुटाया जा रहा है। राज्य के विभिन्न विभागों में एक समान पदों के लिए वेतन और वेतन वृद्धि के अलग-अलग मानक कैसे हो सकते हैं।

इसी प्रकार वर्ष 2016 में 1900 ग्रेड पे पर नियमित किए गए कार्मिकों को वर्तमान में लगभग ₹35000 रुपय प्रतिमाह वेतन मिल रहा है तो फिर आपदा प्रबंधन विभाग में वर्ष 2016 में 1900 ग्रेड पे पर नियमित किये गये कार्मिक श्री घनश्याम टम्टा को ₹58000 प्रतिमाह वेतन किस आधार पर दिया जा रहा है। इस कार्मिक को प्रत्येक माह 23,000 रुपय अवैध अधिक वेतन क्यों दिया जा रहा है। इसी प्रकार 5400 ग्रेड पे के पद प्रबंधक तकनीकी के पद पर नियमित किए गए कार्मिक श्री भूपेंद्र भैसोड़ा का वेतन 03 वर्ष में 01 लाख रूपय से अधिक कैसे और किस नियम के अनुसार किया गया।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि इस वेतन घोटाले में वित्त विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, वित्त नियंत्रक और साइबर कोषागार की मुख्य भूमिका है, क्योंकि इनमें से किसी की भी सहमति के बिना यह वेतन घोटाला नहीं किया जा सकता था। आश्चर्य की बात है कि 06 वर्ष में इन चार कार्मिकों को वेतन में 01 करोड़ रुपय अधिक दे दिये गये लेकिन वित्त विभाग, आपदा विभाग और साइबर कोषागार के किसी भी अधिकारी ने इतना ज्यादा वेतन निर्गत करने में कोई आपत्ति नहीं की।

जुगरान ने मांग की है कि वेतन घोटाले के इस प्रकरण में निम्न तथ्यों की जांच की जाये-
1- वित्त विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद के लिए दो वेतनमान 2400 ग्रेड पे और 4200 ग्रेड पे किस नियम के आधार पर स्वीकृत किए।

2- जब डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर 02 कार्मिकों का नियमितीकरण किया गया तो उनका नियमितीकरण न्यूनतम वेतनमान 2400 ग्रेड पे के बजाय अधिकतम वेतनमान 4200 ग्रेड पे पर क्यों किया गया।
3- जब राज्य के सभी विभागों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद के लिए 2000 ग्रेड पे निर्धारित है तो फिर आपदा प्रबंधन विभाग के लिए भी डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद के लिए 2000 ग्रेड पे निर्धारित क्यों नहीं किया गया।

4- नियमित किए गए इन 4 कार्मिकों को इनकी संविदा की सेवा में लिए गए समस्त लाभों (इन्क्रीमेंट और भत्तों)को इनकी नई सेवा में सम्मिलित किस नियम के आधार पर किया गया। इनको फ्रेश वेतन निर्धारित क्यों नहीं किया गया।

5- 13 दिसंबर 2016 के नियमितीकरण आदेश के विपरीत इनका वेतन निर्धारण क्यों किया गया। इनके वेतन में भत्तों की राशि दो गुने से भी अधिक किस नियम के आधार पर निर्धारित की गई।

6- वर्ष 2016 के बाद जितने भी audit हुये उसमें इनके अवैध वेतन पर audit objection क्यों नहीं किया गया।

7- इन चार कार्मिकों को 7वें वेतन का लाभ जुलाई 2017 से कैसे अनुमन्य कर दिया गया जबकि इन्हें 7वें वेतन का लाभ देने की स्वीकृति शासी निकाय के द्वारा 25 अप्रैल 2019 को प्रदान की गई थी।

8- नियमितीकरण से पहले इन 4 कार्मिकों को ग्रेच्यूटी किस नियम के आधार पर प्रदान की गई। पूर्व की संविदा की सेवा की ग्रेच्युटी लेने के बाद इनका नियमितीकरण कैसे कर दिया गया। नियमितीकरण होने के बाद इन्हें वर्ष 2017 से 2019 तक लगातार 3 वर्षों तक सेवारत रहते हुये लाखों रुपए की ग्रेच्युटी किस नियम के आधार पर प्रदान की गई।

9- जब इनका वेतन साइबर कोषागार के माध्यम से निर्गत होता है तो इन्हें ग्रेच्युटी भी साइबर कोषागार के माध्यम से क्यों नहीं दी गई। आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्रेच्यूटी राशि सीधे इनके LIC अकाउंट में क्यों ट्रांसफर की।

10- जब आपदा प्रबंधन विभाग में कनिष्ठ सहायक का पद 2000 ग्रेड पे पर सृजित किया गया है तो फिर इसी विभाग में समकक्ष पद डाटा एंट्री ऑपरेटर को 4200 ग्रेड पे पर किस नियम के आधार पर सृजित किया गया है।
11- श्री गोविंद सिंह रौतेला और श्री मोहन सिंह राठौर दोनो डाटा एंट्री ऑपरेटर के समान पद पर एक ही दिन और एक ही वर्ष में नियमित हुए हैं तो फिर इन दोनों के प्रारंभिक वेतन में 1290 रुपय का अंतर कैसे और क्यों रखा गया।
12- मई 2018 में पदों के पुनर्गठन के लिए माननीय मंत्रीमंडल में प्रस्तुत की गई पत्रावली में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों का अपुनरक्षित वेतनमान क्यों दर्शाया गया जबकि इन्हें वर्ष 2016 से पुनरक्षित और बढ़ा हुआ वेतनमान दिया जा रहा था।

जुगरान ने अपने पत्र में मांग की है कि यदि इन 2 डाटा एंट्री ऑपरेटर को 01 लाख रुपय प्रति माह वेतन नियमानुसार दिया जा रहा है तो राज्य के सभी विभागों में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर का वेतन भी इन्हीं की भांति 4200 ग्रेड पे के अनुसार 01 लाख रुपय निर्धारित किया जाये और उनके भत्ते भी इन्हीं की भांति दोगने निर्धारित किये जाएं। और यदि इनको गलत वेतनमान दिया जा रहा है तो फिर पिछले 6 वर्षों में इन 4 कार्मिकों को अवैध और अधिक वेतन के रूप में जो 01 करोड रुपए की धनराशि दी जा चुकी है उसकी इनसे तत्काल रिकवरी की जाये और इनको अवैध वेतन निर्गत करने में जिन जिन अधिकारियों और विभागों की मिलीभगत है उन सब पर तत्काल विधिक कार्यवाही की जाये। अब देखना दिलचस्प होगा कि आपदा प्रबंधन विभाग इतने बड़े वेतन घोटाला करने वालों पर अब क्या कार्यवाही करता है और कब करता है या फिर 06 करोड रुपय के गबन घोटाले की तरह इस घोटाले को भी दबाने का प्रयास करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!