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भाजपा नेता की शिकायत पर फर्जी पुनर्नियुक्ति पाए पांडेय का डोला सिंहासन,1 लाख 38 हजार वेतन की प्रतिमाह होगी वसूली

देहरादून। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान की शिकायत पर आपदा विभाग में हुई फर्जी पुनर्नियुक्ति का संज्ञान आखिरकार उत्तराखंड शासन ने ले लिया है। जी हां आपदा प्रबंधन विभाग में फर्जी तरिके से पुनर्नियुक्ति पाएं जूनियर एग्जूक्यूटिव कार्टोग्राफर के पद तैनात केएन पाण्डेय के खिलाफ शासन ने जांच के आदेश दे दिए है। जांच में यदि अगर केएन पाण्डेय की पुनर्नियुक्ति फर्जी पाई जाती है,तो कार्मिक विभाग ने पुनर्नियुक्ति का खारिज करने के साथ ही सबसे अहम बात ये कही है कि जितने माह का वेतन केएन पाण्डेय ने लिया है उसकी रिकवरी की जाएं। कुल मिलाकर भाजपा नेता रविद्र जुगरान ने जो आवाज उठाई थी आखिरकार कई महीनों तक उस आवाज को अनसुना करने के बाद उत्तरखंड सरकार ने उसे सुना लिया है। केएन पाण्डेय की पुनर्नियुक्ति के फर्जी तरिके से किए जाने के प्रमाण भाजपा नेता ने उत्तराखंड सरकार के साथ पीएमो को भी भेजे थे। पीएमो ने भी मामले का संज्ञान लिया गया था और इसकी जांच करने के लिए कहा था। सूत्रों की माने तो जब तक आपदा विभाग के सचिव अमित नेगी थे,तब तक कोई केएन पाण्डेय का कुछ नहीं बिगाड सका,लेकिन आपदा सचिव बदले जाने के साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग में केएन पांडेय का वह सिंहासन डोल गया है,जिससे वह खुद अमिट मानते थे,क्योंकि बिना कार्मिक विभाग की संस्तुति और बिना वित्त विभाग की संस्तुति के केएन पाण्डेय पुनर्नियुक्ति पाएं थे,वह भी तब जब वह आपदा विभाग में स्थायी ही नहीं बल्कि संविदा के पद पर तैनात थे। संविदा पद पर तैनाथी के साथ पुनर्नियुक्ति के बाद भी वह पहले कि भांति 1 लाख 38 हजार रूपये वेतन ले रहे है। केएन पाण्डेय की पहुंच का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड सरकार ने पुनर्नियुक्ति पर प्रदेश में रोक लगाई है लेकिन उसके बाद भी केएन पाण्डेय रिटार्यरमेंट होेने की बजाय पुनर्नियुक्ति पा गए। ऐसे में देखना ये होगा कि आखिर अब जब केएन पाण्डेय की पुनर्नियुक्ति की जांच के आदेश दे दिए गए है तो क्या जांच सही पाए जाने के बाद उनकी पुनर्नियुक्ति  खारिज कर जो गलत तरिके से उन्होनेव वेतन हासिल किया है। आर्थिंक तंगी के इस दौर में सरकार उनसे वसूली कर पाएंगी।
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