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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को जानना जरुरी,सेमिनार में बोले एमडी शक्ति थपलियाल

पौड़ी/श्रीनगर। गढ़वाल विवि में ग्रामीण एवं प्रौद्योगिकी विभाग एवं मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन, नई दिल्ली के सौजन्य से जलवायु परिवर्तन का आजीविका पर प्रभाव एवं उनके सतत समाधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।

गोष्ठी में जलवायु परिवर्तन के कारण आजीविका पर होने वाले प्रभाव पर चर्चा की गई।

इसमें कृषि, मत्स्य पालन, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में होने वाली कठिनाइयों पर जोर दिया गया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि के कुलपति प्रो. मनमोहन सिंह रौथाण ने कहा कि जलवायु परिवर्तन कोई तात्कालिक घटना नहीं, बल्कि औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुई एक प्रक्रिया है। कहा कि वनों की कटाई और अनियंत्रित औद्योगीकरण ने प्रकृति को असंतुलित किया है। उन्होंने छात्रों से पौधरोपण एवं स्थायी समाधान की दिशा में कार्य करने का

आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि सीमा सशस्त्र बल के उपमहानिरीक्षक सुभाष नेगी ने सीमांत क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न सुरक्षा और आजीविका चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने 2013 की उत्तराखंड आपदा सहित प्राकृतिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए पूर्व चेतावनी प्रणाली और सामुदायिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ग्रामीण प्रौद्योगिकी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरएस नेगी ने जलवायु परिवर्तन के कारण पर्वतीय कृषि संकट, पारंपरिक फसलों की हानि तथा जलवायु असंतुलन के प्रभावों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन के संयोजक दुर्गा सिंह भण्डारी ने कहा कि स्थायी समाधान तभी संभव हैं जब समुदाय स्वयं योजनाओं में भागीदार बने। कार्यक्रम में मौजूद देवस्थली पीजी पैरा मेडिकल कॉलेज के प्रबंध निदेशक शक्ति थपलियाल ने जानकारी दी कि यह राष्ट्रीय सेमिनार शोध छात्रों एवम सरकार के विभिन्न नवाचारी कार्यकर्मों के लिए विशेष सन्दर्भ के रूप में उपयोगी साबित होगा।

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