शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को दिखाया डर,शिक्षकों के आंदोलन कमजोर करने के लिए आदेश जारी,कर्मचारी आचरण नियमावली की दिलाई याद
देहरादून। उपर्युक्त विषयक आप विज्ञ हैं कि विभाग / शासन द्वारा समय-समय पर दिये गये निर्देशों के क्रम में विभिन्न कार्यालयों विद्यालयों में सुचारू रूप से कार्य संचालन के दृष्टिगत अधिकारियों-कार्मिकों शिक्षकों आदि को कार्य दायित्व सौंपे जाते हैं। वर्तमान में दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार से ज्ञात हुआ है कि “राजकीय शिक्षक संघ 33 विभिन्न मांगों के लिए शैक्षिक सत्याग्रह के दूसरे चरण में शुक्रवार से प्रभारी प्रधानाचार्य का काम नहीं करेंगे। अब तक बड़ी संख्या में शिक्षक प्रभार छोड़ने की सूचना अपने-अपने ब्लॉक के बीईओ को दे भी चुके हैं।” उक्त सम्बन्ध में आप अवगत ही हैं कि प्रदेश के 1300 से अधिक राजकीय इण्टर
कॉलेजों में से लगभग 800 विद्यालयों में वरिष्ठ शिक्षक ही प्रभारी प्रधानाचार्य का प्रभार देख रहे हैं। यदि प्रभारी शिक्षकों द्वारा प्रभार छोड़ा जाता है तो स्कूलों में प्रशासनिक मुखिया न होने से प्रशासनिक / शैक्षणिक कार्य प्रभावित होंगे। साथ ही माह फरवरी-मार्च 2024 में परिषदीय परीक्षा एवं उससे पूर्व प्रयोगात्मक परीक्षा हेतु छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन कार्य भी प्रभावित होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में यदि विद्यालय में शिक्षण और प्रशासनिक कार्य के सुचारू रूप में संचालन में कोई बाधा उत्पन्न करता है तो यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा।
राज्य सरकार के अधीन कार्यरत प्रत्येक लोक सेवक को अपने शासकीय कार्य दायित्वों का निर्वहन करना बाध्यकारी है। यदि कोई शिक्षक कार्मिक अधिकारी सौंपे गये दायित्वों का निर्वहन करने से मना करता है या इसमें बाधक बनता है, तो यह कर्मचारी आचरण नियमावली के विरूद्ध है।
अतः सुनिश्चित किया जाय कि प्रत्येक विद्यालय में प्रशासनिक / शैक्षणिक कार्य निर्वाध रूप से संचालित होता रहे। यदि किसी भी विद्यालय में प्रशासनिक / शैक्षणिक कार्य में किसी शिक्षक के द्वारा सौंपे गये कार्य दायित्वों के निर्वहन न करने से बाधा उत्पन्न होती है तो इसे गम्भीरता से लेते हुये छात्र हित में सम्बन्धित के विरूद्ध कर्मचारी आचरण नियमावली के
अनुरूप तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जाय।