शिक्षा विभाग में बैक डोर से एंट्री का खेल जारी,जिन शिक्षकों का स्कूलों में नहीं लगता पढ़ाने में मन उन्होंने ढूंढा है नायब तरीका,क्या शिक्षा मंत्री लेंगे सुध
देहरादून। शिक्षा विभाग में चहेते शिक्षकों को स्कूलों में न पढ़ाना पड़े इसको लेकर भी कई रास्ते बनाए गए,जिन शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ा कर छात्रों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी है,वह शिक्षक भी अपनी पहुंच की बल बूते स्कूलों में पढ़ाने की बजाय अधिकारी भी बने हुए है। वह भी नियमों की परवाह करते हुए। ऐसा की कुछ नजारा एससीईआरटी का है,जहाँ खास शिक्षकों के लिए खास पद तक तैयार किए जाते हैं । एससीईआरटी में पिछले वर्ष से सेल के नाम पर व्यवस्था पर सेंधबाज़ी से स्कूलों को ख़ाली कर शिक्षकों को यहाँ लाने का खेल बदस्तूर जारी है। पहले एनईपी सेल के नाम पर दो एलटी के शिक्षकों को विद्यालयों से गुपचुप तरीक़े से लाया गया, फिर असेस्मेंट सेल और अब विद्या समीक्षा केंद्र के नाम से प्रवक्ता के तीन पदों को छुपाया जा रहा है । उन तीनो शिक्षकों के नाम भी हमारे पास है,लेकिन उन नामों को उचित समय पर उजागर किया जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि विद्या समीक्षा केंद्र पर जिन 3 शिक्षकों के नाम की फाइल चली है क्या उसके लिए विज्ञप्ति नहीं निकाली जा सकती थी, जिसकी बदौलत सभी शिक्षकों को विद्या समीक्षा केंद्र में आने का अवसर दिया जाता लेकिन बैक डोर से तीन और शिक्षकों को एससीआरटी निदेशालय में लाने की तैयारी की पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है।
सवाल इस बात का है कि जब एससीआरटी में किसी पद की जरूरत शिक्षकों के द्वारा भरे जाने को लेकर है तो फिर उन पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति या क्यों जारी नहीं होती जिससे कि आम शिक्षकों को भी पदों पर बैठने का मौका मिले लेकिन यहां तो सेटिंग वेटिंग के खेल से ही पदों को लंबे समय से भरा जा रहा है। एक ताजा मामला एससीआरटी में देखने को आया है जिसमें प्रवक्ता अंजुम फ़ातिमा,जिन्हें समग्र शिक्षा से एससीईआरटी लाया गया है,उन्हें प्रवक्ताओं के तीन रिक्त पदों को छुपाते हुए सहायक निदेशक के रिक्त पद के प्रति पदभार ग्रहण करवा दिया गया । जबकि उनके आदेश में इस बात का उल्लेख किया गया है कि एससीआरटी में प्रवक्ता के कोई पद खाली नहीं है,लेकिन दूसरी तरफ 3 और शिक्षकों को बैक डोर से एससीईआरटी में तैनाती को देने के लिए फाइल भी चल पड़ी है। ऐसा तब हो रहा है जब प्रदेश में स्थानांतरण अधिनियम लागू है और एससीईआरटी तथा डायटों में किसी भी कार्मिक का पद ही नहीं हैं, लेकिन अगर अव्यवस्था नहीं होगी तो सेंधमारी कैसे होगी। हक़ीक़त तो यह है कि क़ानूनन आज प्रदेश में इन संस्थानों हेतु कोई योग्यता निर्धारित ही नहीं है,क्योंकि इन संस्थानों की कोई नियमावली ही नहीं है । नयी स्थानांतरण नियमावली आने पर तो यह खेल और भी आसान हो जाएगा, जब अधिनियम की ही कद्र नहीं तो नियमावली को ठेंगा दिखाना तो और भी आसान है । एनईपी सेल के बाद एससीईआरटी में सेल बनाने का प्रचलन चल पड़ा है, आज की तारीख़ में एफ़एलएन सेल, बलवाटिका सेल, एनईपी सेल, असेस्मेंट सेल और अब विद्या समीक्षा केंद्र के नाम पर कुछ लोगों को लाने की तैयारी कुछ अधिकारियों ने कर दी । यहाँ प्रश्न यह है कि इन सेलों का गठन में विधिक तथा स्पष्ट पारदर्शी प्रक्रिया के तहत क्यों नहीं किया गया ? जब डायट के पदों को सार्वजनिक किया जा रहा है तो एससीईआरटी के अकादमिक पदों को सार्वजनिक कर पारदर्शी प्रक्रिया से क्यों नहीं भरा जा रहा है ? यही हाल रहा तों ये अकादमिक संस्थान गुणवत्ता के लिए जवाबदेह संस्थान की जगह केवल सिफ़ारिशी लोगों के लिए ऐशगाह बन कर रह जाएँगे ।एक आम शिक्षक हमेशा की भाँति ऐसे ही ठगा सा महसूस करता रहेगा और सरकारी स्कूली शिक्षा लचरता की सभी हदें पार कर देंगे।