उत्तराखंड से बड़ी खबर

विधानसभा में बैकडोर भर्ती का मामला,सरकार को जवाब देने के हाईकोर्ट ने दिए निर्देश,4 हफ्ते का समय,30 जून को अगली सुनवाई

देहरादून। उत्तराखंड में ” विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता ” के विषय में देहरादून निवासी कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है । इस विषय पर विधानसभा ने एक जाँच समीति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया, किंतु यह घोटाला राज्य 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था जिसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है , अतः विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने हेतु व लूट मचाने वालों से ” सरकारी धन की रिकवरी ” हेतु अभिनव थापर ने हाईकोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका दायर करी । इस याचिका का माननीय हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया और 30.11.2022 को सरकार को 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के आयोग दिए पर और विधानसभा ने अपना जवाब हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया किन्तु प्रदेश सरकार ने अभी तक न्यायलय को कोई जवाब नहीं दिया है।

याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 2003 शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है ।

*याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि ” याचिका में मांग की गई है की राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक समस्त नियुक्तियों की जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में किया जाय और भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूला जाय। सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी है जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा किया है, यह सरकारों द्वारा जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है। विधानसभा ने तो अपना जवाब दाखिल कर दिया है किंतु प्रदेश सरकार ने 6 महीने से कोई जवाब नहीं दिया और वर्तमान सरकार दोषियों पर भी कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है । हम प्रदेश के 10 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को उनका हक दिलवाने की लड़ाई लड़ रहे है।”*

उल्लेखनीय है की भाजपा के पूर्व सांसद, पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर, प्रेस वार्ता व अपने सोशल एकाऊंट से ट्वीट कर विधानसभा से निलंबित 228 कर्मचारियों के पुनः बहाली हेतु आग्रह किया। इससे उत्तराखंड के युवाओं के हितों एवं हक-हकूक की रक्षा हेतु याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने पुरजोर विरोध भी किया है।

जनहित याचिका के माननीय हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायाधीश राकेश थपलियाल युक्त पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा का जवाब आ चुका है किंतु प्रदेश सरकार ने 6 महीने से जवाब दाखिल नही किया अतः सरकार को पुनः नोटिस जारी कर हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया। अगली सुनवाई की तिथि 30 जून को तय की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!