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कांग्रेस के भीतर भूचाल लाने वाला लेटर,कांग्रेस की नाकामियों को किया उजागर,सीएम को बेनकाब करने का मौका पार्टी पर गंवाने का आरोप

देहरादून । उत्तराखंड में विपक्ष में बैठी कांग्रेस पर मित्र विपक्ष के आरोप लगते रहे हैं, साथ ही उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी भी हावी इससे नकारा नहीं जा सकता है। कोरोना वायरस महामारी के दौर में कांग्रेसी नेताओं के बीच तालमेल की स्थिति न होने और जनता के बीच कांग्रेस की छवि खराब होने की पोल खुद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी ने खोली है,जिसको लेकर प्रकाश जोशी ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को पत्र भेजा है । पत्र में प्रकाश जोशी ने 3 अहम बातों को जिक्र किया है,पहली बात कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद कांग्रेसी नेताओं के अलग अलग बयानों का जिक्र है,दूसरी बात कांग्रेस विधायकों के द्वारा 30 प्रतिशत वेतन कटौती की प्रस्ताव पर कांग्रेस विधायकों की सहमति न दिए जाने का है और तीसरा और सबसे अहम बात इस बात को लेकर है कि नेता प्रतिपक्ष के द्वारा मुख्यमंत्री को जिम संचालको की समस्या को लेकर फोन किए जाने को लेकर है,जिसमे इंद्रा हृदेश को मुख्यमंत्री कार्यालय से जवाब मिलता है कि मुख्यमंत्री बैडमिंटन खेल रहे है। तीनो बातों का विस्तार में जिक्र प्रकाश जोशी ने किया है।

विरोधीभाषी बयान की वजह एक बयान होता जारी

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज कोरोनावायरस के बाद जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके मंत्री सेल्फ कोरोटाइन्ट में चले गए उसके बाद कांग्रेसी नेताओं के बयानों पर प्रकाश जोशी ने कहा है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के कोरोटाइन्ट में जाने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की,सबसे पहले प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की, जिसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय सारस्वत और धीरेंद्र प्रताप ने सामूहिक बयान जारी कर,और कहा कि जोत सिंह बिष्ट का बयान निजी बयान बताया और उससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है । इसके अगले दिन पार्टी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने फिर से उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की, जिसको लेकर प्रकाश जोशी ने कहा है कि इस तरह के विरोधी भाषी बयानों से कार्यकर्ता भी भ्रमित होते हैं,बल्कि जनता में भी पार्टी की छवि बिगड़ती है अच्छा होता पार्टी नेतृत्व एक साथ बैठकर इस मामले पर एक बयान जारी करता ।

विधायकों के वेतन कटौति पर सहमति न देने पर भी सवाल

प्रकाश जोशी ने साथ ही प्रदेश सरकर के द्वारा विधायकों के वेतन भत्तों 30 कटौती के निर्णय पर कांग्रेसी विधायको की सहमति न देने पर भी सवाल उठाया गया है। प्रकाश जोशी का कहना है कि समय-समय पर मीडिया और भाजपा नेताओं के द्वारा कांग्रेस विधायकों के द्वारा वेतन कटौती पर सहमति न देने को लेकर सवाल उठाए गए जिससे जनता में कांग्रेसी पार्टी का संदेश गलत गया है।

मुख्यमंत्री को बेनकाब करने का अवसर पार्टी ने गंवा दिया

प्रकाश जोशी ने अपने पत्र में सबसे अहम और खास बात जो लिखी है वह नेता प्रतिपक्ष के द्वारा मुख्यमंत्री को किए गए उस फोन को लेकर की गई है जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय का जवाब कांग्रेस के लिए इस दौर में संजीवनी का काम कर सकता था जी हां प्रकाश जोशी ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश के पास कुछ जिम संचालक अपनी समस्या को लेकर पहुंचते हैं नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री को फोन लगाते हैं तो मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाब देते हैं कि इस समय माननीय मुख्यमंत्री बैडमिंटन खेल रहे हैं इसलिए उनसे बात नहीं हो सकती है इस वजह से नेता प्रतिपक्ष की बात मुख्यमंत्री से नहीं हो पाई प्रकाश जोशी इसको लेकर कहते हैं कि अगर उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार होती और मुख्यमंत्री कांग्रेस के होते और भाजपा नेताओं के द्वारा मुख्यमंत्री को फोन किया जाता और उन्हें इस तरीके का जवाब मिलता तो भाजपा नेता प्रदेश में भारी बवाल मचा देते। इसलिए वह कहना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री जी को बैडमिंटन खेलने का शौक है यह उनका जीवन का विषय है इस पर आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए परंतु को रोना के संकट काल में जब प्रदेश वासियों का जीवन संकट में और मुख्यमंत्री कार्यालय से ऐसा जवाब मिले तो वह सुगनिया नहीं है इसलिए कांग्रेसी नेतृत्व द्वारा ऐसे असंवेदनशील तथा संकट की घड़ी में गंभीर आचरण न करने वाले मुख्यमंत्री को बेनकाब करने का अवसर कांग्रेस ने गंवा दिया।

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