केदारनाथ में राहुल गांधी को देखते ही श्रृद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने लगाए मोद-मोदी के नारे,बीजेपी ने राहुल की यात्रा की टाइमिंग पर उठाए सवाल
देहरादून। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिन की धार्मिक यात्रा पर केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं। उनकी इस यात्रा को चुनाव प्रचार से उनके पलायन के रूप में देखा जा रहा है। प्रचार युद्ध में भाजपा के सामने लगभग घुटने टेक चुकी कांग्रेस अब ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ का कार्ड खेलने की फिराक में है। लेकिन राहुल गांधी को केदारनाथ में देखकर श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने जमकर मोदी–मोदी के नारे लगाए। इससे साफ है कि चुनाव से ऐनपूर्व राहुल गांधी के सॉफ्ट हिन्दुत्व के प्रपंच को जनता सिरे से खारिज कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं। केदारनाथ धाम से उनकी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। भगवान शिव के प्रति उनकी अगाध श्रृद्धा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वह अभी तक छह बार (3 मई 2017, 20 अक्तूबर 2017, 7 नवंबर 2018, 18 मई 2019, 5 नवंबर 2021 और 21 अक्टूबर 2022) केदारनाथ धाम की यात्रा पर आ चुके हैं। वह हर साल केदारनाथ धाम की शरण में आते हैं सिर्फ 2020 में कोरोना प्रकोप के चलते वह केदारनाथ धाम की यात्रा पर नहीं आ सके थे। इसके अलावा मोदी देश और विदेश में हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों में पूजा अर्चना करते रहे हैं। अब तक भाजपा के हिन्दुत्व प्रेम पर कटाक्ष करने वाले राहुल अब प्रधानमंत्री मोदी की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को केदारनाथ धाम पहुंचे लेकिन उनकी कोशिशों पर उस वक्त पलीता लग गया जब केदारनाथ में पहुंचते ही राहुल गांधी को देखकर लोग मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे। सवाल यह है कि जब पांच राज्यों में चुनाव का प्रचार चरम पर है तो ठीक उसी वक्त राहुल ने केदारनाथ धाम की तीन दिन की यात्रा का लम्बा कार्यक्रम क्यों बनाया। क्या हर बार ही तरह राहुल ने इस बार भी चुनावी प्रचार में ताकत झोंकने के बजाए पलायन किया है।
दरअसल, हर बार राहुल गांधी चुनाव प्रचार के वक्त कभी विदेश तो कभी अन्य स्थानों की यात्रा पर चले जाते हैं। वो स्टार प्रचारक के रूप में जिम्मेदारी उठाने से भागते रहे हैं। उनका फण्डा यह है कि कांग्रेस जीत गई तो वह जीत का श्रेय खुद ले लेंगे और हार गई तो उनकी जवाबदेही तय नहीं होगी। इससे पहले कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी राहुल प्रचार से नदारद थे। जबकि प्रियांका मोर्चे पर डटी रही।
बीजेपी ने टाइमिंग पर उठाए सवाल
भाजपा ने राहुल गांधी के श्री बद्री केदार दौरे का स्वागत करते हुए, इसे 100 करोड़ सनातनियों के बढ़ते सामर्थ्य का परिणाम बताया है । साथ ही चुनाव के दौरान दौरे की टाइमिंग पर कटाक्ष किया कि जिन्होंने कभी रामलीला नही देखी, वो श्री राम का तिलक भी कर रहे हैं और बाबा के दरबार ने माथा टेकने भी पहुंचते हैं ।
राहुल गांधी के दौरे को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने उनके सनातन में विश्वास व्यक्त करने का स्वागत किया है । उन्होंने कहा, हम देवभूमिवासी अथिति देवों की संस्कृति पर विश्वास करते हैं और राहुल गांधी के श्री बद्री केदार यात्रा पर पहुंचने पर स्वागत है । उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता देव भूमि के तीर्थ स्थलों सहित देश के अन्य भागों मे भी सनातन संस्कृति के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहे है। इससे वह केदारनाथ के भव्य स्वरूप को देखकर उन नेताओं का भी मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने कटाक्ष कर कहा, राहुल मोदी सरकार के विकास कार्यों को देख रहे हैं। इससे पूर्व धारा 370 हटने के बाद कश्मीर देखा अब केदारनाथ जा रहे हैं। उनको अयोध्या और बनारस एवं महाकाल भी ज़रूर जाना चाहिए ताकि पता चल सके धार्मिक स्थलों और सनातन के सरंक्षण और सनातन के प्रति मोदी सरकार कितनी सजग है।
साथ उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि किस तरह उनकी सहयोगी पार्टी के नेता उदयनिधि स्टालिन सनातन के समूल नाश का जाप कर रहे हैं, कैसे उनके उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष के मंत्री बेटे कैसे सनातनी संस्कृति का उपहास करते हैं, कैसे उनके सहयोगी पवित्र रामायण ग्रंथ का अपमान करते हैं और कैसे उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष इन्ही श्री बद्री केदार के प्रसाद को अपमानजनक तरीके से अपनी राजगद्दी पर बैठे बैठे स्वीकार करते हैं । ताउम्र सनातन का अपमान करने की नीति अपनाने वालों के लिए हम बाबा केदार से प्रार्थना करते हैं कि वे राहुल और कांग्रेस पार्टी को सद्बुद्धि दे सनातन के सम्मान की, भ्रष्टाचार को त्यागने की, राष्ट्र की तरक्की के लिए सकारात्मक सोच अपनाने की । उन्होंने सलाह देते हुए कहा, अब राहुल को गंभीरता दिखाते हुए सुविधावादी हिंदू बनने की प्रवृति छोड़ देनी चाहिए क्योंकि जनता इसे बखूबी पहचान गई है ।
सुरेश जोशी ने राहुल की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, हनेशा चुनावों और कांग्रेस के लिए कठिन परिस्थिति में ही उन्हें सनातन धर्म की याद क्यों आती है । इससे पूर्व जब शाहबानो केस में किरकरी हुई तो स्वर्गीय राजीव गांधी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाया और फिर डर कर पीछे हट गए और तब से लगातार कांग्रेस सनातन विरोधी झंडा बुलंद करती आई है । उन्होंने तंज कसे हुए कहा, जिन श्रीमति सोनिया गांधी ने कभी अपने बच्चों को रामलीला नही दिखाई हो वो श्री राम का तिलक करती नजर आए कोई विश्वास नहीं करेगा । जो प्रभु श्री राम को कल्पना मानते हों उनका चुनावों ने जनेऊ धारण करना, मंदिर मंदिर भटकना और अब बाबा केदार के दरबार पहुंचना वो भी पांच राज्यों के चुनाव के बीच में अचंभित करता है । उन्होंने जोर देते हुए कहा, उपरोक्त सभी असंभव सी घटनाएं सब मोदी जी नेतृत्व में देश दुनिया में सनातन संस्कृति की ध्वजपताका लहराने वाले 100 करोड़ हिंदुओं के सामर्थ्य का परिणाम है । यही वजह है कि आज सभी सनातन के सामने शीश नवाते नजर आते हैं चाहे चुनाव की बेला में ही सही ।