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छात्रों को समय पर नहीं मिली पुस्तकें तो शिक्षा महानिदेशक ने खुद को भी माना दोषी,खुद का वेतन रोकने के साथ अधिकारियों का वेतन रोकने की कह दी दो टूक

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में अनोखा मामला पहली बार देखने को आया हैं, जहां शिक्षा महानिदेशक के द्वारा खुद के ऊपर की गई कार्रवाई को लेकर वह चर्चाओं में आ गए हैं कि आखिर एक अधिकारी कैसे अपने वेतन को रुकवाने के लिए शिक्षा सचिव को पत्र भेजते है। दरअसल शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के द्वारा आज सरकारी स्कूलों में छात्रों को निशुल्क उपलब्ध होने वाली पुस्तकों को लेकर समीक्षा बैठक ली गई थी जिसमें उन्होंने एक ऐसा फैसला ले लिया जिससे शिक्षा विभाग ही नहीं अन्य विभाग भी उनके इस फैसले से चकित से नजर आ रहे हैं । लेकिन जो फैसला उन्होंने लिया है वह वास्तव में सराहनीय भी हैं क्योंकि यदि अगर छात्रों को समय पर पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो रही है तो इसकी जिम्मेदारी अधिकारियों के साथ उन्होंने खुद की भी मानी है और जो भी अधिकारी निशुल्क पुस्तकों के वितरण में सम्मिलित हैं उनके साथ शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने खुद का भी वेतन तब तक रोकने के निर्देश दिए हैं जब तक की छात्रों को शत प्रतिशत पुस्तके उपलब्ध नहीं हो जाती है।

 

शिक्षा महानिदेशक ने आज  गूगल मीट के माध्यम से जनपदों के साथ निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों के वितरण की अद्यतन प्रगति की समीक्षा की गयी। जिसमें निम्न प्रमुख बिन्दुओं पर कार्यवाही हेतु निर्देश दिए गए :-
1.
प्रारम्भिक स्तर पर कक्षा 1 से 8 तक की लगभग शत प्रतिशत किताबें वितरित की जा चुकी हैं, लेकिन कुछ जनपदों में छात्र संख्या वृद्धि के कारण निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों की अतिरिक्त मांग की जा रही है। तद्कम में जनपदों को निर्देश दिये गये हैं कि सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों से समीक्षा कर जिस जनपद में अतिरिक्त पाठ्य पुस्तकें शेष हैं वे मण्डल स्तर से अवशेष पाठय पुस्तकों का समायोजन कर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा लें किताबों की आवश्यकता हो तो वे सीधे फर्म को अपनी मांग प्रेषित करें।

2. जनपदों कक्षा 9 से 12 तक की लगभग 95 प्रतिशत पुस्तकें विद्यालयों को वितरित की जा चुकी हैं। जनपद हरिद्वार एवं पौड़ी के द्वारा अवगत कराया गया कि राजकीय विद्यालयों केसाथ अशासकीय विद्यालयों हेतु त्रुटिवश मांग प्रेषित किये जाने के कारण जनपदों को पाठ्य पुस्तकें अधिक प्राप्त होने के कारण किताबें अवशेष बची है। उक्त के क्रम में मण्डलों को
निर्देशित किया गया है पाठ्य पुस्तकों को जिन जनपदों से अतिरिक्त मांग की जा रही है उन जनपदों से समन्वयन स्थापित कर अतिरिक्त किताबों को सम्बन्धित जनपदों से 01 सप्ताह के अन्तर्गत प्राप्त करे। 

3. जिन विद्यालयों के छात्र छात्राओं को अद्यतन निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें प्राप्त नहीं हुयी हैं उन जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित कर लें कि एक सप्ताह के अन्तर्गत समस्त अध्ययनरत छात्र छात्राओं को घर घर वितरण सुनिश्चित करते हुए हुये पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा दें।

4. प्रायः माह सितम्बर तक छात्र छात्रायें विद्यालयों में प्रवेश लेते रहते हैं और यह एक सतत प्रक्रिया है, जिस कारण छात्र संख्या में परिवर्तन हो सकता है। ऐसे में अतिरिक्त पाठय
पुस्तकों को मुद्रित कराये जाने की मांग प्राप्त हो सकती है। अतः इसका आंकलन / मांग तैयार कर प्रेषित करेंगें।

5. छात्र छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराया जाना शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अवयव है, जिसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं है। समस्त बच्चों को अद्यतन पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध न कराया जाना एक अत्यंत खेद का विषय है ऐसी स्थिति में यह निर्णय लिया गया कि महानिदेशक एवं उनके अधीनस्थ समस्त अधिकारी / कार्मिक (शैक्षिक संवर्ग को छोड़कर) कि निःशुल्क पाठ्य पुस्तक प्रक्रिया में सम्मिलित हैं उनका वेतन रोक दिया जाये। जब इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाये कि सभी छात्र छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा दी गयी हैं तत्पश्चात ही भली भांति संतुष्ट होने के पश्चात वेतन आहरण किया जाये।
आज की बैठक की आख्या महोदय की सेवा में प्रेषित की जा रही है। ये बाते पत्र के माध्यम से शिक्षा महानिदेशक ने शिक्षा सचिव को लिखी है।

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