Exclusive:उत्तराखंड के दुर्गम जिलों के स्कूलों के भवन बनाने में सरकारी निर्माण एजेंसी नहीं दिखाती दिलचस्पी,ब्लैक लिष्ट करने के निर्देश
देहरादून। उत्तराखंड के खस्ता हाल स्कूलों के भवन निर्माण कार्यों में लेट लतीफ से शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय खास खफा है। सचिवालय में आज शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने शिक्षा विभाग के साथ निर्माण एजेसिंयों के साथ बैठक करते हुए,उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के भवन निर्माण कार्यों की समीक्षा की लेकिन समीक्षा में जो तथ्य सामने आएं शिक्षा मंत्री उनसे काफी नाराज आएं और शिक्षा ने कहा कि जिन स्कूलों के भवन के लिए बजट जारी भी हो गया है उनमे लेट लतीफे सही नहीं है। साथ ही ऐसे निर्माण एजेंसियों को अरविंद पाण्डेय ने ब्लैक लिस्टेड करने के निर्देश दिए है। जो स्कूलों के भवन निर्माण का कार्य इसलिए लटका रहे है ताकि हर साल भवन निर्माण की लागत बढ़ती रही,उत्तराखंड में 2013 से ऐसे कई स्कूलों के भवन के निर्माण की लागत हर साल बढ़ाई तो जिनका निर्माण कार्य एजेसिंयों ने अधर में लटका रखा है। स्कूलों के भवन निर्माण का कार्य लटकाने वाली एजेसिंयों को जहां ब्लैक लिस्टेड करने के निर्देश शिक्षा मंत्री ने ेदिए है। वहीं शिक्षा विभाग के ऐसे अधिकारियों पर भी कार्रवाई की बात कहीं है जिनकी वजह से भवन निर्माण में देरी हो रही है। लेकिन इन सब लापरवाहियों के बीच शिक्षा मंत्री ने कहा है कि जिस वित्तिय वर्ष में स्कूलों के भवन में स्वीकृति मिले उसी वित्तिय वर्ष में भवन निर्माण होना सुनिश्चित हो। साथ ही 15 सितम्बर तक ऐसे स्कूलों के भवन निर्माण के कार्य पूरे कर लिए जाएं जिनके कार्य प्रगति पर हैं।
दुर्गम के स्कूलों को बनाने में निर्माण एजेसिंयों की दिलचस्पी नहीं
उत्तराखंड में यू तो कई सौ स्कूलों की हालत जर्जर है,लेकिन इन सबके बीच 245 स्कूलों के भवन निर्माण का कार्य सर्व शिक्षा अभियान के तहत चला रहा है। जबकि 250 के करीब स्कूलों का निर्माण कार्य राज्य सरकार करवा रही है। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि उत्तराखंड के दुर्गम स्कूलों के भवन निर्माण करने के लिए कोई भी सरकारी एजेंसी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। जिस वजह से पहाडी जिलों के 14 स्कूलों के भवन निर्माण कैसे होगा ये समझ से परे है।