प्राइवेट स्कूलों के सामने झुकी ड़बल इंजन सरकार,सरकार के झुकने के बाद भी कल जारी हुए आदेशों को नहीं मान रहे दून के स्कूल
देहरादून। उत्तराखंड कि त्रिवेंद्र सरकार जिस मजबूती से फैसले प्रदेश में लेती है उसी तेजी से कई फैसले पलट भी देती है। हांलाकि तीन साल में देखा गया है कि त्रिवेंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लेकर जनता का दिल जीता भी है और उन्ही फैसलों से जनता के दिल में सरकार ने जगह भी बनाई है,उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था ही बात करें तो काफी बदलाव इन तीन सालों में सरकारी शिक्षा व्यवस्था में देखने को मिला है। वहीं प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्ताकों को लागू कर अभिभवकों की बससे बड़ी दिक्कत को त्रिवेंद्र सरकार ने अपने मजबूत इरादों ये दूर भी किया है। हांलाकि ये बात अलग है कि उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूल इतने निर्दयी है कि वह अभिभवकों की पीड़ा को समझते ही नहीं है,और एनसीईआरटीई की पुस्तकों के साथ अन्य पब्लिकेशन की महंगी पुस्तके भी चला रहे है। वहीं सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि जब कोराना महामारी को देखते हुए पीएम की अपील में पूरे देश में सम्पूर्ण लाॅक डाउन घोषित किया गया तो त्रिवेंद्र सरकार ने एक आदेश प्राइवेट स्कूलों के लिए जारी किया कि कोई भी प्राइवेट स्कूल लाॅक डाउन तक फीस जमा करने के लिए अभिभावकों को नहीं कहिएंगे,इसके बावजूद भी कई प्राईवेट स्कूलों ने सरकार के इस आदेश को नहीं माना । सरकार के आदेश को लाॅक डाउन के दौरान ही वापिस करने के लिए प्राइवेट स्कूल संचालकों ने रणनिति बनाई जिसमें स्कूलों ने बाजी भी मार ली है। सरकार के द्धारा जारी आदेश के तहत लाॅक डाउन तक फीस जमा न करने का फैसला सरकार ने सुनाया था,जिसकी वहावही शिक्षाा मंत्री से लेकर सरकार ने भी ली,लेकिन प्राइवेट स्कूल संचालक इससे बेचैन हो गए । सरकार के उपर स्कूल संचालकों ने दवाब बनाया और सरकार ने अपने पुराने आदेश में संसोधन करते हुए स्वेच्छा से अभिभावकों से फीस जमा करने किए नया आदेश जारी कर दिया। सरकार के नए ओदश के मुताबिक जो अभिभावक स्वेच्छा से फीस जमा करना चाहते है उनहे फीस जामा करने के लिए कहा गया है तो जो अभिभवका फीस जमा करने में असमर्थ है उनहे फीस जमा न करने के लिए कहा गया है। साथ ही सभी प्राईवेट स्कूल से केवल अभी एक महीने की ही फीस जमा करने के लिए कहा गया है। साथ ही सरकार ने फीस न बढ़ाने के आदेश भी इस साल प्राइवेट स्कूलों को दिए है।
सरकार के आदेशों की अवहेलना
लेकिन आदेश होने के अगले दिन ही देहरादून के कई नामी स्कूलों ने सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हुए एक महीने की जगह तीन महीने फीस लेने के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है साथ ही फीस न बढ़ाने के आदेश के बाद भी इन नामी स्कूलों ने अन्य चार्ज के बहाने फीस बढ़ाने का काम किया है और ये वहीं स्कूल है जिन्होने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री राहत कोष में कोराना महामारी से लड़ने के लिए सहायाता राशी भी जमा की थी,ऐसे में सवाल ये उठाता है कि ऐेसे स्कूलों का ये दोहरा चरित्र उजागर होता है एक तरह जहां सहायता राशी के नाम पर हमदर्दी जताने की कोशिश कर रहे है वहीं दूसरी तरफ कोराना महामारी में उसी सहायता राशी देने के लिए अभिभवकों की जेब पर डाका डाल रहे है वह भी तक जब सरकार ने फीस न बढ़ाने के आदेश जारी किए है और अन्य जार्च के नाम पर स्कूल ने फीस बढ़ा दी है।