सबसे पौराणिक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के नाम पर रोटियां सेंकने की इजाजत किसी को नहीं – दसौनी

देहरादून। केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला के द्वारा देहरादून में प्रेस वार्ता के दौरान उठाए गए बिंदुओं पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने पलटवार किया है। गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा की रौतेला के अनुसार देश में अयोध्या के अलावा कई राम मंदिर हैं मथुरा वृंदावन के अलावा कई कृष्ण के मंदिर हैं ऐसे में कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए उनके ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहे मंदिर पर आपत्ति कर रहे हैं। दसौनी ने कहा कि रौतेला को यह समझना होगा कि यदि वह कोई शिव मंदिर बना रहे होते तो सभी उसका स्वागत करते परंतु उन्होंने अपने ट्रस्ट का नाम ही केदारनाथ धाम के नाम पर रखा है जो उत्तराखंड के धामों के ऊपर प्रहार है। दशौनी ने आरोप लगाया कि केवल चंदा उगाही के लिए किसी को भी उत्तराखंड के धाम के नाम का दोहन करने का अधिकार नहीं है।
दसौनी ने कहा कि सुरेंद्र रौतेला ने शिलान्यास के समय पर यह भी कहा की जो बड़े बुजुर्ग उत्तराखंड के केदारनाथ धाम नहीं पहुंच पाएंगे उन्हें बौराड़ी ,दिल्ली में बन रहे केदारनाथ धाम के दर्शन मात्र से मोक्ष प्राप्त हो जाएगा, दसौनी ने कहा कि रौतेला क्या धर्माचार्य हैं?वो कौन होते हैं यह निर्णय लेने वाले और बताने वाले की किसको कहां मोक्ष मिलेगा?

 

गरिमा ने कहा कि प्रेस वार्ता के दौरान सुरेंद्र रौतेला ने एक बहुत चौंकाने वाला खुलासा यह किया कि उनका ट्रस्ट यानी कि केदारनाथ धाम ट्रस्ट जिसके वह अध्यक्ष हैं वह मात्र 2 साल पुराना ट्रस्ट है, ऐसे में ट्रस्ट का नाम क्योंकि उत्तराखंड के केदारनाथ धाम पर रखा जा रहा था तो निश्चित रूप से एनओसी के लिए पत्र निश्चित ही बीकेटीसी के पास आया होगा। ऐसे में बीकेटीसी को सामने आकर यह स्पष्ट करना चाहिए कि उस वक्त उसने इस ट्रस्ट के नामकरण पर आपत्ति क्यों नहीं जताई? दसौनी ने कहा की कौन राजनीतिक लाभ ले रहा है कौन नहीं सुरेंद्र रौतेला को इस विषय पर ना जाकर जो करोड़ों हिंदू सनातनियों की भावनाएं आहत हुई है उन सभी से ट्रस्ट का नाम केदारनाथ धाम के नाम पर रखे जाने के लिए माफी मांगनी चाहिए । दसौनी ने कहा यह भी गौरतलब है की मात्र 2 साल के अंदर आखिर कितना चंदा इस ट्रस्ट के पास इकट्ठा हो गया जो 3 एकड़ में इतना विशालकाय मंदिर बोराडी दिल्ली में बनाया जा रहा है? उसका भी खुलासा होना चाहिए कि इस ट्रस्ट के अन्य ट्रस्टी और दानदाता कौन कौन हैं? दसौनी ने कहा की जिस चंदे या चढ़ावे पर उत्तराखंड के चारों धामों का अधिकार होना चाहिए सुरेंद्र रौतेला के ट्रस्ट ने उस पर केदारबाबा के नाम का प्रयोग कर सेंधमारी का कुत्सित प्रयास किया है और कहीं ना कहीं उत्तराखंड के तीर्थाटन और लाखों लोगों की आजीविका पर चोट की है।

 

दसौनी ने कहा कि जिस तरह से सुरेंद्र रौतेला दिल्ली से चलकर देहरादून सरकार के बचाव में प्रेस वार्ता करने आए हैं उससे साफ दिखाई पड़ रहा है की दाल में कुछ काला जरूर है, और तो और सुरेंद्र रौतेला ने प्रेस वार्ता के दौरान यह भी कहा कि वह मंदिर निर्माण में धाम शब्द हटा देंगे लेकिन मंदिर तो केदार के नाम से ही बनेगा यह भी रौतेला और उनके ट्रस्ट की हठ धर्मिता का ही प्रतीक है।

 

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