उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संगठन पर संवैधानिक संकट,कोर्ट में जाने तक पहुंची बात,आमने सामने अध्यक्ष और महामंत्री
देहरादून। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सियासी उठापटक के लिए उत्तराखंड की एक विशेष पहचान जहां देश में बन चुकी हैं। वहीं उत्तराखंड के सबसे बड़े शिक्षक संगठन राजकीय शिक्षक संगठन में भी बड़ी दरार पड़ चुकी है, जिस तरह उत्तराखंड सियासी उठापटक और गुटबाजी के लिए जाना जाता है, ठीक उसी तरीके से राजकीय शिक्षक संगठन भी गुटबाजी के लिए जाना जाता है। सबसे बड़े संगठन होने के नाते जहां राजकीय शिक्षक संगठन की अपनी विशेष पहचान है वही जिस तरीके से संगठन में आपसी गुटबाजी है,उससे यह पहचान और खास हो जाती है। राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी और संगठन के प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह मांजिला सीधे तौर से आमने सामने आ गए हैं। दरअसल प्रदेश महामंत्री को बिना विश्वास में लिए शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी ने कार्यकारिणी भंग करने को लेकर शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी को पत्र दे दिया,जिसको लेकर सोहन सिंह माँजीला ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं,सोहन सिंह मांजिला का कहना है कि बिना कार्यकारिणी को विश्वास में लिए कार्यकारिणी को भंग किया जाना राजकीय शिक्षक संगठन के संविधान का उल्लंघन है।
शिक्षक संगठन पर संवैधानिक संकट
राजकीय शिक्षक संगठन में जारी घमासान के बीच संवैधानिक संकट आ खड़ा हुआ है, यह बात राजकीय शिक्षक संगठन के प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह मांजिला का कहना है,मांजिला का कहना है कि राजकीय शिक्षक संगठन के सदस्यों का वेरिफिकेशन हुआ नहीं है और चुनाव कराए जाने की बात कही जा रही है। राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी कह रहे हैं कि 18000 सदस्य संगठन के बन चुके हैं जबकि संगठन के पास सदस्यता शुल्क अभी तक नहीं पहुंचा है, सदस्यता शुल्क स्कूल, ब्लॉक, जिला मंडल और प्रांत स्तर तक जमा होता है,लेकिन सदस्यता शुल्क नहीं पहुंचा,जिससे कई लोग सवाल खड़े किए जा रहे है,यदि कार्यकारिणी भंग की जाती है तो फिर सदस्यों का वेरिफिकेशन कैसे होगा, क्योंकि सदस्यों का वेरिफिकेशन प्रांतीय महामंत्री के द्वारा ही किया जाता है। यदि चुनाव से पहले प्रान्तीय स्तर पर शुल्क को लेकर कोई सवाल खड़े करता है,तो वह कोर्ट जाने का मजबूर होंगे ताकि हर चीज का हिसाब किताब सबके सामने आए।
2 जून 2020 के आदेश को क्यों नहीं मानते अध्यक्ष
राजकीय शिक्षक संगठन के प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह मांजिला का साथ ही कहना है कि 2 जून 2020 को एक आदेश जारी हुआ था, जिसके तहत ब्लाक, मंडल और फिर प्रांतीय स्तर पर संगठन के चुनाव कराने की बात कही गई थी, तो फिर राष्ट्रीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी 2 जून 2020 के आदेश को नहीं मानते है।
शिक्षक निदेशक के फैसले पर टिकी नजरें
राजकीय शिक्षक संगठन के प्रांतीय महामंत्री और प्रांतीय अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी के बीच आपसी गुटबाजी को देखते हुए शिक्षकों की नजरें शिक्षा निदेशक के उस फैसले पर टिकी हुई है जो शिक्षा निदेशक के द्वारा लिया जाएगा। संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी जहां कार्यकारिणी को भंग करने को लेकर पत्र दे चुके हैं। वहीं सोहन सिंह मांजिला भी पत्र के माध्यम से यह बात कह चुके हैं कि उन्हें बिना विश्वास में लिए कार्यकारिणी भंग नहीं हो सकती। ऐसे में शिक्षक निदेशक कार्यकारिणी को भंग करती है या नहीं यह तो देखने वाली बात और साथ ही सबकी नजर इस बात पर भी लगी हुई शिक्षा निदेशक राजकीय शिक्षक संगठन के प्रांतीय कार्यकारिणी के चुनाव को लेकर क्या फैसला लेती है।