नगर आयुक्त के साथ विवाद मामले पर महेश जीना का बड़ा खुलासा,बेटे का टेंडर प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं,विशेषाधिकार हनन के तहत विधानसभा में उठाऊंगा मामला
देहरादून। सल्ट से भाजपा विधायक महेश जीना के द्वारा देहरादून नगर निगम में नगर आयुक्त के साथ हुए विवाद को लेकर विधायक महेश जीना ने कई खुलासे किए है,पहले खुलासा तो उन्होंने यही किया है कि कांग्रेस के साथ जिस तरीके से कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि वह अपने बेटे को टेंडर दिलाने को लेकर नगर निगम गए थे, तो यह आरोप सरासर गलत है, वह अपने लिए नहीं बल्कि किसी परिचित को टेंडर मामले में टेंडर प्रक्रिया से पहले ही बाहर किए जाने को लेकर केवल इतना जानने नगर निगम पहुंचे थे। कि उनके जो परिचित है,उनको टेंडर प्रक्रिया से क्यों बाहर रखा गया है। जिसका जवाब नगर निगम में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी देने को तैयार नहीं था, साथ ही टेंडर उन लोगों को दिया गया जो वहां बैठे रहते हैं,और बार-बार नियमों में बदलाव कर व्यक्ति विशेष को टेंडर दिए जाने के लिए शर्तें बनाई जा रही है,जिसके खिलाफ वह मामला भी उठाने वाले हैं, लेकिन वह इतना साफ कह दे की उनके बेटे को टेंडर दिलाने का यह कोई मामला नहीं है बल्कि ऐसे व्यक्ति के लिए आवाज उठाने का मामला था, जिसे बिना वजह टेंडर प्रक्रिया से बाहर किया गया और यह जानने का अधिकार एक जनप्रतिनिधि के नाते उन्हें है, जिसको लेकर वह नगर निगम गए थे, अगर जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं, उनके बेटे को टेंडर दिलाने का यह मामला है,तो वह उन्हें खुली चुनौती देकर कहना चाहते हैं, कि यदि उनके बेटे को टेंडर दिलाए जाने का कोई मामला है तो वह कागजों के साथ उसे पेश करें।
मेरे खिलाफ नहीं टेंडर प्रक्रिया को लेकर होगी जँचा
नगर निगम में हुए घटनाक्रम को लेकर जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा गढ़वाल आयुक्त को जांच के निर्देश दिए गए हैं तो वहीं भाजपा संगठन के द्वारा भी महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल को जांच दी गयी है,जिसको लेकर महेश जीना का कहना है कि उनके खिलाफ नहीं बल्कि टेंडर प्रक्रिया कि यह जांच होने जा रही है।
नगर आयुक्त ने बोला झूठ,आयुक्त का हो ट्रांसफर
यही नहीं महेश जीना का कहना है कि जब वह नगर निगम पहुंचे थे,और उन्होंने नगर आयुक्त को फोन कर मिलने की बात कही तो नगर आयुक्त के द्वारा सचिवालय में होने का हवाला दिया गया, लेकिन जैसे ही नगर निगम में एक ठेकेदार मिलता है,और वह खुद को नगर निगम का कर्मचारी बताता है तो उनके द्वारा उसकी आईडी मांगी जाती है और वह फिर भाग कर चल जाता है, लेकिन थोड़े देर बाद ही वह नगर आयुक्त के कमरे में जब जाते हैं तो नगर आयुक्त वही होते हैं, और जब वह कमरे में अंदर थी तो कमरे में बंद करने तक की बात करते हैं क्या यह अभद्रता नहीं है एक जनप्रतिनिधि को कमरे में बंद करने की बात कही गई। वह केवल इतना कहना चाहते हैं कि जब एक जनप्रतिनिधि कोई जानकारी किसी अधिकारी से मांगना चाहता है,तो क्या अधिकारी को वह जानकारी जनप्रतिनिधि को नहीं देनी चाहिए और जब एक जनप्रतिनिधि के द्वारा कोई जानकारी मांगे जाने पर नहीं दी जा रही है,तो आम जनता का क्या होता होगा,जब आम जनता उन अधिकारियों से कोई जानकारी मांगते होंगे तो वह क्या जानकारी देते होंगे । इसलिए ऐसे अधिकारी का ट्रांसफर किया जाना चाहिए और उन्हें जानकारी दी जानी चाहिए कि क्यों टेंडर प्रक्रिया में कई लोगों को बाहर किया गया।
विशेषाधिकार हनन में भी उठाऊंगा मामला
विधायक महेश जीना का कहना है कि विधानसभा का जब भी सत्र होगा तो विधानसभा सत्र में भी वह नगर आयुक्त के खिलाफ विशेष अधिकार हनन के तहत मामला उठाएंगे, क्योंकि एक जनप्रतिनिधि का जो प्रोटोकॉल होता है उनके द्वारा उसे अपनाया नहीं गया।