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छात्र फीस नहीं कर पा रहे है जमा तो कॉलेज ने फरमान किया जारी,जब तक फीस नहीं तब पढ़ाई नहीं,क्या तीरथ सरकार लेगी संज्ञान

देहादून। कोविड महामरी के दौर में जहां कई लोगों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है,तो कई ऐसे लोग इस महामारी में की चपेट में आने से जान गंवाा चुके है,जिनके उपर उनके परिवार की जिम्मेदारी भरण पोषण की थी,यानी इस महामारी में कईयां ने अपनों को तो खोया ही है,लेकिन अपनों को खोने के साथ कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट भी इस महामारी ने पैदा कर दिया। दूसरी तरफ कई लोग ऐसे है जो इस महामारी में भी इंशानियत को भूल कर केवल पैंसा कमाने की सोच रहें। कई प्राईवेट अस्पताल और दवा विक्रेता इसका जीता जागता उदाहरण है। लेकिन इन सब से हटके शिक्षा के क्षेत्र में भी प्राईवेट संस्थान अपनी कमाई में कमी का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे है। जिन प्राईवेट संस्थानों ने आज तक केवल कमाई करना सीखा  है,उन्हे इस बुरे दौर में बिल्कुल भी इस बात की शर्म नहीं आ रही है,कि वह छात्रों के साथ – साथ अभिभवाकों पर फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहें है। खैर अगर सरकार चाहती तो इस बुरे दौर में अभिभवकों और छात्रों की पीड़ा को समझती है,और जो छात्र इस समय आर्थिक तंगी से परेशान है उनको राहत देने के लिए कुछ प्लान बनाती,लेकिन नहीं सरकार को तो इस समय कोविड महामारी में तड़पती जनता की पीड़ा दिखाई दे रही है,न ही प्राईवेट स्कूलों में लूट रहे अभिभवाकों के आंसू दिख रहे है। सरकार को दिख रहा है तो आंख बंद करके सब कुछ ठीकठाक दिख रहा है। खैर जिसका नजरिए जैसा होता है उसे दिखता भी वैसे ही है।

फीस जमा करना बना मुसिबत

उत्तराखंड में सैकणों परिवार इस समय ऐसे में है जिनके सामने इस महामारी में अपने बच्चों की फीस जमा करना भारी पड़ रहा है,लेकिन काॅलेज को तो अपनी कमाई से मतलब है। हांलाकि कक्षा 12 तक के प्राईवेट स्कूलों में सरकार ने आदेश जारी किया हुआ है कि काई भी प्राईवेट स्कूल अभिभवकों पर फीस जमा करने लिए दबाव नहीं बनाएगा। न ही फीस जमा करने में असमर्थता पर स्कूल छात्र का नाम काट सकेंग। इसके बाजवूद कई प्राईवेट स्कूल चोरी छुपे अभिभवकों पर फीस जमा करने के लिए दवाब बना रहें है। लेकिन हम बात आज उस मंहगी शिक्षा की कर रहे है,जिसके लिए अभिभाव सब कुछ दाव पर लगाते है। जी हां 12 वीं पास करने के बाद हर अभिभाव का सपना होता है कि वह अपने बच्चों के सपने को साकार करें। इसके लिए वह बेहतर और अच्छी शिक्षा के लिए मंहगी पढ़ाई से भी पिछे नहीं हटते है,ताकि अच्छी नौकरी उनके बच्चों की राह में मुश्बित न बने,लेकिन यही चाह आज कल कई अभिभवों की राह में मुश्बित बन गई है। क्योंकि उनके पास इतने पैंसे नहीं है कि वह अपने बच्चे की फीस जमा कर सके। लेकिन उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के लिए सरकार ने कोई ऐसा आदेश जारी नहीं किया है कि यदि किसी अभिभावक के पास इस समय फीस नहीं है तो उनके बच्चों की पढ़ाई न रोकी जाए। लेकिन कई प्राईवेट काॅलेज ने इस लिए आॅनलाईन पढ़ाई रोक दी है क्योंकि छात्र फीस जमा नहीें कर रहे है।

उत्तरांचल काॅलेज को फीस जमा करने को लेकर अनोखा दबाव

देहरादून स्थित उत्तरांचल काॅलेज जो मेडिकल शिक्षा प्रदान करता है,उसने इस महामारी के दौर में फीस जमा करने के लिए अनोखा दबाव बनया है। जी हां काॅलेज की तरह से छात्रों को फीस जमा करने के लिए दबाव तो बनाया ही जा रहा है। साथ ही काॅलेज ने इसलिए आॅनलाईन पढ़ाई रोक दी है क्योंकि छात्र फीस जमा नहीं कर रहें है। यानी फीस की वजह से शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार छात्रों से छिना जा रहा है। छात्रों को स्पष्ट कह दिया गया है जब तक फीस जमा नहीं होती तक पढ़ाई नहीं होगी। छात्रों की इस पीड़ा को लेकर जब हमने काॅलेज के एमडी जीडीएस बर्ने को फोन किया तो उन्होने भी ये बात स्वीकारी की काॅलेज ने फीस जमा न करने तक आॅनलाईन पढ़ाई बंद करने का फैसला लिया है। हांलाकि काॅलेज के एमडी आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए ये फैसला लेने की बात कर रहें है। साथ ही कह रहे है जब छात्र की फीस जमा नहीं करेंगे तो फिर स्टाॅफ को कैसे सैलरी देंगे। लेकिन जब हमने उनसे सवाल किया कि हो सकता है कि कई अभिभावकों के पास इस समय फीस जमा करने के लिए पैंसे न हो तो फिर उनका कहना था कि उनके काॅलेज में कई ऐेसे छात्र भी है जो काफी गरीब भी है,उसे लिए उन्होने कह दिया है कि यदि कोई गरीब छात्र फीस जमा नहीं कर पा रहा है तो वह उसकी वजह बता दे,यदि किसी अभिभावक की नौकरी चली गई तो वह उसका प्रमाण दे,यदि किसी ड्राइवर का बच्चा उनके काॅलेज में पढ़ रहा है तो ड्राइविंग लाईसेंस दिखा दे। लेकिन जिनके बच्चों के अभिभावक सरकारी नौकरी पर है वह तो फीस जमा करदे,क्योंकि कई ऐसे अभिभावक है जो सरकारी नौकरी में होने के बाद भी फीस जमा नहीं कर रहें।

कैसे निकलेगा हल

अब ऐसे में कैसे हल निकलेगा इसका रास्ता सरकार को ही निकालना है,क्योंकि जो सरकारी कर्मचारी यदि वेतन ले रहा है और अपने बच्चों की फीस जमा नहीं कर रहा है वह भी गलत है,जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है,और छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इसलिए इस दिशा में सरकार को कदम उठाने की जरूरत है,यदि कोई फीस जमा वास्वत में आर्थिक तंगी की वजह से नहीं उठा रहा है तो उसे कैसे राहत दी जा सकती है। और जो स्कूल फीस जमा करने के लिए दवाब बनाकर पढ़ाई रोक दे रहें है,उन पर क्या कार्रवाई की जाएं। क्योकि महामारी किसी के कैरियर पर बोझ न बन जाएं इस दिशा में भी सोचा जाना चाहिए। 

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