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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा के विधायक पर लगाया जमीन कब्जाने का आरोप,उठाए कई सवाल

देहरादून। विगत कुछ महिनों से लगातार सुबे की भाजपा सरकार द्वारा लैण्ड जिहाद को बडे पैमाने पर महिमा मडित किया जा रहा है,ये आरोप कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने लगाए हैं,कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने शनिवार को प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में धामी सरकार के लैण्डजिहाद को लेकर कई आरोप लगाए। 
माहरा ने जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड कांग्रेस की रिसर्च टीम ने उत्तराखण्ड सूचना आयोग देहरादून की वेब-साइड से एक प्रकरण निकाला है जो आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ।
शिकायतकर्ता अजय सिंघल जो कि भाजपा के झण्डा वार्ड 27 से लम्बे समय से पार्षद रहे हैं, उन्होंने लोकसूचना अधिकारी नगर निगम देहरादून को 30 मार्च 2022 पत्र लिखकर दो बिन्दुओं पर सूचना मांगी।
1. डाण्डा लखौण्ड सहस्त्रधारा रोड, वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में सिद्धार्थ पैरा मेडिकल कॉलेज द्वारा डबल कॉलम में तीन माह पहले सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर ऑडिटोरियम निर्माण की शिकायत की गयी थी उस पर क्या कार्रवाही हुयी।
2. उक्त भूमि यदि अतिक्रमण हुआ है तो निगम उसे खाली कराने के लिए क्या कार्रवाही कर रहा है।
 माहरा ने बताया कि 20 मई 2022 को लोकसूचना अधिकारी नगर निगम देहरादून द्वारा अजय सिंघल को पत्र के माध्यम से जो सूचना दी गयी वो पर्याप्त और स्पष्ट नहीं थी, प्राप्त सूचना को अधूरी एवं गुमराह करने वाली बताते हुए अजय सिंघल ने 13 जून 2022 को एक बार पुनः प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी नगर निगम देहरादून के समक्ष अपील योजित की। दिनांक 8 जुलाई 2022 को प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी ने लोकसूचना अधिकारी ध् सहायक नगर आयुक्त नगर निगम देहरादून को चेतावनी देते हुए अजय सिंघल के पत्र का संज्ञान लेते हुए स्पष्ट एवं प्रमाणित सूचनाएँ निशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। निर्देशों का पालन न होते हुए देखकर अजय सिंघल ने दूसरा अपीलीय प्रार्थना पत्र दिनांक 15 सितम्बर 2022 को पुनः लिखा जिसमें एक बार पुनः स्पष्ट सूचना उपलब्ध कराये जाने हेतु अनुरोध किया गया।
अजय सिंघल का पक्ष सुनते हुए एवं सम्पूर्ण पत्रावली का अवलोकन करते हुए आयोग ने पाया कि अजय सिंघल ने डाण्डा लखौण्ड स्थित सिद्धार्थ पैरामेडिकर कॉलेज द्वारा नगर निगम देहरादून की लगभग 6 बीघा भूमि पर कब्जे की शिकायत नगर आयुक्त से की गयी थी। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत अजय सिंघल द्वारा आरटीआई भी लगाई गई थी। अजय सिंघल जो स्वयं सत्तारूढ दल के जनप्रतिनिधि (नगर निगम के कई बार के पार्षद है) का कथन है कि निगम द्वारा उन्हें गुमराह किया जा रहा है, और उनके शिकायत पत्र पर 12 अगस्त 2022 तक भी कोई कार्रवाही नही की गयी। अजय सिंघल का आरोप है कि उनकी शिकायत को निगम द्वारा गम्भीरता से नही लिया गया जिसके चलते उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का सहारा लेना पडा। नतीजा यह हुआ कि प्रथम अपील के बाद निगम को एक संयुक्त टीम का गठन कर उल्लेखित स्थल की जाँच करानी पडी। दिनांक 12 अगस्त 2022 को संयुक्त टीम की जॉच रिपोर्ट में पुछि भी हुयी कि सिद्धार्थ पैरामेडिकल कॉलेज द्वारा अलग-अलग खसरा संख्या में नगर निगम की 0.3196 हैक्टर (3. 5 बीघा) पर कब्जा हुआ है। संयुक्त टीम की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ है कि रिपार्ट पर कोई कार्रवाही आतिथि तक नही हुई है। अजय सिंघल का कहना है कि यह सूचना भी गुमराह करने वाली है। उनके अनुसार निगम की रिपार्ट में 0.3196 हेक्टर पर कब्जा पाया गया है लेकिन बेदखली की कार्रवाही मात्र 0.030 हैक्टर पर ही की जाएगी।

अतः नगर निगम की कार्रवाही में भारी विरोधाभास पाया गया है। अजय सिंघल का कहना है कि अभी लेखिए कूट रचना कर प्रकरण में भ्रम की स्थिति उत्पन्न की जा रही है ताकि सच्चाई दबाई जा सके, नगर निगम की 6 बीघा जमीन पर एक प्राईवेट संस्था का कब्जा है जो कि जनहित में मुक्त होनी चाहिए। आयोग की कार्रवाही में पाया गया कि नगर के उपस्थित प्रतिनिधि और अधिकारी इस प्रकरण पर स्पष्ट एवं संतोषजनक उत्तर नही दे पा रहे हैं उक्त प्रकरण नगर निगम की व्यवस्था एवं कार्य संस्कृति पर सवाल है। नगर निगम आर्थात छोटी सरकार जनतन्त्र के लिहाज से एक अहम संस्था है। हैरानी की बात यह है कि जब वहाँ एक सत्तारूढ दल के जनप्रतिनिधि की सुनवाई नही है तो कैसे उम्मीद की जाए कि वहाँ जनता सुनवाई होती होगी। बड़ा सवाल यह है कि नगर निगम देहरादून किसके लिए है? देहरादून नगर की जनता के लिए? या कुछ खास लोगो के लिए? निगम की जमीने खुलेआम कब्जा हो रही हैं खुर्द बुर्द की जा रही है नगर निगम मूक दर्शक बना हुआ है य इसे नगर निगम की सलिप्तता माना जाए। इसे क्या कहना चाहिए लूट की खुली छुट, साजिस, अराजकता, लापरवाही, अकरमन्यता या संरक्षण । यदि सत्तारूढ़ दल के प्रतिनिधि को कार्रवाही के लिए सूचना के अधिकार का सहारा लेना पड़ता तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या होगा। निसंदेह यह भविष्य के लिए बेहद गम्भीर एवं भयावह स्थिति का संकेत हैं। यह सिर्फ जनतंत्र पर सवाल नही सरकार की प्रतिष्ठा पर भी प्रश्न चिन्ह है। इसके अतिरिक्त देहरादून स्थित डालनवाला थाने के समीप नगर निगम की एक बडी भूमि पर किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा कब्जा कर लिया गया और नगर निगम ने उस भूमि पर उस व्यक्ति से टैक्स भी जमा कर लिया जिससे उस व्यक्ति का उस नगर निगम की जमीन पर अधिकार और पुख्ता हो गया। माहरा ने पूछा कि सरकार और जनता की सम्पत्ति को लुटाने का नगर निगम को क्या अधिकार है?  माहरा ने बताया कि दूसरा प्रकरण हरिद्वार का है। हरिद्वार के बड़ा उदासीन अखाड़ा द्वारा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक मदन कौशिक पर उदासीन अखाड़े की जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया गया है, बहुत बडी संख्या में संतो द्वारा मीडिया में इस बात की मांग की गई कि मदन कौशिक और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा जो जमीन कब्जाई गई है उसकी जांच करा दी जाए ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो जाए। क्योंकि विगत कई वर्षों से तमाम अखाड़े के लोगों ने शिकायत की है कि मदन कौशिक और उनके रिश्तेदारों द्वारा सैकड़ों बीघा जमीन जो विभिन्न अखाड़े हैं उन पर कब्जा किया जा रहा है और उनमें संपत्तियों को खड़ा किया जा रहा है और बेचा जा रहा है। इस संबंध में कई लोगों से बातचीत भी की गई, इससे पहले भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई प्रधानमंत्री और अमित शाहद के नाम अखाडे के संतों द्वारा पत्र भी लिखा गया।  सन्त मोहन गिरी के अपहरण और हत्या का मामला भी उठाया गया। माहरा ने कहा कि हरिद्वार व देहरादून में भारतीय जनता पार्टी के जितने भी नेता हैं चाहे विधायक, पार्षद या मंत्री उनकी सम्पत्ति की जॉच होनी चाहिए, माहरा यहीं नही रूके उन्होंने कहा कि असली लैण्ड जिहाद के सूत्रधार भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गण ही हैं चाहे वह मंत्री पदों पर रहे व्यक्ति हों या चाहे बड़े वरिष्ठ विधायक, प्रदेश मंे चल रहे लैंड जिहाद में सबसे बड़ा हाथ उन्हीं का रहा है। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की धामी सरकार अपनी कमियों को छिपाकर कहीं मंदिर तो कहीं मजारों पर अतिक्रमण का आरोप लगा रही है लेकिन अगर इसकी जांच करा लें तो सबसे बड़े घोटालेबाज भारतीय जनता पार्टी के नेता ही निकलेंगे। की बात आएगी आज की बात आएगी तो सामने आ जाएगा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं।

                                                       

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